हरिद्वार, दिल्ली और रायपुर के धर्म संसद में अभद्र भाषा
इस्तेमाल किए जाने की घटना पर देश के चार पूर्व नौसेना प्रमुखों सहित 160 से अधिक प्रबुद्ध नागरिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लिखे गए खुले पत्र में प्रबुद्ध नागरिकों ने इस तरह के भाषणों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए इसे हिंसा को उकसाने वाला बताया है। प्रबुद्ध नागरिकों ने धर्म संसद में अपमानजनक भाषण के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लिखे गए खुले पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास (रिटायर्ड), एडमिरल आरके धवन (रिटायर्ड) और एक पूर्व वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल एसपी त्यागी (रिटायर्ड) सहित कुछ सेवानिवृत्त नौकरशाहों, पत्रकारों, वकीलों सहित अर्धशास्त्री और छात्र शामिल हैं।
इन सभी लोगों की हाल फिलहाल की धर्म संसद की घटना पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि 17-19 दिसंबर तक हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद नामक तीन दिवसीय धार्मिक सम्मेलन के दौरान दिए गए भाषणों के कंटेंट से वे परेशान हैं। पत्र में कहा गया है ‘बार-बार हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात कही जा रही है। यदि यह इतना ही जरूरी है तो हिंदू धर्म की रक्षा के नाम हथियार उठाकर भारत के मुसलमानों की हत्या कर दी जाए।’ प्रबुद्ध नागरिकों ने अपने पत्र में आगे कहा है ‘हरिदवार में धर्म संसद के आसपास दिल्ली में भी बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए और सार्वजनिक रूप से भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया। वहीं, अन्य जगहों पर भी इस तरह की देशद्रोही बैठकें आयोजित की जा रही है।’ प्रबुद्ध नागरिकों ने केंद्र सरकार से इन घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह करते हुए लिखा है जिस भी पार्टी और व्यक्तियों ने इस तरह के नरसंहार की बात की है, उसके खिलाफ भारत और सरकार और न्यायपालिका को तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है। प्रबुद्ध नागरिकों ने आगे कहा कि हम ऐसी चीजों को अनुमति नहीं दे सकते हैं जो न केवल आंतरिक सुरक्षा के मानकों का उल्लंघन करती है, बल्कि हमारे सामाज को भी तोड़ सकती है।