माननीयों की मांग एक बार और तबादलों का मौका दो सरकार

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। चुनावी साल में सरकार ने


विधायकों की मांग पर 15 जून से 7 जुलाई तक प्रदेश में तबादलों पर से बैन हटा दिया था। लेकिन पहले 15 और बाद में 7 दिन यानी कुल 22 दिन में भी माननीय अपनी पसंद के अफसरों की मैदानी पदस्थापना नहीं कर पाए हैं। इस साल मंत्रियों व विधायकों को उम्मीद थी कि कम से कम 15 दिन के लिए राज्य स्तर पर तबादलों से प्रतिबंध हटाया जाएगा, दरअसल, सरकार ने हाल ही में तबादलों पर से जो प्रतिबंध हटाया था, वह जिलों के अंदर के लिए था। ऐसे में माननीय अपनी पसंद के अफसरों को दूसरे जिले से नहीं ला पाए। ऐसे में उनकी मांग है कि सरकार एक बार और तबादलों पर से बैन हटा दे, तो वे अपनी जमावट कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है की विधायकों की मांग को देखते हुए सरकार जल्द ही 15 दिन के लिए एक बार फिर तबादलों पर से रोक हटा सकती है। गौरतलब है कि पिछले साल भी 17 सितंबर से 5 अक्टूबर तक तबादले हुए थे। वहीं 2021 में 1 जुलाई से 31 जुलाई के बीच तबादलों से बैन हटाया गया था।
गौरतलब है की एक तरफ सरकार चुनाव आयोग के निर्देशानुसार एक ही स्थान पर तीन साल से पदस्थ अधिकारियों-कर्मचारियों की पदस्थापना कर रही है, वहीं विधायक चाहते हैं कि जिलों में उनकी पसंद पर तबादलें हो। इसके लिए उन्होंने पूर्व में सरकार से मांग की थी तो सरकार ने 15 जून से तबादलों पर से बंदिश हटा दी थी। सूत्रों का कहना है की इस दौरान भी तबादले नहीं हो पाए हैं। ऐसे में विधायकों की मांग है कि सरकार एक बार फिर से तबादलों पर से प्रतिबंध हटा दे तो वे पूरी जमावट कर सकते हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि चुनाव की आचार संहिता लागू होने के पहले उन अधिकारियों को मैदानी पदस्थापना पर से हटाना पड़ेगा, जिन्हें तीन साल एक स्थान पर हो गए हैं। इसके लिए सितंबर-अक्टूबर में कवायद करनी होगी। इसे देखते हुए सरकार पहले ही अपनी सुविधा के अनुसार अधिकारियों को पदस्थ कर सकती है। वहीं, विभागों को प्रशासकीय आवश्यकता के अनुसार तबादला करने की अनुमति नीति जारी कर दी जा सकती है। विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी स्थानीय आवश्यकता के अनुसार तबादले का एक और मौका देने की मांग कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सरकार भी इस पर विचार कर रही है और सीमित समय के लिए एक बार फिर प्रतिबंध हटाया जा सकता है।
मंत्रियों, विधायकों को अधिक परेशानी
दरअसल, पिछले दो साल से राज्य सरकार ने तबादलों से बंदिश नहीं हटाई। इससे अधिकारियों व कर्मचारियों से अधिक परेशानी मंत्रियों, विधायकों व सत्ता से जुड़े नेताओं को हो रही है, क्योंकि रिक्त स्थानों को छोडक़र तबादले की हर फाइल समन्वय में मंत्रियों द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजी जाती थी। इस साल मंत्रियों व विधायकों को उम्मीद थी कि कम से कम 15 दिन के लिए राज्य स्तर पर तबादलों से प्रतिबंध हटाया जाएगा, लेकिन चुनावी साल होने के कारण मुख्यमंत्री ने राज्य स्तर पर तबादलों से बंदिश नहीं हटाई। केवल जिला स्तर पर पहले 15 दिन और बाद में एक सप्ताह के लिए तबादलों से बंदिश हटाई, साथ ही प्रभारी मंत्रियों से कहा गया कि अतिआवश्यक तबादले ही करें।
अधिकांश तबादले प्रशासनिक आधार पर…
