नमस्कार दोस्तों, जिन्दगी कब कौन सा करवट बदल दे किसी को कुछ नहीं पता। जिन्दगी कभी कूड़े के ढेर में बिलखती है तो कभी आसमान में उड़ने लगती है। दोस्तों इंसान बनाया ही गया है, इंसान की मदद करने के लिए किन्तु कोई अपना कर्तव्य निभाता है तो कोई पीछे हट जाता है। आज की घटना कुछ ऐसी ही है। सोमवार का दिन था सोबरन अपना सब्जी का ठेला लेकर घर आ रहा था। थोड़ी दूर चलने पर उसे झाड़ियों से एक बच्चे की रोने की आबाज सुनाई दी। सोबरन ने आपना ठेला रोंका और उस तरफ जाकर झाड़ियों में देखा तो उसके होश उड़। एक मासूम बच्चा कूड़े के ढेर पर पड़ी बिलख -बिलख कर रो रहा था ।सोबरन ने इधर उधर देखा और जब कोई नहीं दिखाई दिया तो उसने उसे गोद में उठा लिया। सोबरन ने देखा की वो एक ख़ूबसूरत लड़की है। सोबरन उसे अपने घर ले आया। सोबरन की उस समय उम्र 30 वर्ष थी और उसकी शादी भी नहीं हुई थी। सोबरन उस बच्ची को पाकर बहुत खुस था। उसने उसे पालने और शादी न करने का निर्णय लिया। यह घटना है आसाम के जिला तिनसुखिया की जहाँ सोबरन रोजी रोटी के लिए अपना सब्जी का ठेला चलाता था। उसी समय यह लड़की सोबरन को मिली थी। सोबरन ने कठिन मेहनत कर उसे अपनी बेटी की तरह पाला और उस लड़की का नाम रखा ज्योती। सोबरन दिन और रात मेहनत कर अपनी बेटी को पढ़ाता और किसी भी चीज की कमी महसूस नहीं होने देताखुद एक बार भूखा सो जाता किन्तु अपनी बेटी को कभी किसी चीज की कमीं नहीं होने देता। सोबरन ने 2013 में कम्प्युटर साइंस से स्नातक कराया और इसके बाद ज्योती तैयारी में जुट गई। इसके बाद 2014 में ज्योती ने आसाम लोक सेवा आयोग से पीसीएस की परीक्षा में कामयाबी हासिल की और उसे आयकर सहायक आयुक्त के पद पर पोस्टिंग दी गई। सोबरन अपनी बेटी को देखकर आंसुओं से भीग गया क्योकि उसकी बेटी ने उसके सभी सपने पूरे कर दिए। आज ज्योती अपने पिता को साथ रखती है और उनकी हर ख्वाहिस को पूरी करती है। सोबरन कहता है मैंने कूड़े से लड़की नहीं एक हीरा उठाया था जो आज हमारी बुढ़ापे की लाठी बन गया। आज सोबरन अपने आप को धन्य समझता है।