भोपाल। (मंगल भारत)। लगता है उस भारतीय जनता पार्टी ने जिसने २०१४ के लोकसभा चुनाव के पूर्व इस प्रदेश की जनता को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी-अमित शाह से लेकर हर भाजपाई नेता ने देश की जनता को अच्छे दिन आने के सपने तो दिखाए ही थे तो वहीं यूपीए सरकार को तमाम भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाकर देश की जनता में यह भ्रम फैलाया था कि कांग्रेस नीत यूपीए सरकार सबसे भ्रष्टतम सरकार है और इसके साथ इस देश की जनता से यह
वायदा किया था कि जब भाजपा सत्ता में आएगी तो देश की जनता से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश में हुए २००३ में हुए विधानसभा चुनाव के समय जिस तरह से प्रदेश की जनता को भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का वायदा किया था लेकिन दो वर्ष यदि उमा भारती और बाबूलाल गौर के शासनकाल को छोड़ दिया जाए तो भाजपा के १५ वर्षों के शासनकाल के १३ वर्षों के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार की गंगोत्री किस तरह से बही इसका प्रमाण तो इस दौरान प्रदेश की तमाम जांच एजेंसियों के द्वारा वल्लभ भवन में बैठै पीएस से लेकर पीडब्ल्यूडी के केयर टेकर तक के यहां जहाँ भी छापे की कार्यवाही की गई वह करोड़पति ही निकला। यह सब छापे की कार्यवाही बताती है कि मध्यप्रदेश में अधिकारियों और भाजपा के जनप्रतिनिधि और नेताओं ने किस तरह का भ्रष्टाचार किया है तो लगभग यही स्थिति प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज होते ही नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता से यह वादा किया था कि ‘ना खाऊंगा और ना खाने दूंगाÓ लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में इस देश को दुनिया के सभी देशों की तुलना में भ्रष्टाचार में नम्बर वन के पायदान पर पहुंचाने का श्रेय भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस वायदे को है। यह सब तो प्रशासनिक और भाजपाई नेताओं का खेल है लेकिन प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों के मंत्रीमण्डल में शामिल होने के लिये देश के विभिन्न देव स्थलों पर होने वाली विभिन्न प्रकार की पूजा व अनुष्ठानों की देव स्थलों द्वारा हर पूजा और अनुष्ठान की दर तय है। शायद इसी भारतीय संस्कृति की दुहाई देने वाली भाजपा ने भी इन्हीं देव स्थलों की तरह अपने मंत्रीमण्डल में मंत्री पद पाने के लिये अलग-अलग दरें भी तय कर रखी हैं हाल ही में शिवराज मंत्रीमण्डल के सदस्य गौरीशंकर बिसेन के इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो से तो कम से कम यही लगता है, जिसमें गौरीशंकर बिसेन यह चौंकाने वाली बातें कह रहे हैं कि सौ करोड़ रुपये में वे नरेन्द्र मोदी से केन्द्र में कृषि राज्यमंत्री के पद का ठेका ले लेंगे, तो वहीं २००३ में इस प्रदेश की जनता को भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने के वायदे के साथ-साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने पूरे कार्यकाल में प्रदेश को जीरो टालरेंस करने का ढिंढोरा पीटते रहे लेकिन उनके मंत्रीमण्डल में राज्यमंत्री का पद पाने के लिए प्रदेश के एक खनिज कारोबारी ने तीस करोड़ रुपये देकर राज्यमंत्री का पद प्राप्त किया था। यह दर तो राज्यमंत्री की है कैबिनेट मंत्री की दर क्या निर्धारित होगी यह तो भाजपा नेता ही बता सकते हैं। गौरीशंकर बिसेन के इस वायरल हो रहे वीडियो में सौ करोड़ रुपये में केन्द्र की भाजपा सरकार के मुखिया नरेन्द्र मोदी के मंत्रीमण्डल में सौ करोड़ रुपये देकर कृषि राज्यमंत्री का ठेका लेने की जो बात वीडियो में गौरीशंकर बिसेन करते दिखाई दे रहे हैं उससे भी यह साफ जाहिर होता है कि ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा को ढिंढोरा पीटने वाले नरेन्द्र मोदी के मंत्रीमण्डल में भी सौ करोड़ रुपये देकर कृषि राज्यमंत्री पद पाया जा सकता है। बिसेन के इस वायरल वीडियो से यह संकेत मिलता है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मंत्रीमण्डल में राज्यमंत्री पद पाने के लिए तीस करोड़ देने पर राज्यमंत्री का पद पाया जा सकता है तो नरेन्द्र मोदी के मंत्रीमण्डल में केन्द्रीय मंत्री पद पाने की दर कुछ अलग