भुगतान से लेकर फसल खरीदी प्रक्रिया तक अटकी.
मनीष द्विवेदी।मंगल भारत। 12 दिन पहले लगी सतपुड़ा भवन में आग अब सूबे के किसानों को भी भारी पड़ रही है। इस आग की चपेट में एनआईसी कक्ष भी आ गया था। इसका असर यह हुआ कि सरकारी खरीदी का पोर्टल भी ठप्प हो गया। इसकी वजह से इस समय होने वाली ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीदी तक ठप्प हो गई है। यही नहीं पूर्व में रबी सीजन में की गई फसल की खरीदी का भी कुछ किसानों का लंबित भुगतान भी नहीं हो पा रहा है। भुगतान न होने से किसानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। ऐसा नहीं कि महज किसानों को ही परेशानी हो रही है, बल्कि इस आग का असर अन्य सरकारी योजनाओं पर भी पड़ रहा है। दरअसल 12 दिन पहले 12 जून को दोपहर बाद सतपुड़ा भवन में आग लग गई थी। जिसकी वजह से भवन के खंड- ब की तीसरी, चौथी, पांचवीं और छठीं मंजिल चपेट में आ गई थी। इस आग की वजह से इन मंजिलों में मौजूद कई विभाग के दफ्तर जल कर खाक हो गए थे। इसमें तीसरी मंजिल पर मौजूद कृषि विभाग का नेशनल इंफर्मेटिक्स सेंटर भी चपेट में आ गया था। इसी सेंटर के माध्यम से ही प्रदेश में पंजीयन से लेकर समर्थन मूल्य में खरीदी का काम किया जाता है। इसके नष्ट हो जाने से खरीदी का काम पूरी तरह से बंद हो गया है। माना जा रहा है कि अभी इस पोर्टल को शुरु होने में कुछ और दिन का समय लग सकता है। इसकी वजह से किसानों को अभी अपनी फसल बेंचने के लिए कुछ और दिन का इंतजार करना पड़ेगा। यह सब ऐसे समय हुआ है, जब किसानों को खरीफ की बोवनी के लिए रुपयों की जरूरत रहती है। ऐसे में उनकी फसल समय पर नहीं बिक पा रही है। इसकी वजह से विकासखंडों में बनाए गए उपार्जन केन्द्र खाली पड़े हुए हैं। गौरतलब है कि समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी का काम 12 जून से ही शुरू होकर 31 जुलाई तक किया जाना है। आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल गत वर्ष के मुकाबले अधिक किसानों ने उड़द और मूंग के विक्रय के लिए पंजीयन कराया है। 2022 में 13,481 किसानों ने पंजीयन कराया था, जबकि इस वर्ष 20, 457 ने कराया है। वहीं पिछले साल रकबा 1,21,220 हैक्टेयर रहा, जो इस वर्ष घटकर 1, 13, 284 हेक्टेयर रह गया है। इस साल की ग्रीष्मकालीन खरीदी के लिए 24 हजार टन लक्ष्य रखा गया है। पिछले साल 21,238 टन मूंग की खरीदी हुई थी।
तीन जिले अधिक प्रभावित
मिल रही जानकारी के मुताबिक राजधानी से सटे हुए जिले विदिशा, नर्मदापुरम, रायसेन सहित इनके आसपास के जिलों में मूंग की पैदावार अधिक की जाती है। इस वजह से ऐसे जिलों में अधिक उपार्जन केन्द्र बनाए गए हैं। इस बार मूंग का समर्थन मूल्य 7755 रुपए तय किया गया है। खरीदी पोर्टल ऐसे समय बंद हुआ, जब कई किसानों द्वारा फसल बिक्री के लिए स्लॉट तक बुक कराया जा चुका था। इसके बाद जब किसान खरीदी केन्द्रों पर फसल लेकर पहुंचे तब उन्हें पता चला की फिलहाल खरीदी की प्रक्रिया शुरु ही नहीं हो सकी है। इसकी वजह से किसानों को बिना उपज बेचे ही वापस लौटना पड़ा। इसी तरह से एनआईसी कई विभागों की ऑनलाइन सेवाओं का काम भी करता है। इसकी वजह से अन्य विभागों की ऑनलाइन सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं।
सत्यापन तक का काम अटका
पोर्टल बंद होने की वजह से किसानों के पंजीयन का सत्यापन तक का काम नहीं हो पा रहा है। इसी तरह प्रदेश में मूंग उड़द खरीदी के लिए केंद्रों का निर्धारण का काम भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। जबकि बारिश के मौसम को देखते हुए साफ निर्देश दिए हैं , कि गोदाम स्तरीय केंद्रों का ही चयन किया जाए। ताकि यदि खरीदी के दौरान बारिश होती है तो किसानों की उपज को नुकसान नहीं पहुंच सके। पोर्टल के ठप रहने के कारण इनकी सूची भी प्रदर्शित नहीं हो पा रही है।
32 जिलों में होता है मूंग का उपार्जन
प्रदेश के मूंग के अधिक उत्पादन वाले 32 जिलों में पंजीयन केंद्र बनाए गए हैं। इंदौर सहित नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, रायसेन, हरदा, सीहोर, जबलपुर, देवास, सागर, गुना, खंडवा, खरगोन, कटनी, दमोह, विदिशा, बड़वानी, मुरैना, बैतूल, श्योपुरकला, भिंड, भोपाल, सिवनी, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, छतरपुर, उमरिया, धार, राजगढ़, मंडला, शिवपुरी, अशोकनगर बालाघाट में पंजीयन केन्द्र खोले गए हैं।
किसे क्या दी गई जिम्मेदारी
मूंग खरीदी के लिए नोडल एजेंसी राज्य सहकारी विपणन संघ मार्कफेड को बनाया गया है। वेयरहाउस से जुड़ी हुई व्यवस्था मध्य प्रदेश वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कारपोरेशन जिला प्रबंधक को दिया गया है। एसडीएम की अध्यक्षता में बनी हुई समिति केंद्रों का निरीक्षण कर खरीदी केंद्र की मॉनिटरिंग करने और किसानों की समस्याओं का निराकरण करने का भी काम करेगी। खरीदी केंद्र में कर्मचारी, डाटा एंट्री ऑपरेटर, तुलाई एवं खरीदी की व्यवस्था का दायित्व सहकारिता उपायुक्त एवं जिला सहकारी बैंक सीईओ को दी गई है।