प्रदेश के दोनों महानगर भोपाल व इंदौर को भले ही शिक्षा के अब के रूप में पहचाना जाता हो, लेकिन यह जिले भी इस मामले में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। इन दोनों ही जिलों की यह हालत तब है जब यहां पर देश भर की शिक्षण संस्थाओं की शाखाओं की भरमार बनी हुई है। खास बात यह है कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षा के स्तर में सुधार के नाम पर हर साल अरबों की राशि खर्च कर दी जाती है, फिर भी हालातों में कोई सुधार नहीं हुआ है। इस सबंध में हाल ही में आयी रिपोर्ट में चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। यह रिपोर्ट भी राज्य सरकार द्वारा जारी की गई है। जिसमें मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के दो दर्जन मंत्रियों के जिले शिक्षा में फिसड्डी बताए गए हैं। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के 31 मंत्री मे से 24 मंत्री जिन पांच पांच संभागों सागर, जबलपुर, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर से आते हैं, उन सभी संभागों के जिले शिक्षा में फेल हुए हैं।
किसी भी जिले को नहीं मिला ए ग्रेड
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किए जाने वाले तमाम दावों के बाद भी शिक्षा के मामले में प्रदेश का एक भी जिला एक्सीलेंस नहीं पाया गया है। यही वजह है कि अब तक किसी भी जिले को ए ग्रेड नहीं दिया जा सका है। सरकार इसके नाम पर हर साल अरबों रुपए खर्च करता है। इसके बाद भी शिक्षा के मामले में प्रदेश फिसड्डी बना हुआ है। एमपी के कई जिलों में ग्रामीण इलाकों में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार दावे तो तमाम करती है लेकिन जमीनी हकीकत पर बदलाव दूर दूर तक नजर ही नहीं आते हैं।
सुविधाओं का अभाव
सुविधाओं के अभाव में बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं। यहीं वजह है कि प्रदेश का एक भी जिला शिक्षा के बेहतर स्तर पर नहीं है। गौरतलब है कि स्कूलों में न तो पर्याप्त शिक्षक हैं न तो स्कूलों में सुविधाएं हैं। प्रदेश का एक भी जिला एक्सीलेंस नहीं बन पाया है। एक भी जिला करोड़ों रुपए के बजट खर्च करने के बाद भी ए ग्रेड हासिल नहीं कर पाया है।
डीईओ का प्रशिक्षण भी नहीं आया काम
ग्रेड सुधारने के लिए प्रदेश भर के तमाम जिला शिक्षा अधिकारी को दो दिनों तक प्रशिक्षण भी दिया गया। आने वाले दो से तीन महीनों में अपने जिलों के ग्रेड सुधारने के लिए निर्देश भी दिए गए। कम सुविधा के बाद भी सागर, देवास, नीमच, मंदसौर के जिलों में ग्रेड कम आने के बाद भी रिजल्ट अच्छा रहा।
दिया तीन माह का अल्टीमेटम
जिला शिक्षा अधिकारियों को इन जिलों का उदाहरण देकर शिक्षा को बेहतर बनाने टिप्स भी दिए गए। छात्र-छात्राओं के भविष्य को संवारने और ग्रेड सुधारने के लिए जिला शिक्षा अधिकारियों को दो से तीन महीने की समय भी दिया गया है। जिससे प्रदेश का कम से कम एक जिला तो सही शिक्षा के मामले में एक्सीलेंस बन सके।
किस संभाग में कितने मंत्री
– भोपाल संभाग: उमाशंकर गुप्ता, विश्वास सारंग, शिवराज सिंह चौहान, सूर्यप्रकाश मीणा, गौरी शंकर शेजवार, रामपाल सिंह।
– जबलपुर संभाग: शरद जैन, संजय पाठक, जालम सिंह पटेल, ओमप्रकाश धुर्वे, गौरीशंकर बिसेन।
– इंदौर संभाग: अंतर सिंह आर्य, विजय शाह, अर्चना चिटनिस, बालकृष्ण पाटीदार।
– ग्वालियर संभाग: माया सिंह, जयभान सिंह पवैया, नारायण सिंह कुशवाहा, यशोधरा राजे सिंधिया, नरोत्तम मिश्रा।
– सागर संभाग: गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, जयंत मलैया, कुसुम मेहदले, ललिता यादव।