प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य उमरिया जिले में तत्कालीन कलेक्टर व एसपी के बंगलों के निर्माण मामले में महिला डीएफओ द्वारा की गई कार्रवाही अब उनके लिए ही मुसीबत बनती नजर आ रही है। इस मामले में मंत्रालय में पदस्थ वरिष्ठ अफसर डीएफओ बासू कनौजिया से नाराज हैं। दरअसल सुश्री कनौजिया ने वन भूमि पर सरकारी बंगला बनाने वाले कलेक्टर-एसपी के खिलाफ प्रारंभिक अपराध रिपोर्ट (पीओआर) दर्ज की थी। इससे खफा अफसरों ने इस मामले का ठीकरा डीएफओ पर ही फोडऩे की तैयारी कर ली है। यही वजह है कि शहडोल सीसीएफ ने वन मुख्यालय को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि बासु ने भारतीय वन अधिनियम की गलत धाराओं में मामला दर्ज किया है। गौरतलब है कि उमरिया कलेक्टर माल सिंह भवडिय़ा और एसपी असित यादव ने न केवल वनभूमि पर सरकारी बंगले बना लिए, बल्कि करीब 20 एकड़ जमीन पर कब्जा भी कर लिया था। बासु ने इस पर आपत्ति ली और निर्माण कार्य नहीं रोकने पर मशीन जब्त कर ली थी। फिर भी निर्माण कार्य नहीं रोके गए तो बासु ने दोनों के खिलाफ वन अधिनियम 1980 की धारा-2 में प्रकरण दर्ज किया था। इसमें सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इसकी जानकारी मिलते ही वन मुख्यालय और शासन स्तर पर हडक़ंप मच गया। मामला दबाने के लिए वन मुख्यालय ने इस मामले में शहडोल सीसीएफ एके जोशी से रिपोर्ट मांग ली।
समन्वय नहीं बनाओगी तो परेशानी आएगी
बासु ने कलेक्टर-एसपी को 10 साल की गूगल इमेज और रीवा राज दरबार के एग्रीमेंट व नक्शे भी दिखाए थे। उन्होंने प्रकरण सीसीएफ को भेजा था। इसके बाद कलेक्टर के दबाव तो वन विकास निगम ने जब्त ट्रैक्टर और अन्य मशीनें छोड़ दीं। कलेक्टर ने तत्कालीन सीसीएफ प्रशांत जाधव के कमरे में बासु से कहा था आपको हमारे बंगले ही अतिक्रमण में दिख रहे हैं, दूसरे नहीं। एसपी ने यह भी कहा था कि आप समन्वय बनाकर नहीं चलोगे तो परेशानी आएगी।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
तत्कालीन डीएफओ बासु कनौजिया द्वारा कलेक्टर एसपी पर गलत धाराओं में मामला दर्ज करने की बात सामने आई है। अभी हम पूरे मामले को दिखवा रहे हैं। मैं जांच होने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा।
एके जोशी, सीसीएफ, शहडोल
मैंने नियमानुसार कलेक्टर एसपी के खिलाफ कार्रवाई कर प्रकरण मुख्यालय को भेज दिया है। इसमें कहीं कोई तकनीकी त्रुटि नहीं है। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कह सकती हूं।
बासु कनौजिया, तत्कालीन, डीएफओ, उमरिया
मेरे पास पीओआर आई थी। मुख्यालय ने इस मामले में सीसीएफ शहडोल से अभिमत मांगा है। अभिमत आने के बाद उसे प्रदेश सरकार के समक्ष रखा जाएगा।
सुनील अग्रवाल, एपीसीसीएफ, भू-प्रबंधन