आरक्षण विरोधी संगठन मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। यह फैसला रविवार को दिल्ली के राममोहन राय हॉल में जाति आधारित आरक्षण विरोधी संगठनों के महासम्मेलन में लिया गया। इस दौरान मध्य प्रदेश समाज संस्था की तर्ज पर सभी राज्यों में आरक्षण खत्म करने को लेकर संस्था के गठन पर सहमति भी बनी। दिल्ली के अभिषेक शुक्ला को सर्वसम्मति से राष्ट्रीय मंच का संयोजक चुना गया।
इस मौके पर सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संघ (सपाक्स) समाज संस्था मध्य प्रदेश के प्रतिनिधि व संस्था के संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी ने कहा कि आरक्षण जातिगत नहीं, आर्थिक आधार पर तय होना चाहिए। जातिगत आरक्षण 68 साल से जारी है। इसका लाभ अब एक विशेष तबका ही उठा रहा है। दूरस्थ, दुर्गम व ग्रामीण इलाकों में रहने वाले गरीब, पिछड़े लोगों तक लाभ नहीं पहुंच रहा है। सरकारों ने हमेशा योग्यता व दक्षता को दरकिनार किया है।
उन्होंने आगे कहा कि एट्रोसिटी एक्ट में सुधार व पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी केंद्र व राज्य सरकारें पालन नहीं कर रही हैं। समय आ गया है कि सामान्य, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग संगठित हो। त्रिवेदी ने कहा कि बड़े राजनीतिक दलों की वर्ग विशेष को संतुष्ट करने की घातक नीति के कारण देश में धीरे-धीरे वर्ग संघर्ष की स्थिति बन रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि आज आरक्षण विरोध के नाम पर कुछ लोग छोटी-छोटी पार्टी बनाकर लड़ना चाहते हैं, यह ठीक नहीं है।