करीब दो महीने तक हॉस्पिटल में रहने के बाद जब अजीत जोगी छत्तीसगढ़ वापस पहुंचे, तो उन्होंने चुनाव के लिहाज़ से मोर्चा खोल दिया. शुरुआत हुई ‘खेत चलो अभियान से’, जिसका कार्यक्रम 23 जुलाई को नया रायपुर के मुजगहन में रखा गया. यहां किसानों के बीच जोगी ने वादा किया कि उनकी सरकार बनी, तो वो धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए देना शुरू करेंगे. जोगी ने कहा कि उनकी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ता 4 घंटे तक खेतों में किसानों का हाथ बटाएंगे.
जोगी और किसानों के बीच हो रही इस बातचीत के दौरान वहां मौजूद गिरिजा यदु नाम की एक महिला ने जोगी से बासी खाने की गुज़ारिश की. जोगी मुस्काए और महिला से बासी लाने के लिए कहा. बासी आया और जोगी ने अचार-चटनी के साथ खाया. फोटो खिंची और मीडिया-सोशल मीडिया में चलने लगीं कि जोगी ने लोगों के बीच लोगों का खाना खाया.लेकिन अपन तो ठहरे लल्लनटॉप. अपनी गरारी अटक गई बासी पर कि आखिर ये कौन सी चीज़ है, जिसे छत्तीसगढ़ वाले इतने चाव से खाते हैं. थोड़ा सा गूगल किया और एक फोन घुमाया, तो पता चल गया कि बासी क्या है. अब जो हमें पता चला, वो आपको तो पता चलना ही चलना है. तो आइए, जानते हैं क्या है बासी.देखो हम सभी के घरों में ऐसा होता है कि रात में बना खाना थोड़ा-बहुत बच जाता है. तो अपने छत्तीसगढ़ी भाई क्या करते हैं कि रात में जो चावल बच जाता है, उसे पानी में भिगोकर रख देते हैं. पका हुआ चावल. और इसमें पानी की मात्रा करीब आधी या दो-तिहाई रहती है. पानी डालकर इसे रातभर के लिए ऐसे ही छोड़ दिया जाता है.
सुबह तक चावल थोड़ा पानी सोख चुका होता है और थोड़ा उसी में बचा रह जाता है. फिर लोग इसे प्याज, अचार, दही, मिर्ची और पापड़ वगैरह के साथ खाते हैं. इसके अलावा लोग बासी को लाईबरी, बिजौरी या तली हुई मेथी मिर्ची के साथ भी खाते हैं.छत्तीसगढ़ के लोगों, खासकर किसानों के लिए बासी उनका मुख्य नाश्ता है. ज़्यादातर किसान सुबह जब खेतों में काम करने जाते हैं, तो यही खाकर घर से निकलते हैं.
हमारे एक छत्तीसगढ़ साथी ने ये भी बताया कि मान लीजिए आपने रात में चावल भिगोकर नहीं रखे और दोपहर में आपका बासी खाने का मन है, तो करना ये होता है कि चावल पकाकर उसमें पानी डालकर उसे डेढ़-दो घंटे के लिए रख दिया जाता है. इतने वक्त के बाद जो चीज़ बनकर तैयार होती है, उसे बोरा कहा जाता है.