“कल्पेश याग्निक” सच से भागता हिंदी समाज, नारी और नर के संबंधों में परिवर्तित होती परिभाषाएँ

कल्पेश याग्निक

सच से भागता हिंदी समाज, नारी और नर के संबंधों में परिवर्तित होती परिभाषाएँ

लगातार बदलती कल्पेश याग्निक आत्महत्या/असमय मृत्यु प्रकरण की कथा में नई पात्र शामिल हो चुकी है ।
Bhadas4media.com का दावा है कि उनके पास कई महीनों पहले से कल्पेश और एक स्त्री के फोन वार्तालाप के टेप हैं जो उनके विवाहेत्तर संबंध और उससे उत्पन्न consequences में कल्पेश के बेतरह उलझने और परेशान होने के स्पष्ट संकेत देते हैं ।

ऐसे किसी टेप का होना और उसका भड़ास तक पहुँचना इस मामले में “अपराध” की उपस्थिति सुनिश्चित करता है ।

हमारे चारों तरफ़ ऐसी ख़बरों की भरमार है जो यौनिकता से उपजे अपराध पर आधारित हैं । सोशल मीडिया और मीडिया की सफलता का सबसे अचूक अस्त्र यही सब है । नमो और इसी तर्ज की कई मिलियन लाइक्स वाले कई FB accounts के बारे में Alt News ने कल ही पर्दाफ़ाश किया है कि उनकी प्रसार संख्या का मूल उनमें परोसे जाने वाले सेमी पोर्न और अश्लील फोटोशाप में निहित है ।

एक बहुचर्चित नामानिगार की अपनी प्रोफ़ाइल से कई गुना ज्यादा लाइक्स उनकी नकली महिला प्रोफ़ाइल पर बरसों बना रहा (प्रोफ़ाइल बंद करने तक)जिसमें एक युवा सुंदर महिला का चित्र प्रोफ़ाइल पिक था । वे एक ही कन्टेंट पहले अपनी प्रोफ़ाइल पर डालते थे और कई घंटों बाद अपनी फेक महिला प्रोफ़ाइल पर बढ़ाते थे ।महिला प्रोफ़ाइल पर सुधी पाठक उसी कंटेंट में तमाम गुण खोज लेते थे जो मूल प्रोफ़ाइल पर भिनकते भी न थे !

हमारे समाज के अगुआ राजनेता यौनिकता के ज़िक्र तक से आतंकित लगते हैं । आप नरेंद्र मोदी या राहुल गांधी या केजरीवाल तक से इस पर एक शब्द की उम्मीद नहीं कर सकते ! सब के सब एक मध्य युगीन आदर्श के टनों भारी झूठे लबादे के नीचे छिपे हुए हैं !

हिंदी भारत में लोहिया इकलौते थे(वे कभी प्रधानमंत्री की रेस तक नहीं पहुँचे थे)जिन्होंने दुस्साहस करके कहा” वायदाखिलाफी और बलात्कार के सिवा नर नारी के सारे संबंध जायज हैं “! उनके बाद अभी कुछ महीनों पहले राज्यसभा से रिटायर होने के दिन अपने विदाई भाषण में देवी प्रसाद त्रिपाठी ने भी इसे ज़ोरदार ढंग से उठाया और उम्मीद जताई कि संसद किसी दिन जरूर इस पर विस्तार से संवाद करेगी (हालाँकि इसके कोई संकेत नहीं मिलते )!

हिंदी संसार के संपादकों में भी इस पर बात करने,संवाद चलाने,सच का सामना करने के साहस का अकाल है हालाँकि उनमें बलात्कार और यौन विद्रूपता की ख़बरों की चाट परोसकर सरकुलेशन में रहने की होड़ है ।

कल्पेश इसी दोहराव के शिकार हुए लगते हैं वरना पचपन बरस भी कोई उम्र है प्रेम कर लेने के “गुनाह” में छत से कूद जाने की ?