विधानसभा चुनाव होने में अब महज चंद माह का समय रह गया है, ऐसे में पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ गठित हुए सपाक्स नामक संगठन ने ऐसा सियासी दांव चला है कि सभी राजनैतिक दलों में हडक़ंप मच गया है। सपाक्स संगठन द्वारा पहले ही इस बार विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे जाने की घोषणा से पहले से ही राजनैतिक दलों की मुश्किलें बढ़ी हुई थीं ऐसे में इस तरह की पोस्ट तेजी से वायरल होने की वजह से अब राजनैतिक दलों के रणनीतिकार हैरान व परेशान हैं। यही वजह है कि अब प्रदेश में सामान्य वर्ग के लोग अपनी नाराजगी तेजी से जाहिर कर रहे हैं। कई लोगों ने अपने घर के बाहर तख्तियां लगाकर लिख दिया है कि ‘हम सामान्य जाति के लोग है, राजनीतिक पार्टियां वोट मांगकर शर्मिंदा न करें।’ सोशल मीडिया पर भी ऐसी पोस्ट वायरल हो रही है।
आरक्षण है नाराजगी की वजह
आरक्षण को लेकर प्रदेश की राजनीतिक अजाक्स और सपाक्स के बीच बंट गई है। सामान्य वर्ग आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग कर रहा है। सरकार संविधान के अनुसार व्यवस्था का हवाला देकर ज्यादा बोलने से बच रही है। सीएम का आरक्षण खत्म न करने का बयान भी मुद्दा बना हुआ है। जिन घरों में आरक्षण विरोधी पोस्टर लगे हैं सपाक्स समाज उनसे संपर्क करने में जुटा है। सपाक्स के प्रदेश अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी कहते हैं कि सरकार वोट बैंक के लिए समाजों को वर्ग संघर्ष की स्थिति में खड़ा कर रही है।
यह बोले तख्तियां लगाने वाले
ग्वालियर के धीर सिंह सिकरवार का कहना है कि आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए। आरक्षण जाति देखकर देना है तो वोट भी जाति देखकर ही मांगा जाए। क्षत्रीय महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री सुरेंद्र सिंह तोमर कहते हैं कि आरक्षण ऐसा मुद्दा है जिसे छेडऩा भाजपा के लिए खुदखुशी के बराबर है।