अगले हफ्ते होगा… शिव मंत्रिमंडल का पुर्नगठन

भ्रष्टाचारी मंत्रियों को हटाया जाएगा, विधायकों को मिलेगी अंतिम चेतावनी.

कर्नाटक चुनाव परिणाम आने के बाद अब मध्यप्रदेश में शिवराज मंत्रिमंडल का पुर्नगठन होना लगभग तय हो गया है। इसमें कई निष्क्रिय और भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में आए मंत्रियों की छुट्टी होना तय माना जा रहा है। इसके साथ ही सत्ता व संगठन उन अस्सी विधायकों को भी अंतिम वार चेताएगी, इसके बाद भी उनकी रिपोर्ट अच्छी नहीं आयी तो फिर उनका टिकट काट दिया जाएगा। इसकी वजह हैं कर्नाटक के चुनाव परिणाम, जहां पर चुनाव से पहले इसी तरह के कुछ हालात थे, जिसकी वजह से पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। कर्नाटक से सबक लेते हुए अब सत्ता व संगठन ने मप्र में कड़े फैसले लेने का फैसला कर लिया है। इसके उलट कांग्रेस में इस समय उत्साह का माहौल बना हुआ है। दरअसल मप्र में भी वैसे ही हालात बने हुए हैं जैसे की कर्नाटक में बने हुए थे। दरअसल अब तक प्रदेश में भाजपा संगठन और सत्ता ने जितने भी सर्वे कराए हैं उनमें करीब 80 विधायकों की नकारात्मक रिर्पोट आयी है। इनमें कुछ मंत्री भी शामिल हैं। इसी तरह से प्रदेश के 27 में से 10 सांसद भी इसी श्रेणी में बताए गए हैं। जिन मंत्रियों के बारे में खराब रिपोर्ट आयी है उनमें कुछ श्रीमंत खेमे के भी हैं। इसके साथ ही अब सत्ता व संगठन ने यह भी तय कर लिया है कि जिन मंत्रियों पर नकारा होने , संगठन को तवज्जो नहीं देने, मैदानी स्तर पर सक्रिय नहीं होने और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लग रहे हैं, उन्हें भी कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। उनकी जगह नए चेहरों को शामिल कर जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधे जाएंगे। दरअसल प्रदेश में विधानसभा सदस्यों के हिसाब से मंत्रिमंडल में 35 सदस्यों को शामिल किया जा सकता है। जबकि अभी मुख्यमंत्री को मिलाकर 31 पद भरे हुए हैं, जिसकी वजह से प्रदेश में चार विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है। इसके अलावा माना जा रहा है कि इस पुर्नगठन में लगभग छह मंत्रियों को हटाया जा सकता है। इस तरह से दस मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है। जिन मंत्रियों को हटाए जाने की संभावनाएं हैं उनमें दो मंत्री श्रीमंत समर्थक भी बताए जा रहे हैं। इस मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए शिवराज सरकार क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को साधने का प्रयास करेंगे, जिससे नुकसान की गुंजाइश ना रहे। अभी महाकौशल और विंध्य क्षेत्र को शिवराज मंत्रिमंडल में वो वरीयता नहीं मिली है, जिसके वो हकदार थे, इसकी वजह से इन क्षेत्रों में सरकार के खिलाफ बड़ी नाराजगी है। इसी नाराजगी को कम करने के लिहाज से इन क्षेत्रों को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देने की बात कही जा रही है।
मानी जा रही चेतावनी
कर्नाटक के चुनाव परिणाम मध्य प्रदेश भाजपा के लिए गंभीर चेतावनी के रुप में देखे जा रहे हैं। यदि प्रदेश भाजपा इसे समझने में नाकाम रही तो तो उसे छह माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में बड़ा खामियाजा उठाना पड़ेगा। इसकी वजह से ही कहा जा रहा है कि सबसे पहले भाजपा को अपना घर ठीक करने की जरुरत है। वरिष्ठ और अधिक उम्र के नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में जबरिया धकेल कर घर बैठाने की जगह उनसे समन्वय का रास्ता पकड़ना पड़ेगा। इसी के साथ एंटी इनकंबेंसी को काबू में रखने के लिए विधायकों व मंत्रियों को अपने कामकाज में सुधार लाकर कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं को पूरा करना होगा। माना जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव परिणामों की विस्तृत समीक्षा करने के बाद भाजपा आलाकमान मध्यप्रदेश के संदर्भ में बड़े निर्णय ले सकता है। अभी प्रदेश के अधिकांश मंत्री कार्यकर्ताओं से संवाद तक नहीं करते और पार्टी कार्यालय में भी नहीं जाते। जबकि मंत्रियों से बार-बार कहा गया है कि वे अपने प्रवास के समय पार्टी कार्यालय में जाने व कार्यकर्ताओं से मिलने का कार्यक्रम जरूर बनाएं। कार्यकर्ताओं को सबसे ज्यादा शिकायत इसी तरह के मंत्रियों से है।
ग्वालियर-चंबल से सर्वाधिक मंत्री
कैबिनेट में शामिल मंत्रियों और उनके क्षेत्रीय समीकरणों देखें तो शिवराज कैबिनेट में ग्वालियर-चंबल संभाग से सबसे ज्यादा 9 मंत्री शामिल हैं, इसमें कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा, महेंद्र सिंह सिसोदिया ,यशोधरा राजे सिंधिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, अरविंद भदौरिया के साथ राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाहा, ओपीएस भदौरिया, सुरेश धाकड़ और बृजेंद्र सिंह यादव के नाम शामिल हैं, जो विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इसी तरह से मालवा-निमाड़ से भी 9 मंत्री शामिल हैं, इनमें तुलसी सिलावट, हरदीप सिंह डंग, प्रेम सिंह पटेल, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और ओमप्रकाश सखलेचा विजय शाह, ऊषा ठाकुर, मोहन यादव, शामिल हैं। जबकि बुंदेलखंड की बात करें तो यहां से शिवराज कैबिनेट में 4 कैबिनेट मंत्री हैं. जिसमें गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत और बृजेंद्र प्रताप सिंह का नाम शामिल है। खास बात यह है कि इनमें से तीन मंत्री तो एक ही जिले से आते हैं, जिसकी वजह से अन्य जिले उपेक्षित बने हुए हैं।
इनकी संभावना
विधानसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रिमंडल के जरिए भी लोगों को साधने की कोशिश करने की तैयारी है। मंत्रिमंडल को लेकर कहा जा रहा है कि इसमें श्रीमंत समर्थकों को भी मंत्री बनाना है, जिसकी वजह से शिवराज के सामने मुश्किल खड़ी है कि किसको शामिल करें। अगर एससी वर्ग की बात करें तो इसमें विष्णु खत्री , जजपाल सिंह जज्जी और हरिशंकर खटीक , ब्राह्मण कोटे से राजेंद्र शुक्ला , केदार शुक्ला और संजय पाठक और ओबीसी वर्ग से मनोज चौधरी व महेंद्र हार्डिया का नाम सामने आ रहा है, जिन्हें मंत्री बनाया जा सकता है। एसटी से सुलोचना रावत और जनरल केटेगरी में चेतन कश्यप का नाम संभावित है। इसके अलावा जालम सिंह पटेल, रमेश मेंदोला, नागेंद्र सिंह और पारस जैन की भी मंत्रिमंडल में शामिल होने की दावेदारी बनी हुई है।