मुश्किल में कमलनाथ सरकार! राहुल से मिलने पहुंचे कई एमलए, विधायक राजवर्धन ने कहा- इस्तीफा दे दूंगा.
भोपाल . कांग्रेस सरकार की मुश्किलें उसकी अपनों ने ही बढ़ा दी है। मंत्री नहीं बनाने से कई विधायक नराज हैं तो पार्टी में इस्तीफों का भी दौर शुरू हो गया है। गुरुवार को मुरैना जिले के सुमावली से ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मदन शर्मा ने इस्तीफा दे दिया। वह एंदल सिंह कंसाना को मंत्री नहीं बनाए जाने से विरोध कर रहे हैं। वहीं, मंत्रिमंडल में नहीं लेने से सुवासरा विधायक हरदीप सिंह डंग भी मायूस हैं। मंत्री नहीं बनाए जाने से कई विधायकों ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बदनावर सीट से कांग्रेस विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने गुरुवार को आरोप लगाते हुए कहा कि वंशवाद की राजनीति के कारण उनका हक छीन लिया गया है। उन्होंने कहा कि मेरे साथ अन्याय हुआ और मैं इसका जवाब इस्तीफा देकर दूंगा।
राहुल गांधी से मुलाकात के लिए पहुंचे दिल्ली
राजवर्धन सिंह सिंह ने कहा, मैं भी अगर किसी पूर्व मुख्यमंत्री या बड़े नेता का बेटा या रिश्तेदार होता तो आज मैं भी मंत्री बन जाता। दूसरी तरफ कांग्रेस के असंतुष्ट विधायक केपी सिंह, एंदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह समेत करीब 10 विधायक दिल्ली पहुंच गए हैं। वे राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे औऱ मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं औऱ अपनी बात रखेंगे। राजवर्धन सिंह ने कहा, “मुझे मंत्री बनने का शौक नहीं है। किंतु यह मेरा हक था, जिसे मुझे नहीं दिया गया। क्षेत्र की जनता को उम्मीद थी कि मैं इस बार मंत्री बनूंगा। बता दें कि राज्वर्धन सिंह धार जिले की बदनावर सीट से विधायक हैं।
कंसाना भी नाराज
मंत्री नहीं बनाने से नाराज कांग्रेस विधायक और वरिष्ठ नेता केपी सिंह, एंदल सिंह कंसाना भी नाराज हैं। कंसाना ने कहा कि उनके साथ 8 से 10 विधायक दिल्ली में हैं। दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी दिल्ली पहुंच गए हैं। बता दें कि केपी सिंह और कंसाना को दिग्विजय गुट का ही माना जाता है। ये नेता दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में मंत्री भी थे।
अभी तक नहीं हो सका विभागों का बंटवारा
कमलनाथ कैबिनेट गठन के बाद अभी तक विभागों का बंटवारा नहीं हो सका है। गुरुवार को कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच तीन दौर की बातचीत के बावजूद विभाग बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई। बताया जा रहा है कि गृह, वित्त, स्वास्थ्य और नगरीय प्रशासन मंत्रालय को लेकर पेंच फंसा हुआ है। इन विभागों पर तीनों नेता अपने-अपने गुट के नेताओं को बैठाना चाहते हैं। मंत्रियों के विभागों पर सहमति नहीं बनने के बाद लिस्ट को दिल्ली भेजा गया है। दिल्ली से सूची फाइनल होने के बाद अब विभागों को बंटवारा हो सकेगा। सबसे ज्यादा पेंच गृह और स्वास्थ्य पर फंसा है। बताया जा रहा है कि विभागों पर सहमति बनाने के लिए कमलनाथ ने कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ लंबी चर्चा की थी।
अहम विभागों को अपने समर्थकों को देना चाहते हैं कमलनाथ
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ गृह, नगरीय प्रशासन, पीडब्ल्यूडी, और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी जैसे मंत्रालय को अपने करीबी नेताओं को देना चाहते हैं। वहीं, दूसरी तरफ इन विभागों में से दो मंत्रालय पर दिग्विजय और सिंधिया एकमत नहीं हैं। इसी कारण एक बार फिर से सूची अटक गई। कमलनाथ-दिग्विजय द्वारा स्वास्थ्य और नगरीय प्रशासन पर जिन मंत्रियों के नाम तय किए जा रहे हैं, उन पर सिंधिया ने असहमति जताई है। सूत्रों का कहना है कि डॉ. प्रभुराम चौधरी के लिए स्वास्थ्य विभाग चाहते हैं, जबकि चौधरी को स्कूल शिक्षा दिया जा रहा है। वहीं, दिग्विजय सिंह वरिषअठता के आधार पर डॉ गोविंद सिंह को गृह मंत्रालय और बेटे जयवर्धन सिंह को वित्त मंत्रालय दिलाना चाहते हैं।