राहुल गांधी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चल रही चर्चा के पहले भाग के नायक रहे. उन्होंने जान-बूझकर खुद को नरेंद्र मोदी के प्रतिद्वंदी के तौर पर पेश किया. संभवत: इसके पीछ खुद को महागठबंधन के नेता के तौर पर पेश करने का विचार रहा होगा.
चर्चा के दौरान राहुल गांधी आक्रमक अवतार में दिखे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और आरएसएस पर हमला बोलने के लिए उन्होंने प्रोटोकॉल तोड़ दिया और मोदी सरकार के चार सालों का विवरण जुमला स्ट्राइक के तौर पर दिया.
राफेल डील को लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री पर हमला बोला. उन्होंने सरकार पर मतदाताओं से झूठ बोलने और व्यापक भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया. राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप काफी अपमानजनक थे जिसके बाद स्पीकर सुमित्रा महाजन को उन्हें कानून का पाठ पढ़ाना पड़ा.राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर व्यक्तिगत हमले बोले और उन्हें उनके भारी-भरकम वायदों जैसे कि दो करोड़ युवाओं को नौकरी और हर किसी के अकाउंट में 15-15 लाख रुपये डालने की याद दिलाई.
इस दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को अमीरो का समर्थक और गरीबों का विरोधी बताया. उन्होंने कहा कि सत्ता मोदी की विवशता बन चुकी है इसलिए वह सत्ता छिनने के भय से भयभीत और क्रोधित रहते हैं. इसके विपरीत राहुल ने कहा कि उन्हें न तो अपने प्रतिद्वंदियों से क्रोध है और न सत्ता में रहने की ज्वलंत इच्छा.
बीजेपी से जवाबी हमले की उम्मीद करते हुए उन्होंने अपनी ‘पप्पू’ छवि को भी स्वीकार किया. दिलचस्प रुप से उनका भाषण धर्मनिरपेक्ष नहीं था इसमें उन्होंने भगवान शिव का भी आह्वान किया.
राहुल के भाषण का सबसे दिलचस्प भाग वह था जब वह प्रधानमंत्री मोदी के पास गए और उन्हें गले से लगा लिया.
जब राहुल गांधी बोल रहे थे तब प्रधानमंत्री उपेक्षापूर्ण तरीके से हंस रहे थे लेकिन जैसे ही उन्होंने राफेल डील का जिक्र किया तो मोदी की हंसी गायब हो गई.
मतदाताओं के लिए सोचने वाली बात यह होगी कि मनोरंजन के सिवाय अविश्वास प्रस्ताव से उन्हें हासिल क्या हुआ. वैसे लोकसभा चुनाव से पहले खुद को स्थापित करने का राहुल गांधी के पास यह शानदार मौका था जिसे वह भुनाने में कामयाब भी हुए.
यहां दिलचस्प बात यह भी है कि चर्चा के दौरान विपक्ष के भीतर के विरोधाभास भी खुलकर सामने आ गए. बहस के दौरान टीडीपी के सांसद ने कांग्रेस पर भी निशाना साध दिया जिसका राहुल गांधी ने कोई जवाब नहीं दिया
और आखरी मे आज के युवाओ के लिए बालकवि बैरागी जी की कविता समर्पित है आशा है की युवा जरूर जागेगे
चन्दे मातरम गंदे मातरम दंगे मातरम ना हो वन्दे मातरम् हो
जय हिन्द जय भारत
बलराम पांडेय
सलाहकार सम्पादक
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