भोपाल।मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। चुनावी साल में प्रदेश की
शिव सरकार ने उन पेंशनरों को बड़ी राहत दी है, जिनकी किसी न किसी कारणवश रिटायर्ड होने के बाद पेंशन रुकी हुई है। इसके लिए हाल ही में पेंशनर्स नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है।
राज्य सरकार ने सरकारी नियमों में ऐसा संशोधन किया है, जिससे बीते 32 सालों से पेंशन के लिए संघर्ष करने वाले पूर्व कर्मचारियों के लिए पेंशन पाना आसान हो जाएगा। इस संशोधन के बाद से नया नियम 12 दिसंबर 1990 से प्रदेश में लागू माना जाएगा। इतने अधिक बैक डेट से लागू होने वाला ये संशोधन संभवत: हाल के वर्षों का राज्य सरकार द्वारा लागू किया गया पहला मामला है। वित्त विभाग ने जो संशोधन किया है, उसके मुताबिक प्रदेश के ऐसे पेंशनरों को बड़ी राहत मिलने का रास्ता खुल गया है, जिनकी पेंशन विभिन्न कारणों से रुकी हुई है। इसमें रिटायरमेंट के समय उनके खिलाफ विभागीय जांच चलने से लेकर उनसे संबंधित कोई मामला कोर्ट में विचाराधीन होने तक का शामिल है। अब नए संशोधन के मुताबिक शासकीय सेवक के खिलाफ चाहे विभागीय जांच चल रही हो या फिर मामला कोर्ट में लंबित होने पर भी उनकी न तो पेंशन रुकेगी और न ही ग्रेच्यूटी। विभागों के लिए ये जरूरी होगा कि उन्हें प्रोविजनल पेंशन का लाभ दें, जो कि उनके मूल पेंशन के लगभग बराबर ही होगी। इसी तरह उन्हें प्रोविजनल ग्रेच्यूटी का भी फायदा मिल सकेगा। ऐसे मामलों को लेकर वित्त विभाग ने मप्र सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 में संशोधन कर दिया है।
अंतरिम पेंशन के यह किए प्रावधान
वित्त विभाग द्वारा किए गए नियमों में संशोधन के मुताबिक अब कार्यालय प्रमुख, शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति की तारीख या यदि वह सेवानिवृत्ति की तारीख को निलंबन के अधीन था, तो उस तारीख तक जो उस तारीख के ठीक पूर्व की थी, जिसको कि उसे निलंबन के अधीन रखा गया था। अर्हकारी सेवा के आधार पर अधिकतम पेंशन के बराबर प्रोविजनल पेंशन अधिकृत करेगा। संशोधन नियमों में ये भी साफ किया गया है कि कार्यालय प्रमुख द्वारा सेवानिवृत्ति की तारीख से शुरू होकर उस तारीख तक तथा उस तारीख को शामिल करते हुए, जिसको कि विभागीय या न्यायिक कार्यवाहियां समाप्त होने के बाद, सक्षम प्राधिकारी द्वारा अंतिम आदेश पारित किए गए, सेवानिवृत्त शासकीय सेवक को भुगतान की जाएगी।
ग्रेच्युटी के लिए यह प्रावधान
संशोधन में ये भी प्रावधान किया गया है कि विभागीय या न्यायिक कार्यवाहियां समाप्त होने और उन पर अंतिम आदेश जारी होने तक शासकीय सेवक को किसी ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया जाएगा। लेकिन जहां विभागीय कार्यवाहियां मप्र सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के नियम 16 के अधीन, उक्त नियमों के नियम 10 के खंड 1, 2 और 4 में तय कोई पेनाल्टी लगाने के लिए संस्थित की गई है तो वहां शासकीय सेवक को नियम के अधीन ग्रेच्यूटी का 90 फीसदी तक अंतरिम भुगतान किए जाने के लिए प्राधिकृत किया जाएगा।