मध्यप्रदेश सहित छत्तीसगढ़ और राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा के चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस हाईकमान राहुल गांधी ने पार्टी के कामकाज में बदलाव करते हुए पार्टी पदाधिकारियों की सक्रियता पर विशेष नजर रखना शुरु कर दिया है। यही वजह है कि अब पार्टी पदाधिकारियों से उनके द्वारा किए गए कामों का हर माह का ब्यौरा देने के निर्देश दिए गए हैं। यही वजह है कि हाल ही में राष्ट्रीय संगठन महासचिव अशोक गहलोत ने पार्टी के सभी सचिवों खासकर उन युवा सचिवों और पदाधिकारियों से अपने दौरों और कार्य का लेखा-जोखा मांगा है, जिनको राहुल गांधी ने नियुक्त किया है। इसके पीछे पार्टी की मंशा उनकी लगातार सक्रियता बनाए रखना है। इसके लिए पार्टी की ओर से नया फॉर्मूला लागू कर दिया है कि दौड़ो या पद छोड़ो यानी दफ्तर में जमे रहने की परंपरा खत्म कर दौरे करो नहीं तो कुर्सी ले ली जाएगी।
जिला अध्यक्षों से सीधे लेंगे जानकारी
राहुल गांधी जिला अध्यक्षों से भी सीधा फीडबैक ले रहे हैं। जल्द ही जिला अध्यक्षों के साथ एक बड़ी मीटिंग भी आयोजित की जा सकती है। एआईसीसी ने जिला अध्यक्षों से राहुल गांधी के साथ बैठक के लिए उनके कामकाज और जिले की जानकारी का ब्यौरा भी मांगा गया है।
इस तरह से देना होगा रिपोर्ट कार्ड
कांग्रेस पदाधिकारियों को महीने के दूसरे सप्ताह में पिछले महीने के काम का पूरा विवरण मीडिया में आई खबरों के साथ देना होगा। नेताओं को यह बताना जरूरी होगा कि एक महीने में कितने दौरे किए, कितने दिन राजधानी से बाहर रहे, कितनी बैठकें की और धरना-प्रदर्शन में भाग लिया। यह भी बताना होगा कि युवाओं को पार्टी की गतिविधियों में शामिल करने के लिए क्या-क्या किया। फिलहाल जानकारी नेता को खुद ही लिखकर देना होगी। बाद में इसके लिए प्रोफार्मा तैयार किया जाएगा।
जमीन पर निकलना होगा, वरना छुट्टी
यह कवायद इसलिए शुरू की गई है, ताकि पद पाने वालों की जवाबदेही तय की जा सके। मतलब साफ है कि अब एक जगह जमे रहने की बजाए नेताओं को जमीन पर निकलना होगा, वरना संगठन से छुट्टी तय है। जो जितने दौरे करेगा उसको उतना बेहतर परफॉर्मर माना जाएगा।
इनका कहना है
राहुल गांधी की नजर पीसीसी के रोजाना के कामकाज पर तो है ही, साथ ही उनको सारे कार्यक्रम, रणनीति, कार्ययोजना की विस्तृत रिपोर्ट भी भेजी जा रही है। हर पदाधिकारी और उसके कामकाज का ब्यौरा उनकी टेबल पर होगा।
– मानक अग्रवाल, अध्यक्ष, मीडिया विभाग, कांग्रेस