RTI कानून में बदलाव की तैयारी में मोदी सरकार, नहीं दी कोई जानकारी

18 जुलाई से शुरू होने जा रहे सत्र में 18 बिल परिचय, ध्यानाकर्षण और पास करने के लिए पेश किए जाएंगे। 17 बिल को ‘ई’ कैटेगरी यानी कि नए पेश किए जाने वाले बिलों की श्रेणी में डाला गया है। कुछ जानकारी या कुछ रूपरेखा इन सभी के साथ दी गई है।

लोकसभा के आने वाले मानसून सत्र में होने वाले कामकाज के बुलेटिन से एक बिल को बाहर रखा गया है। इस बिल के बारे में कोई भी अतिरिक्त जानकारी नहीं दी गई है। जिस बिल में परिवर्तन होना है, उसका नाम सूचना का अधिकार कानून, 2005 है। द टेलीग्राफ के मुताबिक, 18 जुलाई से शुरू होने जा रहे सत्र में 18 बिल परिचय, ध्यानाकर्षण और पास करने के लिए पेश किए जाएंगे। 17 बिल को ‘ई’ कैटेगरी यानी कि नए पेश किए जाने वाले बिलों की श्रेणी में डाला गया है। कुछ जानकारी या कुछ रूपरेखा इन सभी के साथ दी गई है, या फिर जीएसटी कानून में बदलाव की स्थिति में साझेदारों की सलाह की सूचना भी दी गई है।

मकसद पर साधी चुप्‍पी: हालांकि सूचना का अधिकार बिल संशोधन विधेयक, 2018, में उद्देश्य के कॉलम में कानून गठन के बारे में सिर्फ इतना ही लिखा है,”सूचना का अधिकार कानून, 2005 में सुधार करना।” इस घटना ने न सिर्फ आरटीआई एक्टिविस्ट बल्कि आरटीआई का उपयोग करने वाले लोगों को भी निराश किया है। ये कार्मिक मंत्रालय, लोक शिकायत और पेंशन विभाग ने जानकारियां लेने वालों को भी मुश्किल हालातों से गुजरना ही होगा।

बोलने को तैयार नहीं अधिकारी: सरकारी अधिकारियों ने भी कानून में होने जा रहे बदलावों की प्रकृति के बारे में जानकारी साझा करने से इंकार कर दिया है। इसके साथ ही अधिकारी सरकार की उस नीति पर भी बात नहीं कर रहे हैं जो 2014 से पहले तक लागू थी। बता दें कि 2014 से पहले ये अनिवार्य था कि सरकार कोई कानून या उसके तहत आने वाले कानून बनाने से पहले उसे जनता के सामने 30 दिनों तक चर्चा या फिर टिप्पणी के लिए रखेगी। इसके साथ ही मिली टिप्पणियों को संबंधित मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध करवाया जाता था, ये सारी प्रक्रिया बिल को मंजूरी के लिए कैबिनेट को भेजने से पहले जरूर तौर पर की जाती थी।

दुनिया का सर्वश्रेष्‍ठ RTI कानून: पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी ने कानून में बदलाव के कदम पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट करके कहा,”हमारे पास दुनिया का सबसे अच्छा आरटीआई कानून है। किसी को भी उसमें बदलाव करने की कोई जरूरत नहीं है। हमें सिर्फ उसे बेहतर तरीके से लागू करने के बारे में ध्यान से सोचना चाहिए।”

ऑनलाइन याचिका को मिला समर्थन: इस बारे में शनिवार (14 जुलाई) को प्रधानमंत्री के लिए आॅनलाइन याचिका भी शुरू की गई है। इस याचिका पर 24 घंटे के भीतर 15 हजार से ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। याचिका में कई आरटीआई एक्टिविस्ट ने कहा,”आपने भारत के लोगों से भ्रष्टाचार मुक्त भारत का वादा किया था। लोगों को लोकतंत्र में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सबसे ताकतवर हथियार सूचना का अधिकार कानून मिला है। लेकिन ये जानकर दुख और चिंता हो रही है कि आपकी सरकार ने सूचना का अधिकार कानून को हतोत्साहित करने वाले परिवर्तन लाने का फैसला किया है।”