मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। शिवराज कबीना के वरिष्ठ सदस्य
गोपाल भार्गव गुपचुप तरीके से काम करने में विश्वास करते हैं। उनके द्वारा हाल ही में विभाग में ऐसा जलावा दिखाया गया कि मातहत अफसरों में हडक़ंप मच गया। इसकी वजह है है विभाग में ऐसा जलवा दिखाने की परंपरा की शुरुआत करने की हिम्मत कभी कोई मंत्री नहीं कर सका है। भार्गव द्वारा की गई इस नई परंपरा को लोग जहां अच्छी शुरुआत मान रहे हैं , तो वहीं अफसरों में मायूसी का आलम है। दरअसल पहली बार भार्गव के निर्देश पर सडक़ों व अन्य निार्मण कामों की गुणवत्ता जांचने के लिए दूसरे जोन के 10 चीफ इंजीनियर्स को औचक जांच के लिए गुपचुप मैदान में भेजा गया था। इन सभी अफसरों से भार्गव ने अपने गृह संभाग के तहत आने वाले पांच जिलों में भेजकर पांच-पांच निर्माण कामों की जांच कराई है। इस जांच में कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। फलस्वरुप लापरवाह अफसरों को अब निलंबित कर दिया गया है तो कई अफसरों से जबाव भी तलब किया गया है। अफसरों की टीमें जब जांच करने मैदान में उतरीं तो इन जिलों की हाल ही में बनी कई सडक़ें भी तय मानकों पर खरी नहीं उतर सकीं। इनमें कई सडक़ों में तकनीकी तौर पर अनेक तरह की अनियमितताएं पायीं गईं। इसके बाद इन मामलों में एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, एसडीओ सहित 5 सब इंजीनियरों को जहां निलंबित कर दिया गया है, तो वहीं 7 अन्य अफसरों को शोकॉज नोटिस थमा दिए गए हैं। यही नहीं इस मामले में ठेकेदार और निर्माण कंपनियों को भी ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। एक साथ हुई इस बड़ी कार्रवाई से विभाग में हडक़ंप मचा हुआ है। गौरतलब है कि मंत्री गोपाल भार्गव के गृह जिले में भी अफसरों व ठेकेदारों ने मिलकर जमकर अनियमितताएं करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। उनके गृह जिले की सडक़ों की जांच में भी कई तरह की खामियां पायीं गई हैं। इस जांच के लिए सभी चीफ इंजीनियर्स को 2 नवीनीकरण कार्य, 2 परफॉर्मेंस गारंटी के काम और एक भवन निर्माण (सीएम राइज) का निरीक्षण और सैंपल लेने का एक साथ लक्ष्य दिया गया था। लोक निर्माण विभाग में पहली बार ह़ुई इस तरह की बड़ी कार्रवाई को लेकर कई तरह की अटकलों को दौर शुरु हो गया है। इसकी वजह है विभाग की मान्य परंपरा। इसके पहले तक जोन का चीफ इंजीनियर ही अपने कार्यक्षेत्र के निर्माण कार्यों की निगरानी करने और उसकी गुणवत्ता की जवाबदेही का काम करता था , लेकिन अब इस मान्य परंपरा से हटकर पहली बार विभाग में शीर्ष स्तर पर तय किया गया कि संभाग के तहत आने वाले 5 जिले सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर और टीकमगढ़ में एक साथ छापामार शैली में निरीक्षण कर सैंपल लेकर उसकी जांच की जाए। इस जांच में हुए खुलासों से यह तो तय हो गया है कि विभाग के अफसर बेखौफ हैं। यही वजह है की उनके द्वारा अपने ही विभाग के गृह जिले में भी अनियमितता और फर्जीवाड़ा करने में ठेकेदारों व अफसरों ने कोई कमी नहीं छोड़ी। दरअसल इस संभाग में विभाग के इंजीनियरों व ठेकेदारों के बीच बेहद मजबूत गठजोड़ माना जाता है। बताया जाता है कि जांच करने के लिए जिन चीफ इंजीनियरों को भेजा गया था उनमें, नरेंद्र कुमार, वीके आरख, जीपी मेहरा, एआर सिंह, संजय मस्के, एसएल सूर्यवंशी, बीपी बौरासी, संजय खांडे व पीसी वर्मा शामिल थे। यह बात अलग है कि इनमें से कई अफसरों पर पूर्व से कई गंभीर आरोप बने हुए हैं।
कहां क्या हुई कार्रवाई
सागर में प्रमुख अभियंता नरेंद्र कुमार और एपीडी ग्वालियर वीके आरख पहुंचे थे। रहली के एसडीओ साहित्य तिवारी को शोकॉज नोटिस देते हुए सब इंजीनियर हजारी लाल पटेल व अजमत अली को निलंबित कर दिया गया है। सागर में 2 उपयंत्री को निलंबित कर 4 से स्पष्टीकरण मांगा है। एसडीओ अनिल आठिया की 2 वेतनवृद्धि शोकॉज नोटिस थमाया गया है। इसी तरह से टीकमगढ़ के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर आरके विश्वकर्मा को सस्पेंड किया गया है। उनके खिलाफ धन के दुरुपयोग सहित अन्य गंभीर अनियमितताएं मिलीं । दमोह ईई जेपी सोनकर, एसडीओ बीपी खरे को शोकॉज नोटिस और सब इंजीनियर जेपी तिवारी को निलंबित किया गया है। छतरपुर में ईई शुक्ला, आशीष भारती को शोकॉज और उपयंत्री को सस्पेंड किया गया है।
इस तरह की अनियमितताएं मिली
विभागीय सूत्रों की माने तो नए कामों में हार्डशोल्डर नहीं बनाए गए थे। वाटरिंग रोलिंग एवं कम्प्रेशन नहीं किया गया। बीसी कार्य में मटेरियल मानक स्तर का नहीं पाया गया। मामले में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ ब्लैक लिस्ट जैसी कार्रवाई की गई है।