कांग्रेस में दिग्विजय का डैमेज कंट्रोल हो रहा है पूरी तरह से प्रभावी

टिकट बंटवारे के बाद भाजपा और कांग्रेस में शुरू हुई बगावत को थामने के लिए दोनों दलों के बड़े नेता कसर नहीं छोड़ रहे हैं। भाजपा के जहां सभी बड़े नेता बागियों को मनाने में जुटे हैं, तो कांग्रेस ने कमान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को सौंपी हैै। इस काम में दिग्विजय कारगर भी रहे हैं। उन्होंने भोपाल दक्षिण पश्चिम से पीसी शर्मा के खिलाफ खड़े होने वाले संजीव सक्सेना को मना लिया है। दिग्विजय ने यहां तक कहा कि जिनका टिकट कटा है,

उनका गुस्सा निकलना चाहिए। इसके लिए वे चाहें तो मेरे 10 पुतले फूंक सकते हैं। अब दिग्विजय दूसरे नेताओं का भी गुस्सा शांत करने की कोशिश में जुटे हैं। उनका कहना है कि जिसे टिकट नहीं मिला उसका गुस्सा होना स्वाभाविक है। गुस्सा निकालने का पूरा मौका कार्यकर्ताओं को देना चाहिए। पार्टी के सामने ये सवाल था कि किसको टिकट दें किसको न दें? जिनका मिला वो भी वफादार हैं। अनुभवी हैं। जिनको नहीं मिला वे भी पार्टी के बेहतर नेता है। टिकट कटने से किसी का कसूर नहीं है। इसलिए यदि नाराजगी है तो उसे उतार दें। मन में कुछ न रखें। बस हमें कांगे्रस को जिताना है, यही लक्ष्य रखें।
मेरे बोलने से नहीं कटते वोट
पार्टी ने मुझे कभी हाशिए पर नहीं डाला। मेरे बारे में लोग गलत प्रचार करते हैं कि मेरे बोलने से वोट कम होते हैं। मेरी सीएम शिवराज को खुली चुनौती है कि वो अपने और मेरे कार्यकाल के बारे में खुले मंच पर चर्चा करें। मेरी ऐसी कोई योजना नहीं थी जो जनता के लिए न हो।
तब हम कर्मचारियों की नाराजगी से हारे थे
2003 में कांगे्रस की हार की वजह सडक़ बिजली और पानी नहीं था। बल्कि कर्मचारियों की नाराजगी और पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के कारण हम हारे थे, लेकिन भाजपा ने लगातार दुष्प्रचार किया। मैंने 98 में जो घोषणाएं कीं, उन पर काम हो रहा है या नहीं और उन पर अमल की जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्य सचिव को सौंपी गई थी।
सीएम इस चुनाव में अकेले पड़े
किसी कोर्ट ने नहीं कहा कि मेरे आरोप झूठे हैं। मेरे पास सीएम शिवराज के खिलाफ सबूत हैं। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं लेकिन मेरे ऊपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। शिवराज सिंह इन चुनावों में अकेले पड़ गए हैं। मुझे उन पर दया आ रही है।