चुनावी मौसम में कई बाबाओं को चढ़ा नेतागिरी का बुखार

प्रदेश में इस माह के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर हर किसी पर चुनावी बुखार चढ़ा हुआ है। खास बात यह है कि इससे साधु संत भी नहीं बच पा रहे हैं। यही वजह है कि इस मौसम में कई साधु-संतों पर भी सियासी रंग चढ़ा हुआ दिख रहा है। जिसकी वजह से वे बाबागिरी

छोडक़र नेतागिरी में पूरी तरह से सक्रिय दिख रहे हैं। प्रदेश के ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड, विंध्य, महाकौशल और मालवा-निमाड़ सहित लगभग सभी अंचलों में बाबाओं की राजनीतिक सक्रियता लगातार दिखने लगी है। इसकी वजह से भाजपा और कांग्रेस संगठन में चिंता देखी जा सकती है। कहा जा रहा है कि बाबाओं का सियासी मोह भाजपा की देन है। जिसकी वजह से ही कई बाबाओं में सत्ता सुख की भूख जागी है। हालांकि, कुछ के पास जनता से जुड़े कई मुद्दे भी हैं।
– कंप्यूटर बाबा
नर्मदा में अवैध उत्खनन और संरक्षण पर अभियान चला रहे हैं। सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। कंप्यूटर बाबा ने चुनाव से ठीक पहले इस्तीफा दे दिया। अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। वे प्रदेश में संत समागम कर संतों के मन की बात के बहाने भाजपा को हराने का संकल्प दिला रहे हैं। वे संत समागम इंदौर और ग्वालियर में कर चुके हैं। हाईकोर्ट में सरकार के खिलाफ याचिका भी लगाई है। नर्मदा बेल्ट की सीटों पर उनका प्रभाव है।
– अखिलेश्वरानंद
सरकार ने गौ संवर्धन एवं पशुपालन बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है। अखिलेश्वरानंद ने शंकराचार्य यात्रा में बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। उन्होंने कई बार सरकार के मंचों से कांग्रेस के खिलाफ बयानबाजी की। छिंदवाड़ा से कांग्रेस सांसद कमलनाथ को चुनौती देते हुए लोकसभा चुनाव लडऩे की बात भी कही। उनका महाकौशल और मालवा की कुछ सीटों में प्रभाव है।
– पंडोखर सरकार
दतिया के पंडोखर आश्रम के संत गुरुशरण शर्मा पंडोखर सरकार ने सांझी विरासत पार्टी की घोषणा की है। वे 50 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी में हैं। पंडोखर सेवड़ा से चुनाव लड़ेंगे। एट्रोसिटी को सामाजिक भेदभाव का हथियार मानने वाले पंडोखर सरकार पर संतों के अपमान का आरोप भी लगा रहे हैं। पंडोखर का ग्वालियर-चंबल और उत्तरप्रदेश के झांसी क्षेत्र में प्रभाव है।
– शक्तिपुत्र महाराज
नशामुक्ति और शराब के अवैध कारोबार के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। 2013 में भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के नाम से राजनीतिक पार्टी रजिस्टर्ड कराई थी। उनकी पार्टी के 52 प्रत्याशी उतारे थे, जिन्हें 0.23 प्रतिशत वोट मिले थे। उनकी भतीजी संध्या शुक्ल पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष हैं। शहडोल जिले के मऊ (ब्यौहारी) में भगवती मानव सेवा कल्याण आश्रम से उनकी धार्मिक और राजनीतिक गतिविधियों का संचालन होता है। इस बार भी प्रत्याशी उतारे जाने की तैयारी है।
– डॉ. अवधेशपुरी
रामचरित मानस में पीएचडी की है। समन्वय समिति के अध्यक्ष और अखाड़ा परिषद उज्जैन के महामंत्री रहे हैं। अवधेशपुरी भाजपा से उज्जैन दक्षिण सीट से दावेदारी कर रहे हैं। टिकट नहीं मिलने पर दूसरे दलों से भी भाग्य आजमा सकते हैं। हालांकि, टिकट तय नहीं हुआ है।
– योगी रविनाथ महिवाले
नाथ संप्रदाय से हैं। नर्मदा नदी में अवैध खनन के खिलाफ अभियान चलाने वाले योगी ने किसी पार्टी से टिकट नहीं मांगा है। वे रायसेन की उदयपुरा सीट से निर्दलीय चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं।