शिवराज निकलेंगे जन आशीर्वाद यात्रा पर.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जल्द जन आशीर्वाद यात्रा पर निकलेंगे। आलाकमान ने इसकी अनुमति दे दी है। अनुमति मिलने के साथ ही यात्रा का रोडमैप तैयार किया जाने लगा है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर बार जन आशीर्वाद यात्रा निकालते हैं और प्रदेश भर के मतदाताओं से रूबरू होते हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि आलाकमान ने सीएम की इस यात्रा को हरी झंडी दे दी है। उनकी यह चौथी जन आशीर्वाद यात्रा होगी। सीएम हर बार उज्जैन में भगवान महाकाल का पूजन-अभिषेक के बाद जन आशीर्वाद यात्रा शुरू करते हैं। यात्रा के लिए पार्टी की ओर से विशेष वाहन तैयार कराए गए हैं। बताया है जा रहा है कि जून-जुलाई में यात्रा निकालने का कार्यक्रम बनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के लिए पार्टी के अनुभवी नेताओं को भी लगाया जाएगा। अभी ऐसे लोगों को चिह्नित किया जाना बाकी है।
कांग्रेस में नई जमावट
चुनावी साल में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने मध्य प्रदेश में अपना फोकस बढ़ा दिया है। एआईसीसी की तरफ से कांग्रेस प्रदेश प्रभारी को दो सह प्रभारी दिये है। वहीं, प्रदेश की चुनावी रणनीति को सुपरवाइज करने के लिए चार पर्यक्षकों की नियुक्ति की है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश प्रभारी जय प्रकाश अग्रवाल के सह प्रभारी सुधांशु त्रिपाठी को वापस बुला कर दो नए सह प्रभारी नियुक्त किए है। इसमें शिव भाटिया और संजय दत्त को सह प्रभारी बनाया गया। संजय दत्त को हिमाचल प्रदेश की उनकी जिम्मेदारी से मुक्त कर मध्य प्रदेश का सह प्रभारी बनाया गया है। इसके साथ ही जय प्रकाश अग्रवाल के साथ अब प्रदेश में पांच सह प्रभारी हो गए है। वहीं, एआईसीसी ने प्रदेश की चुनावी तैयारी को लेकर चार पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। यह प्रदेश में चुनावी तैयारियों को लेकर अपनी रिपोर्ट एआईसीसी को सौपेंगे। इसमें अर्जुन मोढवाडिया, सुभाष चोपड़ा, कुलदीप सिंह राठौर और प्रदीप टम्टा शामिल है। बता दें कांग्रेस ने 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह लगातार दौरे कर रहे है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और उनकी नाराजगी दूर करने के लिए 16 वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। अब एआईसीसी ने भी पर्यवेक्षक नियुक्त कर अपनी सक्रियता प्रदेश में बढ़ाने के संकेत दे दिये है।
मप्र का हाल बेहाल
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने आरोप लगाते हुए कहा है कि मप्र में सरकार एक तरफ सुशासन का दम भर रही है, वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री खुद स्वीकार कर रहे हैं कि सीएम हेल्पलाइन में भ्रष्टाचार हो रहा है, तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है। यदि सीएम हेल्पलाइन जैसी योजना का यह हाल है, तो पूरे प्रदेश का क्या हाल होगा। आज प्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। पूरे देश में सबसे ज्यादा गिरी हुई कानून व्यवस्था इस समय कहीं है, तो वह मप्र में है। सीएम शिवराज का कानून व्यवस्था पर ध्यान नहीं है और अब तो उन्हें खुद ही यह बात स्वीकार करना पड़ रही है। भाजपा के राज में दाल में थोड़ा-बहुत काला नहीं, पूरी दाल ही काली है। भाजपा से कई लोग कांग्रेस में आने के इच्छुक हैं। जनपद अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष, सदस्य मुझसे लगातार मिलकर अपनी चिंता व्यक्त करते हैं। आज प्रदेश के लगभग सभी वर्गों के शासकीय कर्मचारी हड़ताल पर हैं। कृषि क्षेत्र का हाल बुरा है। नर्मदापुरम में चारों विधायक भाजपा के सांसद भाजपा के नगरीय निकाय में भाजपा का कब्जा फिर भी आज विकास के मामले में नर्मदापुरम पिछड़ता जा रहा है।
जमीन की धोखाधड़ी में फंसे नेताजी
प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी के बड़े कांग्रेसी नेता एक जमीन की धोखाधड़ी के आरोप में फंसते नजर आ रहे हैं। ये नेता हैं पंकज संघवी। संघवी के खिलाफ जमीन पर कब्जा करने की शिकायत पर जांच शुरू हो गई है। संघवी पर श्री गुरु हरकिशन मेडिकोज स्कूल सोसाइटी की जमीन धोखे से अपने नाम कराने और उस पर कब्जा करने के आरोप हैं। जांच के लिए एडिशनल डीसीपी के यहां से डायरी थाने पहुंची है। दस्तावेजों को लेकर फिर से संघवी की भूमिका की जांच होगी। एडिशनल डीसीपी अभिनव विश्वकर्मा के मुताबिक सितंबर 2022 में डॉ. आरएस माखीजा और अन्य शिकायतकर्ताओं ने पंकज संघवी की लिखित शिकायत की थी। शिकायत में श्री गुरु हरकिशन मेडिकोज स्कूल सोसाइटी की ओर से दो मृत सदस्यों के फर्जी साइन कर जमीन की धोखाधड़ी की बात कही गई। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने पंकज संघवी पर केस दर्ज कर लिया। आगे की जांच के लिए केस डायरी भंवरकुआं थाने को सौंपी गई है। जांच को आगे बढ़ाने के लिए शिकायत करने वालों से डॉक्यूमेंट बुलवाए जा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि इस मामले में पंकज संघवी को भी बयान के लिये बुलाया जाएगा।
नहीं हुआ सरकारी कर्मचारियों के इलाज के पैसे का भुगतान, अटके 50 करोड़
राजधानी समेत प्रदेशभर के 5000 से भी ज्यादा सरकारी कर्मचारी दोहरी मार झेल रहे हैं। यह वे कर्मचारी हैं, जिनका खुद या परिजनों का जुलाई 2022 के बाद निजी अस्पतालों में भर्ती करके पर इलाज कराया गया था। कर्मचारी चिकित्सा सुविधा के तहत इलाज पर हुए खर्च का रिएम्बर्समेंट लेने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन 9 महीने बीतने के बाद भी उनको पैसा नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि अब कर्मचारियों के सामने बीमारी के साथ ही आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है। अकेले भोपाल संभाग के 1000 से ज्यादा कर्मचारियों का 10 करोड़ रुपए से ज्यादा अटका है। अगर बात प्रदेश के सभी 10 संभागों की करें तो पीड़ित मरीजों की संख्या 5000 के पार और इनकी अटकी राशि 50 करोड़ रुपए से भी ज्यादा होने का अनुमान है।