किसान की मौत पर नेता प्रतिपक्ष ने मांगा सीएम से इस्तीफ़ा

भोपाल : मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में सूखा राहत राशि न मिलने के विरोध में किसान मंगल यादव की आमरण अनशन के दौरान मौत हो गई| किसान की मौत से गुस्साए उसके परिजनों और गांव के लोगों ने शव रखकर प्रदर्शन किया, लेकिन न अफसर पहुंचे और न ही कोई जनप्रतिनिधि | किसान का परिवार की उम्मीद टूट गई है और वो अब दुखी है| पिछले साल की सूखा राहत राशि नहीं मिलने से खेत में बोवनी का संकट नजर आ रहा है|  इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सरकार पर हमला बोला है| अजय सिंह कहा किसान मंगल यादव की आमरण अनशन के दौरान मौत, 35 हजार करोड़ किसानों के खाते में डालने वाले मुख्यमंत्री के मुंह पर तमाचा है। इसी तरह मंडीदीप के राजू शर्मा को खुद मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना में स्वीकृति पत्र दिया लेकिन उन पर भारी दबंगों ने उसका आवास बनना रूकवा दिया। छत विहीन राजू को अंततः हारकर आत्महत्या करना पड़ी। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री में जरा भी शर्म है तो उन्हें अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए।

अजय सिंह ने कहा कि शिवराज सरकार के दावे झूठे और प्रमाण भी झूठे हैं। उन्होंने कहा कि छतरपुर के ग्राम डुमरा में पिछले वर्ष पड़े सूखे की राहत राशि एक साल बीत जाने के बाद भी किसानों को नहीं मिली। 14 जुलाई को लोक कल्याण शिविर में राहत राशि वितरण की सूचना किसानों को दी गई। किसान सुबह से रात तक बैठे रहे। राशि का वितरण नहीं हुआ। उनसे कहा कल होगा राशि का वितरण। इसके विरोध में 65 वर्षीय मंगल यादव आमरण अनशन पर बैठ गए। 18 जुलाई को उन्हें राजनगर अस्पताल ले गए जहां डाक्टरों ने ग्वालियर रेफर कर दिया। ग्वालियर ले जाने और इलाज के पैसे न होने के कारण परिजन ऐसा नहीं कर पाए जिससे उनकी मौत हो गई। किसान मंगल यादव सहित 150 किसानों को भाजपा सरकार ने तो एक साल बाद मुआवजा दे पाई और न ही वह मंगल को इलाज मुहैया करा पाई। किस मुंह से मुख्यमंत्री अपने को किसान पुत्र कहते हैं।

श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री को छपास के रोग में यह सुर्खिया बनी की उन्होंने 35 हजार करोड़ किसानों के खाते में डलवाए। मैंने तब भी सवाल किया था कि यह राशि किन किसानों को मिली मुख्यमंत्री उनके नाम पता गांव का नाम बताएं। वस्तुस्थिति यह है कि डुमरा गांव के किसान पिछले एक साल से सूखा राहत राशि के लिए भटक रहे हैं। आज शिवराज सरकार किसानों के लिए जानलेवा बन गई है। हक के लिए सड़क पर आते हैं तो छाती पर गोली चलाती है, कर्ज के बोझ तले उसे आत्महत्या करना पड़ती है और अब मंगल को राहत राशि न मिलने पर उसे अपनी जान गंवानी पड़ी।

दूसरी घटना मंडीदीप की भी शिवराज सरकार के दावों और फर्जीवाड़े की मिसाल है। श्री सिंह ने कहा कि मंडीदीप के राजू शर्मा को स्वयं मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास स्वीकृति का पत्र हितग्राही सम्मेलन में लाखों खर्च कर सौंपा। उसे पहली किश्त मिली। उसने अपनी झुग्गी उजाड़कर मकान बनाना प्रारंभ कर दिया लेकिन मुख्यमंत्री पर भारी माफिया और दबंगों ने उसका मकान का निर्माण रूकवा दिया। उसने न्याय के लिए तंत्र के हर दरवाजे पर दस्तक दी लेकिन न्याय नहीं मिला और उसे अंत में ट्रेन से कटकर आत्महत्या करना पड़ी।

अजय सिंह ने कहा कि यह दो घटनाएं बताती हैं कि शिवराज सरकार का 15 साल का शासन सिर्फ किसानों, नौजवानों और गरीबों को धोखा देने का शासन रहा है। जिस सरकार में जनता को सरकार के कारण अपनी जान देना पड़े उसे एक मिनिट भी पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है, उसे तत्काल अपना पद छोड़ देना चाहिए।