सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की नीति का बखान करने वाली कांग्रेस मध्यप्रदेश की नई कार्यसमिति में गच्चा खा गई। कांग्रेस की नई कार्यसमिति में सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन की कमी नजर आ रही है। इन दिनों राजनीतिक दलों ने पिछड़े वर्ग को साथ लेकर चलने की रणनीति बनाई है, जिसकी स्पष्ट झलक पीसीसी की टीम में दिखाई दी है। इस वर्ग के नेताओं को 30 फीसदी पद सौंपे गए हैं। जबकि अनुसूचित जाति-जनजाति के कुल 17 प्रतिशत नेता समायोजित किए गए हैं। वहीं, क्षेत्रीय संतुलन बनाने में निमाड़ और ग्वालियर चंबल को पीछे छोड़ दिया गया है। यहां कुल 8 नेताओं को ही टीम में लिया गया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के कार्यभार ग्रहण करने के दो महीने बाद पीसीसी के 85 पदाधिकारियों की सूची जारी की है। इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 25 नेताओं को लिया गया है। इस वर्ग से विधायक कमलेश्वर पटेल, हर्ष यादव व सचिन यादव, पूर्व सांसद तिलकसिंह लोधी व ताराचंद साहू और पूर्व विधायक जोधाराम गुर्जर, प्रभूसिंह ठाकुर, राजकुमार पटेल, सुखदेव पांसे सहित कुछ नए चेहरों को लिया गया है। सामाजिक संतुलन के लिए पीसीसी में 12 ब्राह्मणों को भी लिया गया है, जिसमें पूर्व विधायक राजा पटेरिया, सविता दीवान और पीसी शर्मा शामिल हैं। कांग्रेस ने अपने पुराने वोट बैंक अल्प संख्यक मुस्लिम समुदाय के भी 11 नेताओं को पीसीसी में लिया है तो ईसाई समुदाय के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में अनिल मार्टिन को लिया है। आठ महिलाओं को पीसीसी में स्थान दिया है।
सिंधिया-यादव के क्षेत्र की भी उपेक्षा
पीसीसी में भोपाल-होशंगाबाद क्षेत्र के 25 नेताओं को विशेष तवज्जो दिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के महाकौशल और भाजपा का गढ़ माने जाने वाले मालवा क्षेत्र के भी 16-16 नेताओं को लिया गया है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के विंध्य क्षेत्र में 13 तो बुंदेलखंड में 8 नेताओं को लिया गया है। मगर ज्योतिरादित्य सिंधिया के ग्वालियर-चंबल से मात्र पांच तो पूर्व पीसीसी अध्यक्ष अरुण यादव के निमाड़ क्षेत्र से मात्र तीन नेताओं को लिया है।
एससी-एसटी नेताओं में निर्वाचित प्रतिनिधि भी
अनुसूचित जनजाति के आठ नेताओं तो अनुसूचित जाति के छह नेताओं को पीसीसी में लिया गया है। अनुसूचित जाति के पांच नेता तो निर्वाचित जनप्रतिनिधि है, इनमें विधायक इमरती देवी व हरदीप सिंह डंग, पूर्व विधायक एनपी प्रजापति, तुलसी सिलावट, व प्रभूराम चौधरी शामिल है। इसी तरह कमेटी में लिए गए अनुसूचित जनजाति के आठ नेताओं में पूर्व विधायक कौशल्या गोटिया, पूर्व सांसद गजेंद्र ङ्क्षसह राजूखेड़ी, पूर्व विधायक नन्हें सिंह राजूखेड़ी, पूर्व विधायक नन्हें धुर्वे, बिसाहूलाल सिंह, नारायण पट्टा शामिल है। हिमाद्री सिंह भी लोकसभा चुनाव की हारी प्रत्याशी हैं।