Jan 07, 2018

मंगल भारत छत्तीसगढ़ बिलासपुर.छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ऋण पुस्तिका व अन्य दस्तावेज का दुरुपयोग रोकने के लिए अहम आदेश दिया है। आरोपी और उसके जमानतदार के आधार कार्ड का सत्यापन होने के बाद ही जमानत मिल सकेगी। जमानत के एक मामले में दिए गए फैसले में हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी ट्रायल कोर्ट के लिए गाइडलाइन जारी की है। गाइडलाइन का पालन न करने वाले न्यायिक अधिकारियों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

फर्जी दस्तावेज का दुरुपयोग रोकने लिया फैसला


बिलासपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी ट्रायल कोर्ट के लिए गाइडलाइन जारी की है।

– दरअसल, दुर्ग के स्पेशल कोर्ट में एक मामले में जमानत के लिए नीलकंठ पिता सुकुल दास की तरफ से ऋण पुस्तिका व अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे। दस्तावेज में जमानतदार को इंदवानी गांव का निवासी दर्शाया गया था। कोर्ट ने दस्तावेज को सत्यापन के लिए भेजा।

– संबंधित तहसीलदार ने जांच के बाद बताया कि इस नाम का कोई आदमी इंदवानी गांव में रहता ही नहीं है। इसके बाद कोर्ट के मोहर्रिर आरक्षक पारसनाथ ने रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत प्रकरण दर्ज किया था।

– जांच के बाद दुर्ग में रहने वाले आरोपी वेदप्रकाश गुप्ता उर्फ गुड्डा को गिरफ्तार किया गया। आरोपी एक वकील का क्लर्क था। आरोपियों को जमानत दिलाने के लिए वह ऐसा फर्जीवाड़ा करता था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उसकी जमानत अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच ने 9 बिंदुओं की यह गाइडलाइन जारी की।

9 बिंदुओं की यह गाइडलाइन जारी

1 जमानत के लिए प्रस्तुत दस्तावेज की जांच करने से पूर्व ट्रायल कोर्ट को आरोपी और जमानतदार का आधार कार्ड लेना होगा।
2 दस्तावेज और आधार कार्ड प्रस्तुत होने के एक हफ्ते में उनका सत्यापन करवाना होगा।
3 प्रस्तुत दस्तावेज के सत्यापन के बाद ही रिलीज ऑर्डर जारी किया जा सकेगा।
4 दस्तावेज फर्जी पाए जाने पर कोर्ट को पेश करने वाले पर एफआईआर करानी होगी।
5 संबंधित न्यायाधीश को जमानतदार की संपत्ति आदि का विवरण रजिस्टर बनाकर दर्ज करना होगा।
6 एक ही संपत्ति का दस्तावेज एक से अधिक मामले में जमानत के लिए पेश करने पर अर्जी रद्द हो।
7 दस्तावेज सत्यापन के लिए संबंधित राजस्व अधिकारी और पुलिस अधिकारी को सहयोग करना होगा।
8 ट्रायल कोर्ट को दस्तावेज के सत्यापन के बाद हाईकोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए प्रमाणित करना होगा।
9 हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने पर संबंधित न्यायिक अधिकारी पर विभागीय कार्रवाई होगी।