अपनी कार्यप्रणाली और वेबाक राय रखने लिए चर्चित रहने वाली प्रदेश की महिला आईएएस अफसर दीपाली रस्तोगी अब आदिवासियों के नाम पर शैक्षणिक संस्थाओं का संचालन कर अनुदान की रकम हजम करने वालों पर शिकंजा कसने जा रही हैं। इसके लिए उनके द्वारा एक गाइड लाइन तैयार कराई गई है। जिस पर अमल के लिए कलेक्टरों को निर्देश दे दिए गए हैं। इसके साथ ही कलेक्टरों से कहा गया है कि वे इस तरह की निजी शैक्षिणिक संस्था का बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट जिले या राज्य के औसत से कम आता है तो उसका अनुदान रोक दें। यही नहीं दिए गए निर्देशों में कहा गया है कि इसके अलावा यदि किसी संस्था के खिलाफ कोई शिकायत है और उसका निराकरण जब तक नहीं हो जाता है तो उस संस्था के लिए जारी होने वाले अनुदान की किस्त को रोक दिया जाए। आदिवासी आयुक्त दीपाली द्वारा भेजी गई इस गाइड लाइन का सभी कलेक्टर व जिला प्रभारियों को सख्ती से पालन करने के लिए लिखा गया है। ऐसा नहीं करने पर संबंधितों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। इसके तहत 16 बिंदुओं पर अनुदान की मॉनिटरिंग के लिए लिखा गया है। नई गाइडलाइन में किसी भी विद्यार्थी के लिए बिना आधार से समग्र आईडी लिंक करे कोई आर्थिक मदद जारी नहीं करने के लिए कहा गया है। दीपाली ने लिखा है कि कलेक्टर के गठित दल से सालाना निरीक्षण के बाद ही अनुदान दिया जाए। साथ ही 30 सितंबर के पूर्व अनुदान की दूसरी किस्त का भुगतान अनिवार्य किया जाए। नवीनीकरण प्रस्ताव में नई मद के भुगतान पर रोक लगा दी है। पूर्व प्रस्ताव के तहत ही भुगतान किया जा सकता है। निरीक्षणों के जरिए भी जांचने के लिए कहा है कि स्वीकृत पद के हिसाब से ही अमला काम कर रहा है।