CM शिवराज की घोषणा के बाद भी अटका संविलयन आदेश, अध्यापकों में आक्रोश

भोपाल : चुनावी साल में अध्यापकों को साधने के लिए की गई शिवराज सरकार की घोषणा कैबिनेट में मंजूरी के बावजूद अभी भी अधर में लटकी हुई है। जिसके कारण अध्यापकों में सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। दरअसल, राज्य कैबिनेट ने 29 मई को  2.37 लाख अध्यापकों के संविलियन एवं 1 जुलाई 2018 से सातवां वेतनमान देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके बाद अध्यापक आदेश के इंतजार में है। इस बीच 15 जून से नया शैक्षणिक सत्र भी शुरू हो गया है, लेकिन न तो संविलियन संबंधी आदेश जारी हुआ और न ही वेतनमान संबंधी कोई निर्देश जारी किए गए। वही अभी तक अध्यापकों की सेवा पुस्तिका और ई-केवाईसी अपडेट नहीं हुई है, जिसके कारण आदेश को लागू करने में देरी हो रही है।

दरअसल, प्रदेश की शिवराज सरकार ने चुनाव से पहले कर्मचारी संगठनों को साधने के लिए ताबड़तोड़ घोषणाएं की थी।इसमें कम संख्या वाले कर्मचारी संगठनों की मांगों पर अमल भी किया है, जिसकी वजह से प्रदेश में कर्मचारी आंदोलन थम सा गया है। लेकिन अध्यापकों को लेकर लिए गए फैसलों पर अमल नहीं होने से उनमें सरकार के प्रति आक्रोश पनपने लगा है। सरकार ने उनको 1 जुलाई से सातवां वेतनमान देने का तय किया था , लेकिन 10 जुलाई  तक भी आदेश जारी नहीं हुए थे, न ही कोई नियम प्रक्रिया बनाई गई थी। वही आज 28 जुलाई हो चुकी है और महिना खत्म होने में केवल तीन दिन बचे है और अभी तक अध्यापकों की सेवा पुस्तिका और ई-केवाईसी अपडेट नहीं हुई है। जिससे अभी इसे लागू करने में देरी होगी। हालांकि गुरुवार को लोक शिक्षण संचालनालय ने आदेश जारी कर अध्यापक संवर्ग को ई-केवाईसी और सेवा पुस्तिका अपडेशन करने के निर्देश दिए हैं। जिससे अभी प्रदेश के 2 लाख 37 हजार अध्यापकों की सेवा पुस्तिका के अपडेशन का कार्य किया जाना है।  इससे शासकीय अध्यापक संगठन में आक्रोश व्याप्त है।

मध्य प्रदेश के पडोसी राज्य छत्तीसगढ़ में रमन सरकार ने अध्यापकों का संविलियन करने का प्रस्ताव कैबिनेट में मंजूर कराकर 30 जून को इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं। वहीं मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 जनवरी 2018 को सीएम हाउस में अध्यापकों को शिक्षक बनाने की घोषणा की थी। लेकिन आदेश अब तक लटके हुए हैं।जिसके कारण अध्यापक आंदोलन के लिए मजबूर हो रहे है।शासकीय अध्यापक संगठन द्वारा चेतावनी भी दी गई है कि अगर शासन ने जल्दी संविलियन और सांतवें वेतनमान के आदेश जारी नहीं किए तो अध्यापक आंदोलन के लिए मजबूर होंगें, जिसकी जिम्मेदार सरकार खुद होगी।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दो लाख 37 हजार अध्यापक हैं, जो इस आदेश का इंतजार कर रहे हैं। इस कारण उनकी तबादला प्रक्रिया पर भी रोक लगा दी गई है। वहीं सातवें वेतनमान को लेकर भी अध्यापकों में असमंजश की स्तिथि बनी हुई है| एक जुलाई 2018 से वेतनमान देने की घोषणा की गई है, लेकिन जब तक संविलियन नहीं होगा, तब तक वेतनमान तय कैसे होगा। इसको लेकर इसमें भी संशय है।