- विकास योजनाओं को पूरा कराने विधायक लेते है प्रश्नों का सहारा …
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। विधानसभा क्षेत्र में
विकास और लंबित योजनाओं, कार्यों का पूरा कराने के लिए विधायक विधानसभा में प्रश्नों का सहारा लेते हैं। दरअसल, विधानसभा क्षेत्र में चल रहे विकास कार्य को समय पर कराने के लिए जब विधायक अफसरों से कहते हैं तो उनकी सुनी नहीं जाती है। कभी बजट का बहाना तो कभी निर्देश या अन्य बहाना बनाकर काम को लटकाए रखा जाता है। ऐसे में विधायक विधानसभा में उस काम से संबंधित प्रश्न पूछकर सरकार का ध्यान उस ओर केंद्रीत करते हैं, साथ ही अफसरों पर इससे काम कराने का दबाव पड़ता है। जो काम सालों से लंबित रहता है वह प्रश्न लगाते ही शुरू हो जाता है। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए विधायकों ने इस बार क्षेत्रीय विकास से संबंधित कई प्रश्न विधानसभा में लगाए थे। महत्वपूर्ण बात निकलकर आई कि जब कोई विभाग विधायकों के पत्रों पर कार्रवाई नहीं करता है तो उसे विधानसभा में ले जाते हैं और इसके माध्यम से डिमांड काफी हद तक पूरी हो जाती है। बजट सत्र के दौरान अधिकांश विधायकों ने अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य, प्रधानमंत्री आवास योजना, जल, जीवन मिशन, आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन, सड़कों के निर्माण और सिंचाई सुविधाओं को लेकर सवाल लगाए हैं। कुछ ने भ्रष्टाचार पर फोकस किया।
किसी ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तो किसी ने आंगनबाड़ी पर लगाया सवाल
विधानसभा चुनाव के लिए डेढ़ साल का समय बचा है, इसके पहले माननीय विकास कार्यों में तेजी चाहते हैं। इसलिए उनका फोकस ऐसे कार्यों पर रहा है, जिनसे जनता का जुड़ाव सबसे अधिक हो। बहोरीबंद (कटनी) के विधायक प्रणय प्रभात पांडे ने सवाल किया है कि स्लीमनाबाद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उन्नयन होने से कितने बिस्तर का होगा एवं उसमें कौन-कौन सी सुविधाएं रहेंगी। कितने पद स्वीकृत हैं और रिक्त पद कबतक भर दिए जाएंगे। इस संदर्भ में विधायक कहते हैं अगर सवाल चर्चा में आ गया तो डॉक्टर की डिमांड पूरी हो जाती है। यह सही है कि डॉक्टर गांवों में नहीं रहना चाहते हैं। मेरे इस प्रश्न से वैकल्पिक व्यवस्था हो गई। सदन में अफसर झूठी जानकारी उपलब्ध नहीं कराएंगे। इस बार विधानसभा चुनाव में सिंचाई पर फोकस है। वहीं उमाकांत शर्मा ने सिरोंज लटेरी विकासखंडों में कितने शासकीय सिविल अस्पताल, सामुदायिक अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र स्वीकृत हैं यह सवाल लगाया है। जालम सिंह पटेल ने नरसिंहपुर, करेली नगर पालिका और जनपद पंचायत क्षेत्रों में कितने आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं, कितने आंगनबाड़ी भवन विहीन हैं तो इंजीनियर प्रदीप लारिया ने सागर जिला अन्तर्गत कितनी नलजल योजनाएं प्रस्तावित हैं। नल जल योजनाओं में नरवावली विधानसभा क्षेत्र के किन किन ग्रामों को शामिल किया गया है आदि सवाल पूछा है।
अफसर के नहीं सुनने पर लगाते हैं सवाल
पूर्व मंत्री और कसरावद के कांग्रेस विधायक सचिन यादव ने सवाल किया है कि क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसरावद को 100 बिस्तरों का सिविल अस्पताल में उन्नयन का प्रस्ताव सूची में शामिल था। अगर हां तो इस पर क्या कार्रवाई की गई। इस पर विधायक का कहना है कि निचले अफसर और शासन से डिमांड पूरी नहीं होती है तो विधानसभा में सवाल लगाते हैं। जनता को भी पता चलता है कि मांग पूरी क्यों नहीं हो रही। प्रश्न लगाकर हम मूल उद्देश्य में पहुंच जाते हैं। इस बार बजट सत्र में सरकार भी कई विधायकों के प्रश्नों का जवाब नहीं दे पाई है। यह अफसरों की लापरवाही और अनदेखी का परिणाम है। वहीं सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ल सवाल किया है कि सीधी जिले में महिला एवं बाल विकास के पोषण आहार कार्यक्रम के तहत करीब 2 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। यह किसको एवं क्यों किया गया। लोकायुक्त या पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई की नहीं। विधायक कहते हैं कि प्रश्न पूछने से कार्रवाई शुरू हो गई है। कलेक्टर ने जांच टीम बना दी है। प्रश्न लगाने के पहले शिकायत की थी। जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग के तहत एसटी का पैसा सामान्य लोगों में दे दिया गया। करोड़ों का घोटाला हुआ है। प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। धार विधायक नीना विक्रम वर्मा ने सवाल किया है कि क्या पीथमपुर क्षेत्र में वर्तमान में चिकित्सा व्यवस्था हेतु पर्याप्त अमला तथा चिकित्सक एवं सह कर्मचारी हैं। कितने पद स्वीकृत हैं और कितने पदस्थ हैं। विधायक का कहना है कि सदन में सवाल लगाने का मकसद कुछ और होता है। पूरक प्रश्न पूछने पर डिमांड पूरी होती है। ऐसे में हमारा यही छोटा प्रश्न उपयोगी हो जाता है। मेरे क्षेत्र में विकास कार्य बहुत हुए हैं और आगे भी हो रहे हैं। विधानसभा चुनाव को लेकर अभी काफी समय है। हालांकि हमने अपने कार्यकाल में करोडौं रुपए के विकास कार्य पूरे कराए हैं।