जल संबंधी समस्या से जूझ रहा शासकीय महाविद्यालय. चुरहट.सीधी.

जल संबंधी समस्या से जूझ रहा शासकीय महाविद्यालय. चुरहट.

पेयजल एवं शौचालय संबंधी समस्या बनी
शिक्षा के क्षेत्र में अति पिछड़ा चुरहट, जिम्मेदार बने मौन.

चुरहट। मध्य प्रदेश के सीधी जिले में स्थित चुरहट विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत चुरहट नगर के शासकीय महाविद्यालय में जल संबंधी समस्या लगातार तब से बनी हुई है जिस समय से महाविद्यालय की स्थापना हुई है। महाविद्यालय की स्थापना के बाद से शासकीय महाविद्यालय चुरहट लगातार संघर्षों से जूझता रहा है। ऐसे में चुरहट को शिक्षा के क्षेत्र में पूर्ण रूप से अति पिछड़ा कहा जा सकता है।

शासकीय महाविद्यालय चुरहट की स्थापना होने के उपरांत आवागमन के लिए पक्का सड़क मार्ग नहीं था, जो कि कई वर्षों की कड़ी प्रतीक्षा एवं महाविद्यालय की मांग के उपरांत बनाया गया। महाविद्यालय में अन्य संकाय लागू कर सकें इसके लिए नए भवन का निर्माण किया गया था, जिसे शासकीय महाविद्यालय चुरहट को नहीं सौंपा गया था, परंतु! शासकीय महाविद्यालय चुरहट में विक्रम यादव के जन भागीदारी समिति का अध्यक्ष बनने के उपरांत कई वैधानिक प्रयासों के बाद तत्कालीन चुरहट विधायक ने नए भवन का लोकार्पण किया और शासकीय महाविद्यालय चुरहट को यह सौंप दिया गया।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस. एन. शर्मा एवं जन भागीदारी समिति के अध्यक्ष विक्रम यादव के अथक प्रयासों के उपरांत शासकीय महाविद्यालय चुरहट में सरस्वती माता की प्रतिमा लगाई गई एवं नए भवन का लोकार्पण हो सका। परंतु अब भी यह महाविद्यालय जल संबंधी समस्या एवं शौचालय संबंधी समस्या से जूझ रहा है। महाविद्यालय में संकाय भी बढ़ गए और विद्यार्थियों की संख्या बढ़कर लगभग 300 से अधिक हो चुकी है, परंतु! फिर भी विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था नहीं है। साथ ही महाविद्यालय की शिक्षिकाओं एवं छात्राओं के लिए समुचित शौचालय का प्रबंध भी नहीं है।

अपने आप को समाजसेवी कहने वाले तथाकथित नेता एवं समाजसेवी शिक्षा के क्षेत्र में कोई योगदान नहीं दे रहे हैं, ऐसे में चुरहट क्षेत्र पूरी तरह से पिछड़ा हुआ रह गया है। तथाकथित नेताओं एवं समाजसेवियों के अलावा जनप्रतिनिधि भी पूरी तरह से अपने मुंह में दही जमाए हुए हैं। जिस दिन इन्हें जनता से अपने लिए वोट मांगना होता है, उस दिन घर-घर जाकर हर किसी का हाल जानते हैं, परंतु! सत्ता की कुर्सी पाने के उपरांत सत्ता की मलाई चाटने में व्यस्त हो जाते हैं। उन्हें इस बात का तनिक भी ध्यान नहीं होता कि उनके क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, बिजली एवं पानी से संबंधित समस्याएं भी हैं, जिन्हें दूर करना चाहिए। वोट मांगते समय जनता के चरणों में पड़कर नाना प्रकार के वादे करने वाले नेता ही जनता के पेट में लात मारने का काम करते हैं।

सत्ता की मलाई खाने वाले जनप्रतिनिधियों के अलावा भी विपक्ष में बैठा हुआ राजनेता अथवा अन्य विरोधी दल भी इस मुद्दे को लेकर चुप है। जब सरकार अपने कार्यों को सही तरीके से ना करते हुए मार्ग भटक जाए तो उसका विरोध करते हुए सरकार को सही दिशा दिखाने का कार्य करना भी विपक्ष का कार्य होता है। परंतु! विपक्षी दल को भी इससे कोई सरोकार नहीं है। विपक्ष भी केवल चुनाव के समय में हावी होता है और सरकार की कमियां गिनाता है, ऐसे में कोई कैसे माने की चुरहट क्षेत्र के विकास कार्य के लिए कोई भी नेता या समाज सेवी आगे आएगा और प्रशासन को नींद से जगाकर कर विकास कार्यों में अपना योगदान देगा?