होगी? यूँ तो भाजपा के शासनकाल में सबका साथ, सबका विकास के नारे के साथ देश और प्रदेश का कितना विकास हुआ और विकास के नाम पर किसका विकास हुआ भाजपाई नेताओं का या देश या प्रदेश का? यह तो भाजपाई नेताओं के लिये शोध और जांच का विषय है। हाँ, यह जरूर है कि मध्यप्रदेश में विकास के नाम पर बही भ्रष्टाचार की गंगोत्री के चलते जिन भाजपाई नेताओं और जनप्रतिनिधियों का विकास इन दिनों दिखाई दे रहा है और इसी तरह के विकास के चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सपनों का स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने का भी ढिंढोरा खूब पीटा गया लेकिन यह विकास केवल कागजों पर ही हुआ, जमीनी हकीकत इस विकास की क्या है इसका खुलासा तो स्वयं मुख्यमंत्री के द्वारा सूखा पर्यटन के नाम पर अधिकारियों के माध्यम से विकास का जमीनी स्तर पर जायजा लेने के लिये जब अधिकारियों को भेजा गया था तो उन्होंने जो अपनी रिपोर्ट दी थी उस रिपोर्ट में भी विकास की जो तस्वीर मुख्यमंत्री के समक्ष पेश की गई थी उसमें इन अधिकारियों ने लिखा था कि सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार न होने की वजह से सही हितग्राहियों को उनके हितों की योजनाओं की सही जानकारी नहीं पहुंचा पा रही है, तो वहीं बिना भजकलदारम् के कोई काम भी प्रदेश में आम व्यक्ति का नहीं हो रहा है जबकि शिवराज के शासनकाल में हर योजना के नाम पर उनकी मनमोहक छवि वाले विज्ञापन आये दिन समाचार पत्रों के साथ-साथ टीवी चैनलों पर भरमार रहती थी पता नहीं इन विज्ञापनों में अपनी मनमोहक छवि देखकर शिवराज सिंह अपनी सरकार की योजनाओं की सफलता का आंकलन किस प्रकार करते हों यह तो उनका मापदण्ड है, लेकिन यह जरूर है कि भाजपा के शासनकाल में जहां प्रधानमंत्री के ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा के नारे के चलते राफेल जैसे सौदे भी हुए हैं और इस राफेल सौदे के बारे में प्रबुद्ध वर्ग ही नहीं बल्कि फुटपाथों और मण्डियों में बैठने वाला आलू का व्यापारी भी जानने की उत्सुकता के चलते यह प्रश्न करने लगा है कि यह राफेल का सौदा क्या है? और मजे की बात तो यह है कि इस सौदे के बारे में भाजपा की वह नीति भी कारगार नहीं हो पाई जिसमें झूठ बोलो जोर से बोलो और सौ बार बोलो की नीति के चलते अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढांचे को भाजपा नेताओं ने ध्वस्त करने में सफलता प्राप्त की थी। लेकिन राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के बार-बार राफेल सौदे को लेकर लगाये जाने वाले आरोपों का सही जवाब न तो प्रधानमंत्री इस देश की जनता को दे पा रहे हैं और ना ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और ना ही बड़े दमदारी से हर चीज झूठ को जोशीले शब्दों में तब्दील करने वाले भारतीय जनता पार्टी के वह प्रवक्ता जो आये दिन राफेल सौदे को लेकर चलने वाली निजी टीवी चैनलों पर चलने वाली बहस में भाग लेते दिखाई देते हैं। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रीमण्डल के सदस्य गौरीशंकर बिसेन के इन दिनों सोशल मीडिया पर हो रहे वीडियो वायरल से यह बात साफ हो गई है कि ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा का प्रधानमंत्री के इस जुमले में कितनी सच्चाई है तो वहीं दूसरी ओर सौ करोड़ रुपये देकर उनके मंत्रीमण्डल में कृषि राज्यमंत्री बनने का ठेका लेने का जिस तरह से गौरीशंकर बिसेन ने दावा किया उससे यह साफ जाहिर हो जाता है कि भाजपा में मंत्री परिषद में जगह पाने से लेकर संगठन का पद प्राप्त करने के लिये पद के अनुसार दरें तय हैं। तभी तो मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में संगठन मंत्री का एक पद पाने के लिये खबरें सुर्खियों में रहीं तो वहीं भोपाल के जिला अध्यक्ष का पद पाने के लिये पांच करोड़ रुपये की संगठन की बोली की चर्चा भी सुर्खियों में रही। सवाल यह उठता है कि जब मंत्रीपरिषद से लेकर संगठन में पद पाने के लिये एक-एक पद का भाजपा ने अपनी दरें निर्धारित कर रखी हैं तो इन दरों को देकर पद पाने वाला नेता क्या केवल सरकारी सुविधायें लेकर केवल पद पाने से संतुष्ट रहेगा। वह पद पाने के लिए दी गई राशि को तो कहीं न कहीं से उसकी पूर्ति तो करेगा। यही वजह है कि मध्यप्रदेश में हुए शिवराज के नेतृत्व में पिछले २००८ और २०१३ के चुनावों में नरेन्द्र मोदी के एक कैबिनेट मंत्री ने विधानसभा के अधिकारी के माध्यम से टिकट बेचने का गोरखधंधे को अंजाम दिया। अब सवाल यह उठता है कि २०१८ के विधानसभा चुनाव के लिये चली रही पार्टी के प्रत्याशियों के लिये मंथन, चिंतन और मनन के इस दौर में उक्त केन्द्रीय मंत्री द्वारा विधानसभा अधिकारी द्वारा विधायकी के कितने उम्मीदवारों की सुपारी ली गई थी और उस ली गई सुपारी में कितने भाजपा के वह उम्मीदवार उक्त केन्द्रीय मंत्री के सिफारिश के चलते चुनावी समर में उतरेंगे यह भी भाजपा के नेताओं के लिए जांच का विषय है। हालांकि भाजपा के शासनकाल में ऐसे-ऐसे खेल हुए हैं जिन्हें देख व सुनकर बड़ा अजूबा सा लगता है, एक ओर भाजपा सरकार के मुखिया बेटी बचाओ अभियान चलाते हैं तो दूसरी ओर भाजपा के पदाधिकारी देह व्यापार का कारोबार ऑनलाइन चलाते पकड़े जाते हैं तो शिवराज मंत्रीमण्डल के मंत्री अपने नेताओं की रासलीला रचाने के लिए गोपिकाओं का प्रबंध करने के मामले को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है तो वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जीरो टालरेंस के ढिंढोरे के बाद भी राज्य में भ्रष्टाचार की क्या स्थिति रही यह तो इस स्थिति से गुजरने वाला वह नागरिक अच्छी तरह से बता सकता है जिसकी पैसे के लेनदेन के बिना वह अपने काम की फाइल तक नहीं चलवा सका। तो वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के स्वर्णिम मध्यप्रदेश जिसे अब वह समृद्धि मध्यप्रदेश बनाने बनाने के लिये नये-नये आइडिया मांग रहे हैं। उन्हीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बुढ़ापे की काशी नर्मदा में उनके शासनकाल में जिसको जहां दिखा वहां किस तरह से किन-किन लोगों ने रेत का अवैध खनन कर नर्मदा की क्या दुर्गति कर दी उस प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा में नहाने की तो बात छोड़ो आचमन के लिये भी शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है। आगे समृद्ध मध्यप्रदेश में इस नर्मदा की क्या स्थिति होगी, इसकी तो कल्पना ही की जा सकती है, शायद यही वजह है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के स्वर्णिम मध्यप्रदेश के बाद समृद्ध मध्यप्रदेश के लिये जो आइडिया मांगे जा रहे हैं क्या उन आइडिया को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं और लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि क्या स्मृद्ध मध्यप्रदेश में अभी तो शराब ने घर पहुंच सेवा का रूप ले रखा है आगे इस शराब के कारोबार से जुड़े लोग अब शहरों व गांवों में पेयजल व्यवस्था की तरह बड़ी-बड़ी टंकियां खड़ी कर पाइप लाइन के माध्यम से शराब को घरों तक पहुंचाकर यह सुविधा उपलब्ध कराएंगे कि जब मन आओ टोंटी खोलो और एक घूंट शराब पियो या फिर जीरो टालरेंस के दावे के चलते अब समृद्ध मध्यप्रदेश में सुपरस्टार हीरो राजेश खन्ना की फिल्म अपना देश की तरह अब आवेदन के साथ वेट रखने की परम्परा इस प्रदेश में लागू हो जाएगी जिसके तहत आवेदन के साथ सरकार द्वारा निर्धारित राशि पंच कर राशि देने की परम्परा लागू हो जाएगी और भाजपा के महिला सशक्तिकरण के नाम पर जिस मध्यप्रदेश में महिलाओं और प्रदेश के मुख्यमंत्री की लाड़ली भांजियों के साथ दुष्कर्म के मामले में मध्यप्रदेश पहले पायदान पर है अब वह किस स्थिति में पहुंचेगा। इसकी कल्पना ही की जा सकती है। समृद्ध मध्यप्रदेश में शायद इसके लिये कुछ आइडिया मांगे जा रहे हों। इन सबको देखकर यह जरूर आम मतदाता के यह समझ में आने लगा है कि भाजपा के प्रधानमंत्री से लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के नेता किस तरह से सत्ता पाने के लिये क्या-क्या जतन ईजाद करने में जुटे हुए हैं। तो वहीं यह सवाल भी उठता है कि जो मध्यप्रदेश आज भाजपा और मुख्यमंत्री के आये दिन होने वाले महंगे आयोजनों के कारण करोड़ों का कर्जदार है और चौथी बार सत्ता में काबिज होने के लिये मुख्यमंत्री नित्य नई-नई योजनाओं के लॉलीपॉप थमाने में लगे हुए हैं, क्या वह सब समृद्ध मध्यप्रदेश में कैसे पूरे हो पाएंगे इसको लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं?