नेताओं के नदारद रहने से… नहीं हो सकीं बैठकें

भाजपाइयों का गुस्सा शांत करें? बना यक्ष प्रश्न…

मप्र में विधानसभा चुनाव की कमान अब हाईकमान की टीम ने संभाल ली है। इसके साथ ही यह टीम प्रदेश में सक्रिय हो गई है। इस टीम में केंद्रीय मंत्री व प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव, सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव और चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर शामिल हैं। इन नेताओं के सक्रिय होते ही बीते रोज तब बेहद खराब स्थिति बन गई, जब बीते रोज बुलाई गई बैंठकों में शामिल होने के लिए कई नेता ही नहीं पहुंचे , जिसकी वजह से उन बैठकों को टालना पड़ा। अब वह बैंठकें आज की जा रही हैं। ऐसी एक दो नहीं बल्कि करीब आधा दर्जन बैंठकें हैं। यह बात अलग है कि बीते रोज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की उपस्थिति में पार्टी के नेताओं ने चुनावी रणनीति पर चर्चा की। इस चर्चा के दौरान प्रदेश प्रभारी ने कार्यकर्ताओं की नाराजगी की खबरों पर चिंता जताई। साथ ही उन्होंने इस नाराजगी को दूर करने के लिए सुझाव भी लिए। गौरतलब है की प्रदेश में चार माह बाद चुनावी बिगुल बज जाएगा। भाजपा के नेता हाईकमान की रणनीति पर काम में जुट गए हैं। इसके लिए जहां प्रदेश के नेता लगातार सक्रिय हैं, वहीं केंद्रीय संगठन के नेता भी लगातार मप्र का दौरा कर रहे हैं। इसी कड़ी में शनिवार को प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव और सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव भोपाल पहुंचे। वहीं चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक की जिम्मेदारी मिलने के साथ ही नरेंद्र सिंह तोमर भी भाजपा कार्यालय पहुंचे और कार्यभार संभाला। उसके बाद एक महत्वपूर्ण बैठक की गई। इस बैठक में यह तय किया गया कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना पार्टी की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। पार्टी के दिग्गज नेताओं की बैठक से पहले शनिवार को अन्य चार बैठकें होनी थी। दिग्गज नेताओं के साथ सांस्कृतिक टोली, बुद्धिजीवी समूह, काल सेंटर और विस्तारक समूह की बैठकें होना थी, लेकिन कई नेताओं के समय पर न आ पाने के कारण बैठक स्थगित की गई। ये बैठकें आज होंगी।
कार्यकर्ताओं की नाराजगी सबसे बड़ा रोड़ा
गौरतलब है कि चुनावी साल में भाजपा की सबसे बड़ी चिंता कार्यकर्ताओं की नाराजगी है। कई अवसरों पर कार्यकर्ताओं का असंतोष सामने आ चुका है। इसका परिणाम भी देखने को मिला है और कई नेता बीते कुछ समय में कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं। दरअसल, मप्र में मिशन 2023 की तैयारी में जुटी भाजपा के लिए चुनाव में जीत की राह में कार्यकर्ताओं की नाराजगी सबसे बड़ा रोड़ा बन गई है। पार्टी कार्यकर्ताओं के इस असंतोष को दूर करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। लेकिन उसके परिणाम अपेक्षित नजर नहीं आ रहे हैं। इस पर प्रदेश भाजपा कार्यालय में शनिवार रात को हुई दिग्गज नेताओं की बैठक में चर्चा की गई। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय मंत्री व चुनाव प्रभारी चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव ने नेताओं से कहा, कार्यकर्ताओं की नाराजगी कैसे दूर की जाए और एंटी इनकंबेंसी से कैसे निपटा जाए? बैठक में कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के रोडमैप पर विचार किया गया। पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी जा सकती है। बैठक में चुनाव के लिए अलग-अलग समितियों के गठन पर विचार किया गया।
आज और कल महत्वपूर्ण बैठकें…
चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी संभालने के बाद भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव का भोपाल में दूसरा दौरा है। हाल में अमित शाह के साथ दोनों प्रभारी आए थे। यादव व वैष्णव आज और कल बूथ लेवल से लेकर प्रदेश पदाधिकारियों तक साथ बैठक कर चुनावी रणनीति बनाएंगे। शनिवार को भोपाल पहुंचने के बाद प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव ने दोपहर में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ प्रदेश कार्यालय के मोर्चा, विभागों के कामकाज को समझने की कोशिश की। सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ आईटी सेल पहुंचे। मानसरोवर स्थित आईटी सेल में वैष्णव ने आईटी सेल के कामकाज का ब्योरा लिया। यह नेता अभी 2 दिन और मंथन करेंगे। इसके तहत आज आधा दर्जन बैंठके होनी हैं। इसमें चुनाव से संबंधित समितियों को फाइनल किया जा सकता है। वहीं सोमवार सुबह बैठक होगी। दोपहर में 1.30 बजे केंद्रीय मंत्री यादव व वैष्णव दिल्ली रवाना होंगे।
सिंधिया को भी मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
तोमर को चुनाव प्रबंधन का संयोजक बनाने के बाद अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संतुलन की चुनौती है। इसके तहत एक-दो दिन में सिंधिया को भी कोई बड़ी चुनावी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इसके तहत सिंधिया को चुनाव अभियान समिति या प्रचार समिति का संयोजक बनाया जा सकता है। साथ ही अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी अलग-अलग जिम्मेदारियां दी जाएंगी