भाजपा उम्मीदवारों में बढ़ रहा है खर्च का टेंशन

कई प्रत्याशियों में है असमंजस.

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। भाजपा द्वारा घोषित किए गए पहली सूची के 39 उम्मीदवारों में कहीं खुशी तो कहीं गम का माहौल नजर आ रहा है। इसकी वजह है बढ़ता हुआ चुनावी खर्च। इस बीच कुछ प्रत्याशी बदले जाने की खबरें भी आती रहती है, ऐसे में विरोध का सामना कर रहे प्रत्याशियों के सामने असमंजस की भी स्थिति बनी हुई है। उन्हें लगता है कि अगर वे पूरी तरह से सक्रिय हो गए और पैसा खर्च कर दिया और बाद में बदल दिया गया तो फिर बदनामी के साथ पैसा भी चला जाएगा। इसकी वजह से वे न तो पूरी तरह से सक्रिय हो पा रहे हैं और न ही शांत ही रह पा रहे हैं। दरअसल यह प्रदेश में पहला मौका है, जब भाजपा द्वारा विधानसभा चुनाव के तीन माह पहले प्रत्याशियों की घोषणा की गई है। इस प्रयोग का पार्टी को कितना फायदा होगा यह तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चल सकेगा , लेकिन प्रत्याशियों का आर्थिक नुकसान होना तय है। यह बात जरूर है कि इन प्रत्याशियों को जहां टिकट की बेफिक्री हो गई है तो , वहीं खर्च की फिक्र सता रही है। फिलहाल कई प्रत्याशी खर्च का अनुमान लगाकर पैसे के इंतजाम में लगे हुए हैं। समय से तीन माह पहले प्रत्याशी घोषित होने की वजह से उन पर अभी से प्रचार शुरू करने का दबाव भी है, जिसकी वजह से उन्हें अभी से सभी तरह की चुनावी सुविधाओं की व्यवस्थाएं करनी पड़ रही हैं। इस वजह से उनका वास्तविक चुनावी खर्च कई गुना बढऩा तो तय है। फिलहाल अब भाजपा की दूसरी सूची का इंतजार बना हुआ है, जबकि कांग्रेस अभी रायशुमारी में ही उलझी हुई है। यह बात अलग है कि इसके पहले तक भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों के नामांकन भरने के आखिरी दिन तक टिकट घोषित होते रहे हैं। लेकिन, इस बार यह परंपरा बदल दी गई है।
इस तरह से बढ़ गया है खर्च
जिन क्षेत्रों में भाजपा ने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है , उन इलाकों के पार्टी के दूसरे दावेदार या तो नाराज होकर मैदान में उतर गए हैं या फिर वे चुप बैठ गए हैं। ऐसे में संगठन के कार्यक्रमों से लेकर चुनावी प्रचार तक का पूरा काम अब घोषित प्रत्याशियों के जिम्मे ही आ गया है। इससे क्षेत्र में होने वाले सभी कार्यक्रमों , पार्टीगत खर्च व चुनाव कैंपेन तक का खर्च प्रत्याशी को उठाना पड़ रहा है। इसमें सबसे परेशानी की बात यह है कि प्रत्याशियों को अब तक एक माह का ही खर्च उठाना पड़ता था , लेकिन वह बढक़र अब तीन माह का हो गया है। यह बात अलग है की चुनावी घोषणा नहीं होने से यह खर्च चुनाव खर्च में शामिल नहीं होगा। इसी तरह से चुनाव प्रचार के लिए अधिक समय मिलने से न केवल नाराज लोगों को मनाने का समय मिल गया है , बल्कि प्लानिंग कर हर क्षेत्र को पूरी तरह से कवर किया जा सकता है और व्यक्तिगत रुप से संपर्क भी किया जा सकता है।
कांग्रेस में बेसब्री से इंतजार
भाजपा की पहली सूची में जिन 30 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए गए हैं, उनके विधानसभा क्षेत्रों के कांग्रेस के दावेदारों द्वारा पार्टी की पहली सूची का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। इसकी वजह है भाजपा प्रत्याशियों द्वारा चुनाव प्रचार के तहत संपर्क अभियान शुरु कर दिया गया है, साथ ही चुनाव के लिए जरुरी तमाम सुविधाओं को भी जुटा लिया गया है। इसकी वजह से कांग्रेस के दावेदारों को लग रहा है कि वे इस मामले में बहुत पिछड़ गए हैं। यह बात अलग है कि उन्हें इसके साथ आर्थिक रूप से फायदा जरुर हो रहा है, अन्यथा उन्हें भी अभी से प्रचार के लिए राशि खर्च करनी पड़ती। इसके अलावा पूर्व में कांग्रेस का दावा था कि वह नगरीय निकायों की ही तरह इस बार विस प्रत्याशियों के नामों का ऐलान बहुत पहले कर देगी, जिससे की उसके प्रत्याशियों को प्रचार के लिए समय मिल सके।
कांग्रेस रख रही है नजर
विधानसभा चुनाव घोषित होने से पहले ही भले ही भाजपा उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी हो लेकिन, कांग्रेस इस मामले में अब जल्दबाजी में नहीं दिख रही है। कांग्रेस फिलहाल वेट एंड वॉच की स्थिति में है। फिलहाल कांग्रेस में हर विधानसभा में दावेदारों की स्थिति का आंकलन का काम किया रहा है ,साथ ही भाजपा के घोषित प्रत्याशियों को लेकर भी पूरा फीडबैक लिया जा रहा है। कांग्रेस संगठन ने दिग्गज नेताओं को क्षेत्रवार इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस को आशंका है कि सत्तारूढ़ दल की तरफ से कोई भी कदम उठाया जा सकता है। उम्मीदवारों पर दबाव भी बनाया जा सकता है, उन्हें झूठे मामलों में फंसाने के साथ अन्य प्रकार के दबाव बनाने के प्रयास भी किए जा सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पहले ही आशंका व्यक्त कर चुके हैं कि केन्द्र सरकार विपक्षी दलों को परेशान किया जा सकता है।