चुनावी दंगल :-कमलेश्वर बनाम शिव बहादुर सिंह.

मंगल भारत .सीधी:-मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए अंततः भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस पार्टी एवं समस्त पार्टियों द्वारा टिकट का बंटवारा प्रत्याशियों के हिसाब से कर दिया है.

कुछ ऐसी विधानसभा सीटें हैं जो वंशवाद को बढ़ावा दे रही हैं तो कहीं अपराधिक पृष्ठभूमि रखते हुए नेताओं को पुनः टिकट दी गई हैं.

विंध्य प्रदेश 30 विधानसभाओं का प्रदेश माना जाता है जहां पर पार्टियों ने अपने दिग्गजों को चुनाव में लड़ाया है काफी समय से चर्चा में रही सिहावल विधानसभा सीधी जिले के अंतर्गत जहां पर सीधी लोकसभा से क्षेत्र की सांसद रीती पाठक पूर्व प्रत्याशी विश्वामित्र पाठक ने अहम भूमिका अदा कर रखी थी.

टिकट के लिए लेकिन इन दोनों प्रत्याशियों पर पानी तब फिर गया जब भारतीय जनता पार्टी के सर्वे से एक अलग नाम सामने आया शिव बहादुर सिंह चंदेल का जिससे पूरे प्रदेश में एक अलग चर्चा तैयार हो गई यह कैसा टिकट दिया गया.

भारतीय जनता पार्टी शिव बहादुर सिंह चंदेल का परिचय टिकट मिलने तक का.

शिव बहादुर सिंह चंदेल भले ही प्रदेश स्तर तक ना जाना जाने बाला चेहरा हो. लेकिन अगर उनकी पृष्ठभूमि देखी जाए तो सिहावल विधानसभा में एक अच्छा लोकप्रिय चेहरा कहा जा सकता है जो सहकारिता समिति के जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं. कई वर्षों तक दूध मनिया ग्राम पंचायत में सरपंच पद का निर्वहन भी किया है.

जब लोगों द्वारा जाना गया शिव बहादुर सिंह चंदेल के बारे में तो लोगों द्वारा प्रतिक्रिया दी गई यह व्यक्ति अपने साथ सभी वर्णों को साथ में लेकर चलने वाला व्यक्ति है और साथ में सारे वर्ण के लोग इनके साथ चलने के लिए भी तैयार रहते हैं मुसलमान भी इनके बड़े प्रेमी हैं.

कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल .

कमलेश्वर पटेल भूतपूर्व कांग्रेस पार्टी के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे इंद्रजीत पटेल के पुत्र हैं विगत पंच वर्सी ही जनता के समक्ष सिहावल विधानसभा क्षेत्र से प्रथम चुनाव लड़ा गया जिसमें जनता ने उन्हें पूर्ण सहयोग दिया और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विश्वामित्र पाठक को भारी मतों से परजाए का सामना करना पड़ा.

जो साफ साफ यह प्रदर्शित करता है कि उनकी छवि पिता के कारण एवं कांग्रेस पार्टी के कारण जनता के बीच में अच्छी बनी थी.

लेकिन अब मतदाताओं का कहना है कि विधायक में वह पहले जैसी बात नहीं रही लेकिन उनकी सक्रियता और मेहनत का समर्थन हम मतदाता अभी भी करते हैं कि वह एक युवा नेता हैं.

अब चुनावी दंगल में यह देखना है कि सिहावल किसका होता है भारतीय जनता पार्टी ने पुराने प्रत्याशी का टिकट काटकर नए प्रत्याशी को टिकट देना कितना सही रहता है और कितना गलत.

और राजनीतिक गलियारों में एक अलग ही कथन है कि कुछ अर्जित करने के लिए कुछ अलग सा ही किया जाता है.

अब देखना है कि राजनीतिक गलियारे मतदाताओं के सामने कितने सही प्रतीत होते हैं.