भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। पंचायत चुनाव
नहीं हो पाने के बाद अब एक बार फिर से प्रदेश की शिव सरकार पंचायतों की प्रशासकीय समितियों को वित्तीय अधिकार देकर उन्हें पूरी तरह से सक्रिय करने का कदम उठा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह है प्रदेश में फैल रहे कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को पर रोक लगाने में उनकी भूमिका। यही वजह है कि अब सरकार ने तय किया है कि वह ग्राम स्तरीय आपदा प्रबंधन समूहों को सक्रिय कर उन्हें इस काम में फिर से लगाने का तय कर चुकी है। इसकी घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज सोमवार को ग्राम, जनपद और जिला पंचायत की प्रशासकीय समितियों के प्रधान और सदस्यों को संबोधित करते समय की है। इसमें उन्हें मुख्य रूप से रोको-टोको अभियान चलाने का जिम्मा दिया गया है। दरअसल पंचायतों की प्रशासकीय समितियों को फिर से अधिकार दिए जाने की मांग को लेकर प्रदेशभर में उनके प्रतिनिधियों द्वारा ज्ञापन दिए जा रहे हैं। दो दिन पहले भी अपनी इसी मांग को लेकर पूर्व सरपंचो का एक दल मुख्यमंत्री से मुलाकात कर चुका था। छह जनवरी 2022 को पूर्व सरपंच (प्रधान) की प्रशासकीय समिति से वित्तीय अधिकार शासन द्वारा वापस लिए जा चुके हैं। माना जा रहा है कि जिस तरह कोरोना की पहली और दूसरी लहर से निपटने में पंचायतों की प्रशासकीय समितियों ने जागरूकता के काम किए थे, उसी तरह एक बार फिर गतिविधियां संचालित की जाएंगी। मुख्यमंत्री आपदा प्रबंधन समूहों को टीकाकरण से जो भी पात्र व्यक्ति या बच्चे वंचित रह गए हैं, उन्हें चिन्हित कराके टीका लगवाने में स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करने की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है। साथ ही यह अपील भी की है कि जिन व्यक्तियों को सर्दी, खांसी या बुखार है, उनकी पहचान करके स्वास्थ्य कर्मियों को सूचित करें ताकि जांच हो सके। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए किसी भी जगह पर भीड़ को एकत्र न होने दें और मास्क का उपयोग अनिवार्य रूप से करने के लिए लोगों को प्रेरित करें। उधर, पंचायतों की प्रशासकीय समितियों को वित्तीय अधिकार वापस देने के संबंध में भी घोषणा की है। दरअसल, पंचायत चुनाव की घोषणा होने के बाद पूर्व सरपंच की अध्यक्षता वाली प्रशासकीय समितियों से अधिकार वापस ले लिए गए थे। चुनाव निरस्त होने के बाद चार जनवरी को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने फिर से वित्तीय अधिकार बहाल करने के आदेश जारी किए पर एक दिन बाद ही छह जनवरी को इस पर रोक लगा दी। पूर्व सरपंच इसका विरोध कर रहे हैं और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सहित मंत्रियों से मुलाकात करके ज्ञापन भी सौंप चुके हैं।
पंचायतों के कामकाज पर सस्पेंस समाप्त
इस आदेश के बाद मध्यप्रदेश में एक बार फिर पंचायतों के संचालन को लेकर सस्पेंस बन गया था, जो अब समाप्त हो गया है। इसकी वजह थी पिछले आदेश को निरस्त करने के बाद इस बात का कोई आदेश जारी नहीं किया है, जिसमें पंचायतों के संचालन की जिम्मेदारी किसे दी जाएगी। फिलहाल अब सरकार की तरफ से नया आदेश जारी किया जा रहा है।
दो दिन में ले लिया था आदेश वापस
प्रदेश में पंचायत चुनाव निरस्त होने के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पंचायतों में कार्यों के संचालन के लिए प्रधान प्रशासकीय समिति की व्यवस्था लागू की थी। विभाग ने 4 जनवरी को आदेश जारी कर सरपंच व सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से बैंक खातों का संचालन करने का अधिकार दिया गया था। जनपद और जिला पंचायत स्तर पर भी यही व्यवस्था लागू की गई थी। इसके दो दिन बाद ही अचानक छह जनवरी को यह आदेश वापस ले लिया गया था। प्रदेश में मार्च, 2020 में ही 22, 604 पंचायतों में सरपंच और पंच का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इसी तरह 841 जिला और 6774 जनपद पंचायत सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। नियमानुसार यहां चुनाव हो जाने चाहिए थे, पर किसी न किसी कारण से ये टलते रहे हैं। दरअसल राज्य निर्वाचन आयोग ने जनवरी में चुनाव कराने की तैयारी की थी, लेकिन ये भी नहीं हो पाए। आदर्श आचार संहिता भी समाप्त हो चुकी है। पंचायतों में कार्य प्रभावित न हों इसके लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पूर्व सरपंच को ही प्रधान बनाकर अधिकार दिए हैं। इसके लिए प्रशासकीय समिति बनाने की व्यवस्था बनाई है। पंचायत सचिव और प्रधान प्रशासकीय समिति के संयुक्त हस्ताक्षर से पंचायत के खातों का संचालन किया जाएगा।