सीमावर्ती सीटों पर चतुष्कोणीय मुकाबले के आसार

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र में c अलग-अलग क्षेत्रों में

अलग-अलग मुद्दों पर और अलग-अलग पार्टियों के बीच देखा जाएगा। वैसे तो मप्र में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होता है, लेकिन बुंदेलखंड, विंध्य और ग्वालियर-चंबल अंचल की यूपी बार्डर वाली सीटों पर चतुष्कोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। यानी यूपी बॉर्डर की करीब 18 सीटों पर दिलचस्प चुनावी संग्राम देखने को मिलेगा। इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस को सपा और बसपा से बड़ी चुनौती मिलने वाली है। इसलिए बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल की यूपी सीमा से लगी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस ने सक्रियता बढ़ा दी है। भाजपा के टारगेट पर वे सीटें हैं, जहां कांग्रेस लगातार पांच से छह चुनावों से जीत रही है। इनमें लहार और पिछोर जैसी सीटें शामिल हैं। भाजपा इन सीटों को आकांक्षी सीटों की श्रेणी में रखकर रणनीति तैयार कर रही है। वहीं, कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ व दिग्विजय सिंह यहां की 16 सीटों पर पहुंच चुके हैं। अभी अरुण यादव भी इन सीटों का दौरा करके आए हैं। दरअसल, यूपी की सीमा से लगी मप्र की विधानसभा सीटों का खासा महत्व है। इसलिए भाजपा और कांग्रेस का पूरा फोकस इस क्षेत्र की सीटों पर रहता है। वर्तमान समय में भाजपा और कांग्रेस ने ग्वालियर को केंद्र बनाकर इन सीटों का साधने की रणनीति बनाई है। चुनावी तैयारियों के सिलसिले में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी ग्वालियर पहुंच गए है। यहां उन्होंने कार्यकर्ताओं की बैठक ली। इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव प्रबंधन की कमान सौंपे जाने पर उन्होंने कहा, चाहे मुन्ना भैया हों या महल भैया, यहां दोनों कमजोर पड़ जाएंगे। अभी हलचल बढ़ने की वजह है 21 जुलाई को प्रियंका गांधी की ग्वालियर में बड़ी सभा होना ै। वहीं, सपा भी यूपी बॉर्डर से लगी सीटों पर दमखम लगा रही है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 6 अगस्त को खजुराहो आ रहे हैं, जहां वे चुनावी सभा को संबोधित करेंगे और बुंदेलखंड और ग्वालियर चंबल में जीत की संभावनाओं को तलाशेंगे।
बॉर्डर पर सपा का प्रभाव
उत्तरप्रदेश की सीमा से सटे इलाकों में समाजवादी पार्टी का अच्छा खासा प्रभाव है। बुंदेलखंड, विंध्य, चंबल के इलाकों में समाजवादी पार्टी दमदार उम्मीदवार उतारकर बीजेपी और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ सकती है। निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, सीधी, बालाघाट, मुरैना, दतिया, भिंड, शिवपुरी, अशोकनगर जिलों में सपा का प्रभाव है। पिछले दशक में मप्र में सपा के विधायकों की संख्या आठ तक पहुंच गई थी। हालांकि पिछले चुनाव में छतरपुर की बिजावर सीट पर कांग्रेस के बागी राजेश शुक्ला ने सपा के टिकट पर चुनाव लडक़र जीत दर्ज की थी। लेकिन पिछले साल राजेश शुक्ला ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया था।
बाहरी राज्यों के नेता संभालेंगे चुनावी प्रबंधन
विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने बूथ स्तर तक अपना सशक्त नेटवर्क बनाने की कवायद तेज कर दी है। प्रदेश चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और सह प्रभारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सत्ता-संगठन की बैठकों में जिला स्तर पर ऐसे अनुभवी कार्यकर्ता – तैनात करने को कहा है, जो सिर्फ चुनावी कामकाज देखेंगे। इनके अलावा सीमावर्ती राज्यों गुजरात, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के कार्यकर्ता भी चुनावी प्रबंधन के मोर्चे पर लगाए जा रहे हैं। यह टीम अपने कामकाज को