चुरहट स्थित शासकीय महाविद्यालय जिन समस्याओं से जूझ रहा है उन्हें दूर करने के लिए कोई भी आगे नहीं आ रहा है और महाविद्यालय प्रशासन के द्वारा मौखिक एवं लिखित तरीके से प्रशासन को सूचित करने के उपरांत भी जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्यों से किनारा किए हुए हैं। शायद हर किसी जिम्मेदार अधिकारी एवं तथाकथित नेताओं को यह बात भूल गई है कि छात्र शक्ति ही राष्ट्र निर्माण का कार्य करती है।

शासकीय महाविद्यालय चुरहट में लगा हुआ एकमात्र हैंडपंप जो कि अगस्त माह से फरवरी माह तक पानी देता है उसके बाद वह भी सूख जाता है। जिनमें अगस्त माह से अक्टूबर तक इस हैंडपंप का पानी सफेद होता है, कारण यह की इसके पहाड़ी में बने होने के कारण पहाड़ी के नीचे सफेद मिट्टी की खदान है और पानी पूरी तरह सफेद आता है। अक्टूबर माह से फरवरी माह तक जंग लगी पाइपों के कारण इस हैंड पंप का पानी लाल रंग का निकलता है। ऐसी हालत में वहां पर अध्यनरत सभी छात्र-छात्राओं के साथ ही शिक्षकों व अन्य महाविद्यालय के कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर यह पानी बुरा प्रभाव डालता है।

जहां एक ओर शासकीय महाविद्यालय चुरहट पेयजल की समस्या से जूझ रहा है वहीं दूसरी ओर महाविद्यालय में बने शौचालय में भी पानी की समस्या बनी रहती है। इतना ही नहीं शिक्षिकाओं एवं छात्राओं के लिए तो शौचालय भी नहीं है। ऐसे में महिला शौचालय न होने पर महिलाओं को पुरुष शौचालय का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। वह भी महाविद्यालय परिसर में बने हैंड पंप से पानी स्वयं लाकर शौचालय जाना पड़ता है।

इस मामले में जब शासकीय महाविद्यालय चुरहट के प्राचार्य डॉ. एस. एन. शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कई बार पत्राचार के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को सूचित किया जा चुका है, परंतु! हर बार केवल आश्वासन ही दिया जाता है। इसके साथ ही वहां की कुछ छात्राओं से बात की गई तो उन्होंने भी जल संबंधी एवं शौचालय संबंधी समस्या होने की बात कही।

जिस धरती ने अपने गर्भ से बड़े-बड़े राजनेताओं को पैदा किया हो और उनका लालन-पालन करके उन्हें आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचाया हो उस धरा में बना एक मात्र महाविद्यालय विकास कार्यों से अछूता रह गया है और पूरी तरह से अति पिछड़ा कहा जा सकता है। जिस शासकीय महाविद्यालय चुरहट में सैकड़ो छात्र-छात्राएं प्रतिदिन अध्ययन के लिए जाते हैं, उन्हीं के दर्द को ना तो कोई प्रशासनिक अधिकारी समझने को तैयार है और न ही कोई तथाकथित नेता या जनप्रतिनिधि समझ रहे। अपने द्वारा किए गए विकास कार्यों का झूठा पुलिंदा बांधने वाले तथाकथित नेताओं के साथ ही उनके चमचे भी गायब हैं। किसी भी त्यौहार में किसी एक स्थान पर जाकर छोटे-मोटे कार्यक्रम करके सेल्फी लेकर सोशल मीडिया में पोस्ट करना ही अब इन तथाकथित नेताओं, समाजसेवियों और विपक्षी दलों की दृष्टि में विकास कार्य करना और जन सेवा करना कहलाने लगा है। हालांकि अब देखना यह है कि शासकीय महाविद्यालय चुरहट को पेयजल एवं शौचालय संबंधी सौगात कब तक में एवं किसके द्वारा मिलती है?