पांच कृषि कर्मण के बाद भी भाजपा को किसानों पर नहीं भरोसा, वादे रहे अधूरे

प्रदेश की भाजपा सरकार ने बीते सालों में आंकड़ों की बाजीगरी के चलते केन्द्र से पांच बार कृषि कर्मण पुरस्कार पाने के बाद भी किसानों की सरकार से दूरी बनी हुई है। किसानों को लेकर बड़ी -बड़ी बातें करने और उन पर अमल न करने की वजह से किसानों में जमकर नाराजगी है। यही वजह है कि अब भी किसानों का समर्थन मिलने को लेकर भाजपा पूरी तरह से असमंजस में दिख रही है। हालात यह है कि आज किसान आर्थिक कर्ज में बुरी तरह

से दब गया है और सरकार सिर्फ किसानों को लेकर बातें ही करती रही। किसानों की बड़ी नाराजगी की वजह है बीज, खाद, डीजल और कीटनाशक महंगा होने से खेती की लागत का बढ़ जाना, जिससे किसानों का मुनाफा कम हो गया है। इतना ही नहीं नेफेड द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की गई अनाज की खरीदी ने उन्हें और कंगाल कर दिया। जिन किसानों ने मई-जून में चना, मसूर बेचे थे, उन्हें अब तक राशि का भुगतान नहीं किया गया है। इससे वे बीज, खाद, डीजल नहीं खरीद पा रहे हैं। इस वजह से उनकी नई फसल पर संकट खड़ा हो गया है। यही नहीं इस समय मंडियों में सोयाबीन 3000 से 3200 रुपए और उड़द 2000 से 3500 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है। इससे किसान को लागत नहीं निकल रही है। दरअसल, फसलों की बढ़ रही लागत की तुलना में भाव नहीं बढऩे से भी किसानों को मुनाफा नहीं हो रहा है। सरकार ने ई-उपार्जन के लिए किसानों से पंजीयन तो करा लिए, लेकिन अब तक उड़द की खरीदी शुरू नहीं हो पाई है। नोटबंदी लागू होने के बाद मंडियों में डिजिटल लेन-देन व्यवस्था लागू की गई, लेकिन नगर की जरूरत तो कई कामों के लिए होती है। ऐसे में किसानों को भी नगद के लिए कई-कई दिनों तक बैंकों के चक्कर अब भी काटने पड़ रहे हैं। किसान क्रेडिट कार्ड के लिए बैंकों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इससे भी रिश्वत खोरी की शिकायत आम है। सब्जी-फल मंडियों में दलाली प्रथा से किसानों में नाराजगी है।
घोषणाओं पर अमल की स्थिति खराब
विपक्षी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणावीर ऐसे ही नहीं कहते। किसानों के संदर्भ में कुछ बातें जानने लायक है:
घोषणा : प्रदेश के सभी नगरीय निकायों और विकासखंड मुख्यालयों में किसान बनाए जाएंगे। इनमें किसान खुद फल, सब्जी जैसी अपनी उपज बेच सकेंगे।
स्थिति: अब तक किसान बाजारों का काम शुरू ही नहीं हुआ।
घोषणा : किसानों तक फसलों के संबंध में सही और वैज्ञानिक जानकारी पहुंचाने के लिए विलेज नॉलेज सेंटर बनाए जाएंगे।
स्थिति : इस पर अमल शुरू नहीं हुआ।
घोषणा : युवा कृषक उद्यामी योजना में किसानों के बच्चों को 10 लाख से एक करोड़ का लोन अपना उद्यम शुरू करने दिया जाएगा। गारंटी सरकार लेगी।
स्थिति : बड़ी संख्या में आवेदन बैकों में पड़े हैं, बैंक सरकार की गारंटी पर लोन देने की तैयार नहीं है।
हर साल औसतन एक हजार से अधिक आत्महत्या
मध्यप्रदेश अपराध रिकॉर्ड ब्यूरों के आंकड़ों के आधार पर गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने विधानसभा में जानकारी दी थी कि प्रदेश में 13 साल में वर्ष 2004 से वर्ष 2016 तक 15, 129 किसानों और खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। यह आंकड़ा हर साल घटना-बढ़ता रहा है।