मंगल भारत सतना:- साक्षात्कार
राजीव सिंह – नववैचारिक प्रवाह
निश्चित तौर पर मै युवाओं का नेत्रत्व करता हूँ,तो मै युवाओं की ही बात करूँगा।
और युवाओं की सबसे बड़ी समस्या है बेरोजगारी, बेरोजगार युवा आत्मग्लानि के कारण या तो नशे की चपेठ मे फसते जा रहे हैै, या तो आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर मजबूर है।
इस वक्त हमारे देश मे सबसे ज्यादा युवाशक्ति है,मगर उसके लिए लगभग सभी दरवाजे बंद है। सरकार भी अपनी खानापूर्ति कर शाँत हो जाती है युवाशक्ति के भविष्य के बारें मे कोई ठोस कदम नही उठाया जा रहा है,
जिसके फलस्वरूप युवाशक्ति का दुरूपयोग हो रहा है।
हिंदी मे एक कहावत प्रासिद्ध है कि “खाली दिमाग शैतान का घर” ये सच होता दिख रहा है।
और ईसका जीता जागता उदाहरण है “पदमावत्” जिसमे क्षत्रिय समाज के युवाओं के साथ समस्त हिंदूवादी युवाओं का कंधे से कंधा मिलाकर चलना है। जिसके फलस्वरूप सरकार को कई राज्यों मे फिल्म को बैन करना पड़ा ।
ये किसी और की नही हिंदुस्तान के युवाओं की दहाड़ थी,जिसे सुनकर हिंदुस्तानी हुकुमत भी थर्रा उठी, और फिल्म को बैन करना पड़ा ।
मै आपके माध्यम से इस जीत के लिए उन तामाम युवा संघठनों और युवाशक्ति को बाधाई देना चाहता हूँ। जिनने इस लडा़ई को अपना जुनून बनाकर निडरता से पदमावत् की खिलाफत की।
यह लड़ाई सिर्फ क्षत्रिय समाज की नही अपितु सम्पूर्ण हिंदूस्तानियों की है,क्योंकि एक षड़यंत्र के साथ कुछ ताकतों ने हमारे अहंकार ,गुरुर और हमारे स्वाभिमान को ललकारा है।
मै अपने सभी युवा भाईयों से आग्रह करता हूँ।कि एकजुट होकर बेरोजगारी को मुद्दा बनाएँ और ऐसी ललकार लगाएँ कि युवा शेरों की गर्जना से बहरी हो चुकी सरकार के भी कान फटने लगें और मजबूर होकर युवाओं को रोजगार देना ही पड़े।
साथ में जिनके तजुर्बे चलते हों’
उँन्हे बैशाखियों की जरूरत नही पड़ती।