संगठन की देरी से प्रत्याशी प्रचार में पिछड़े, अब संपर्क में आ रही मुश्किल

प्रदेश में इस बार कांग्रेस व भाजपा के बीच रोचक मुकाबला शुरू हो गया है। दोनों ही दल इस बार सत्ता पाने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए हैं। ऐसे में इन दोनों ही दलों के प्रत्याशी प्रचार में पिछडऩे की वजह से अपने आप को मुश्किल में पा रहे हैं। दरअसल दोनो ही दलों के संगठन ने अपने – अपने प्रत्याशी तय करने में काफी देर कर दी , जिसके चलते कार्यकार्ता व नेता असमंजस में रहे और

प्रचार शुरु नहीं कर सके। अब हालात यह है कि उनके पास महज 18 दिन का समय ही रह गया है। ऐसे में उनके पास घर-घर पहुंच पाना संभव होता नही दिख रहा है। इस बीच त्यौहार पडऩे की वजह से भी प्रचार अब तक जोर नहीं पकड़ पा रहा है। अगर देख जाए तो अब प्रत्याशियों को रोजाना कम से कम हर घंटे औसतन 1620 लोगों से अपने लिए वोट की गुहार लगानी पड़ेगी। गौरतलब है कि 28 नवंबर को भोपाल सहित प्रदेश में विधानसभा चुनाव का मतदान होगा। मतदान में 19 दिन बचे हैं। इसमें भी एक दिन पहले प्रचार खत्म हो जाएगा। यानी उम्मीदवारों के पास प्रचार के लिए 18 दिन बचेंगे। ऐसे में प्रत्याशी अपने आप को मुश्किल में पा रहे हैं। ज्यादा मतदाता वाले इलाकों में अधिक मुश्किल
मप्र में भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और ग्वालियर जिले की कई विधानसभाए़ ऐसी है जहां जहां 3 लाख से 3.67 लाख मतदाता हैं। इन क्षेत्रों में 18 दिन में प्रत्याशी को 12 से 15 वार्ड के साढ़े 3 लाख से ज्यादा मतदाताओं के बीच जाना है। यानी हर दिन प्रत्याशी को 15 से 19 हजार मतदाताओं से मिलना होगा। प्रत्याशी हर दिन 12 घंटे भी प्रचार करता है तो उसे हर घंटे 1620 लोगों से वोटों की गुहार करनी है।
उतारी डिजिटल वालंटियर की फौज
डिजिटल क्रांति और उसके अगुआ बने सोशल मीडिया के एक-एक वोट पर प्रभावों को बखूबी समझ रहे राजनीतिक दलों ने इस बार विधानसभा चुनाव में बूथ स्तर तक डिजिटल वालंटियर की फौज उतार दी है। खास तौर पर मध्य प्रदेश में सीधे मुकाबले वाली भाजपा और कांग्रेस ने राज्य ही नहीं, जिले स्तर पर भी वॉर रूम बनाए हैं। उनमें फेसबुक, व्हाट्सएप से लेकर ट्विटर पर हर दिन प्रचार सामग्री झोंकी जा रही है। विरोधियों के आरोपों का जवाब देने के लिए फेसबुक-व्हाट्सएप पर वालंटियर ग्रुप सक्रिय हैं। कांग्रेस विशेष तौर पर मुखर है और इन राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा के वादों का हिसाब-किताब जनता के सामने रख रही है। जिले के वॉर रूम और वालंटियरों से स्थानीय मुद्दों और समीकरणों पर फोकस करने को कहा गया है।