छात्र संघ चुनाव के लिए कवायद शुरू, गाइड लाइन पर काम

भोपाल/मंगल भारत। मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालयों व कालेजों के विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता विकसित करने के लिए इस साल छात्रसंघ चुनाव कराने की पूरी संभावना बन रही है। इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग ने सत्र 2024-25 की गाइडलाइन तैयार करनी शुरू कर दी है। इस बार चुनाव होने की पूरी संभावना इसलिए भी है, क्योंकि मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए प्रस्ताव तैयार कराया था और मुख्यमंत्री को भी भेजा था। इस संबंध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने की मांग की है। बता दें कि 2017 के बाद प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए हैं। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद विश्वविद्यालयों व कालेजों में इसकी तैयारियां शुरू होने की उम्मीद है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा चुनाव के लिए 15 दिन का कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है। एबीवीवी के सदस्यों का कहना है कि 2017 में उच्च शिक्षा विभाग ने निजी और सरकारी महाविद्यालयों में अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराए गए थे। इसको तब भी छात्र संगठन ने नहीं माना था। उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए डा. मोहन यादव ने भी प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने को लेकर सरकार को पत्र लिखा था।
छात्र राजनीति से निकलकर बने दिग्गज नेता
राजनीति की असली पाठशाला छात्र संघ की राजनीति को कहा जाता रहा है। आज की राजनीति के सफलतम नाम अपने समय के अच्छे छात्र नेता रहे हैं। छात्र जीवन से सामाजिक क्षेत्र में आगे बढऩे की राह इन्हें कुछ यूं रास आई कि इन विद्यार्थी नेताओं को सफलतम राजनेता बना दिया। इनमें मुख्यमंत्री मोहन यादव के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नरेन्द्र सिंह तोमर, तुलसी सिलावट, कैलाश विजयवर्गीय, जीतू पटवारी, सज्जनसिंह वर्मा, विपिन वानखेड़े, कुणाल चौधरी, अर्चना चिटनिस जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं।
प्रत्यक्ष प्रणाली से निष्पक्ष प्रतिनिधि चुन सकेंगे
विद्यार्थी परिषद ने बताया कि प्रत्यक्ष प्रणाली में विश्वविद्यालय और महाविद्यालय का प्रत्येक विद्यार्थी अपने मन से अध्यक्ष का चुनाव करता है। अप्रत्यक्ष प्रणाली में विद्यार्थी क्लास का प्रतिनिधि चुनता है और वह प्रतिनिधि अध्यक्ष का चुनाव करता है। छात्रसंघ चुनाव में मारपीट और उपद्रव अधिक होता है, इसलिए कई सालों से प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव बंद हैं।
चुनाव से सुधरेगी शिक्षण व्यवस्था
विद्यार्थी परिषद का मानना है कि छात्रसंघ चुनाव होने से माहौल सकारात्मक बनता है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर अध्यक्ष का फोकस होता है। विद्यार्थियों की समस्याओं को अध्यक्ष या प्रतिनिधि दूर करते हैं। इससे युवाओं में नेतृत्व क्षमता भी विकसित होती है। मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग कई बार कर चुके हैं। इस बार फिर से मांग की है कि लोकसभा चुनाव के बाद छात्रसंघ चुनाव कराया जाए। <संदीप वैष्णव, महामंत्री, एबीवीपी