लेकर चुनाव प्रभारी को रिपोर्ट करेगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 30 जुलाई को फिर से भोपाल आकर सत्ता-संगठन के नेताओं से चुनावी रणनीति और प्रबंधन के मुद्दे पर चर्चा करेंगे। भाजपा ने संगठन के कामकाज के लिए संभागीय और जिला स्तर पर प्रभारियों को पहले ही नियुक्त किया है। अब चुनाव प्रभारियों की तैनाती की जा रही है। पड़ौसी राज्यों के चुनावी प्रबंधन में माहिर नेताओं को भी बुलाया है। आकांक्षी अर्थात हारी हुई 103 सीटों पर वरिष्ठ नेताओं प्रभारी बनाकर भेजा जा चुका है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा चुनाव के लिए अलग से जिला प्रभारियों को तैनात करने नेताओं की सूची तैयार करा रहे हैं। जिला स्तर पर तैनात होने वाले ये चुनाव प्रभारी खासतौर पर चुनावी तैयारियां, सभाएं, रैली और चुनाव आयोग से जुड़े मामलों पर विशेष फोकस करेंगे। ये पदाधिकारी प्रदेश अध्यक्ष, संगठन महामंत्री और खासतौर पर यादव-वैष्णव को रिपोर्ट करेंगे। बूथ स्तर होने वाली गतिविधियों का फीडबैक देंगे।
18 सीटों के लिए खास रणनीति
मप्र में भाजपा और कांग्रेस ने तो सभी 230 सीटों पर सक्रियता बढ़ा दी है, लेकिन खास फोकस उन 18 विधानसभा सीटों पर है , जिनकी सीमाएं उत्तरप्रदेश से लगती हैं। इन सीटों में निवाड़ी, पृथ्वीपुर, टीकमगढ़, दतिया, खुरई, भिंड, अटेर तथा सेवढ़ा, करेरा, पिछोर, चंदेरी, बंडा, महाराजपुर, छतरपुर, मुरैना, लहार, राजनगर, गोहद सीटे हैं। 2018 में भाजपा ने निवाड़ी, पृथ्वीपुर, टीकमगढ़, दतिया, खुरई, भिंड और अटेर सीटें जीती थी। दूसरी ओर कांग्रेस ने दोनों अंचलों की 10 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिनमें सेंवढ़ा, करैरा, पिछोर, चंदेरी, बंडा, महाराजपुर, छतरपुर, मुरैना, लहार, राजनगर और गोहद सीट शामिल है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को विधानसभा की 230 में से 109 सीटों पर ही सफलता मिली थी। मार्च 2020 की सियासी उथल-पुथल और उपचुनाव के बाद भाजपा 127 सीटों पर काबिज हो गई। इसके बाद संगठन ने हारी हुई 103 आकांक्षी सीटों पर प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं को प्रभारी तैनात किया है। इन सीटों पर भाजपा ने इस बार नए सिरे से चुनावी रणनीति और माइक्रो स्तर पर प्रबंधन की कवायद शुरू की है।
बुन्देलखंड में चुनावी रणनीति बनाएंगे यादव
मप्र के विधानसभा चुनाव में इस बार समाजवादी पार्टी दम खम दिखाने की रणनीति बनाने में जुटी है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बुन्देलखंड में सपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर चुनावी रणनीति बनाएंगे। अगले महीने खजुराहो में समाजवादी पार्टी का दो दिवसीय ट्रेनिंग कैम्प आयोजित किया जाएगा। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने बताया कि 5 और 6 अगस्त को खजुराहो में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाएगा। पहले दिन 5 अगस्त को समाजवादी पार्टी मप्र, युवजन सभा, महिला सभा, छात्र सभा सहित की सभी विंग के प्रदेश पदाधिकारी, सभी जिला अध्यक्षों सहित करीब 8 हजार कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण होगा। इस प्रशिक्षण में बूथ से लेकर प्रदेश स्तर तक के संगठन के कामकाज की समीक्षा की जाएगी। 5 अगस्त को होने वाले प्रशिक्षण में कार्यकर्ताओं को यह बताया जाएगा कि उप्र में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान चलाई गई योजनाओं की जानकारी जनता के बीच में दें। इसके साथ ही बूथ समितियों का रेंडम वेरिफिकेशन भी किया जाएगा। 6 अगस्त को खजुराहो के मेला ग्राउंड पर होने वाले कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। अखिलेश यादव कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने से लेकर चुनाव लडऩे के इच्छुक कार्यकर्ताओं को जीत की रणनीति बताएंगे।