जानकारी के अनुसार जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद तबादला सूची जारी होते ही हडक़ंप मच गया, क्योंकि अधिकांश तबादले प्रशासनिक आधार पर किए गए, जिसमें विधायकों व सत्तारूढ़ दल के नेताओं की कोई भूमिका नहीं थी। इससे स्थानीय नेताओं में नाराजगी भी है। तबादलों से नाराज विधायकों व स्थानीय नेताओं ने कुछ तबादले निरस्त करने के लिए प्रभारी मंत्री व कलेक्टर से बात की। इस पर कलेक्टरों ने कहा कि अब तबादले राज्य सरकार द्वारा ही निरस्त होंगे। इससे विधायकों में रोष है, क्योंकि उन पर कार्यकर्ताओं का दवाब है। गौरतलब है कि अभी हाल ही में तबादलों पर से 22 दिन के लिए जो तबादले पर से प्रतिबंध टिा था , उसके लिए तबादला नीति बनी थी। तबादला नीति के मुताबिक जिला कैडर के कर्मचारी और स्टेट कैडर के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को जिले के भीतर ही तबादले होने थे। इसमें जिला कलेक्टर के माध्यम से प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद यह तबादले हुए। तबादले की सूची विभाग के जिला अधिकारी के हस्ताक्षर से जारी हुए। तृतीय श्रेणी और उससे निचली श्रेणी के तबादले ही हुए। वहीं पुलिस में उप पुलिस अधीक्षक से नीचे के अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले पुलिस स्थापना बोर्ड ने तय किया। जिले के भीतर प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से एसपी ने तबादले किए। इससे ऊपर के अधिकारी के तबादले पुलिस स्थापना बोर्ड के निर्देशों के बाद सीएम के समन्वय से किए गए। जिले के भीतर डिप्टी कलेक्टर/संयुक्त कलेक्टर के जिले के भीतर ट्रांसफर प्रभारी मंत्री की राय से किए गए। इसी तरह तहसीलदार, अतिरिक्त तहसीलदार और नायब तहसीलदार के मामले में प्रभारी मंत्री की राय से जिला कलेक्टर तबादला किए गए। जानकारों का कहना है की इस कारण मंत्री और विधायक अपनी पसंद के तबादले नहीं कर पाए।
मंत्रियों-विधायकों ने की मांग
जानकारी के अनुसार गत दिवस मुख्यमंत्री निवास पर हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में विधायकों ने जिला स्तर पर अधिकारियों द्वारा मनमानी तरीके से किए गए तबादलों का मुद्दा उठाया और कहा कि कुछ दिन के लिए और तबादलों से बंदिश हटा दी जाए, ताकि अतिआवश्यक तबादले किए जा सकें। विधायक दल की बैठक में कुछ मंत्रियों ने भी विधायकों की बातों का समर्थन किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधायकों के अनुरोध पर अपना कोई स्पष्ट राय नहीं दी, लेकिन यह जरूर कहा कि इस पर अधिकारियों से चर्चा कर कुछ हल निकालूंगा। इस कारण यह माना जा रहा है कि कुछ दिनों के लिए तबादलों से बंदिश हट सकती है। विधानसभा का सत्र भी समाप्त हो गया है, मंत्रियों को तबादले के सीमित अधिकार मिलने से कुछ अतिआवश्यक तबादले हो सकेंगे। इससे मंत्री व विधायक कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी दूर कर सकेंगे। माना जा रहा है कि चुनावी वर्ष को देखते हुए मैदानी जमावट के लिए सरकार 15 दिनों के लिए तबादलों पर से प्रतिबंध हटा सकती है। मंत्रियों और विधायकों ने भी इसकी मांग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से की है। वैसे भी आचार संहिता लागू होने के पहले सरकार को ऐसे अधिकारियों को मैदानी पदस्थापना से हटाना पड़ेगा, जो एक स्थान पर तीन साल से पदस्थ हैं। इसमें राजस्व, पुलिस, सामान्य प्रशासन सहित उन विभागों के अधिकारी प्राथमिकता से आएंगे, जो सीधे तौर पर निर्वाचन कार्य से जुड़े रहते हैं।