सत्यव्रत के मामले में असफल रहा हूं : दिग्विजय

प्रदेश की राजनीति में कूटनितिज्ञ के रूप में पहचाने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति के प्रमुख दिग्विजय सिंह का कहना है कि उन्हें पार्टी ने डैमेज कंट्रोल का काम सौंपा है, जिसे वे पूरी शिद्दत के साथ करने का प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद है कि स्थितियां पूरी तरह से अनुकूल हो जाएंगी। हालांकि इस दौरान वे दिग्गज कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे का सपा से चुनाव लडऩे वाले प्रश्र पर भावुक हो गए और उनकी आंखें भर

आईं। उनका कहना है कि सत्यव्रत के मामले में पूरे प्रयास के बाद भी वे असफल रहे हैं।
बातचीत के खास अंश…
प्रश्न: समन्वय समिति प्रमुख के नाते आप समन्वय कर रहे हैं और सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे ने सपा से फॉर्म भर दिया।
दिग्विजय: सत्यव्रत चतुर्वेदी बुंदेलखंड के बड़े ब्राह्मण नेता हैं। मेरा उनसे मतभेद रहा है , लेकिन सम्मान हम एक-दूसरे का हमेशा करते रहे हैं। मुझे बेहद दुख है। मैंने अपने आपको असहाय महसूस किया है। मुझे सत्यव्रत के लिए जो करना चाहिए था, मैंने किया, लेकिन सफल नहीं हो पाया। उनका ये कदम गलत मानता हूं सत्यव्रत के मामले में मैं भावुक हूं हमने समझाया है और भी समझाएंगे।
प्रश्न: उम्मीदवार तय होने के बाद अब कांग्रेस खुद को कहां पा रही है? क्या पार्टी के सर्वे के आधार पर ही ये उम्मीदवार तय हुए हैं या फिर कोटा सिस्टम चला है? टिकट वितरण में विवाद भी हुए।
दिग्विजय: उम्मीदवारों के नाम आने के बाद मैं कह सकता हूं कि कांग्रेस सरकार बना रही है। टिकट वितरण में ऊंच-नीच हो जाती है पर अच्छे लोगों को टिकट मिला है। आपसी असहमति का सवाल नहीं। सबका अपना मूल्यांकन हो सकता है।
प्रश्न: क्या दिग्विजय सिंह नाराज हैं? प्रदेश में नजर आएंगे या फिर राहुल गांधी के किसी काम में फिर लगा दिए जाएंगे?
दिग्विजय: मैं कभी नाराज ही नहीं होता। मैं अकेला ऐसा मुख्यमंत्री हूं, जिसके पास भोपाल में घर नहीं है। सर्किट हाउस मिलेगा नहीं, लेकिन मैं अब पूरे दम-खम के साथ यहीं रहूंगा। पीसीसी में मुझे नेता प्रतिपक्ष का कमरा दे दिया गया है। यही समन्वय समिति का ऑफिस होगा।
प्रश्न: इस बार के चुनाव में पार्टी ने कई ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दे दिया है, जो पिछले विधानसभा चुनाव में भारी मतों से हारे थे।
दिग्विजय: जीत के कई आधार होते हैं, जो पिछला चुनाव हारे हैं लेकिन जीतने वाले उम्मीदवार हैं, उन्हें ही टिकट दिया गया है। जिस तरह से 2003 में मैं अकेला पड़ गया था, उसी तरह अब शिवराज अकेले पड़ गए हैं। 2008 और 2013 में आश्वस्त नहीं था, इस बार जीत का पूरा भरोसा है।
प्रश्न: क्या कांग्रेस ने अरुण यादव को बलि का बकरा बनाया है?
दिग्विजय: 2003 में जब शिवराज मेरे खिलाफ लड़े थे, तब मैंने भी यही कहा था कि भाजपा ने उन्हें बलि का बकरा बनाया है, लेकिन वे हारे और उनका भाग्य चेत गया। क्या पता अरूण यादव का भाग्य भी चेत जाए।
प्रश्न: कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ बड़ी संख्या में बागी खड़े हुए हैं, इनमें से कई आपके समर्थक भी हैं, डैमेज कंट्रोल की रणनीति क्या है?
दिग्विजय: हमसे ज्यादा बागी तो भाजपा में हैं। हमारे जो बागी हैं, सबको कंट्रोल करेंगे। अगले दो दिन तक मैं इसी काम में जुटा हूं। अभी कुछ को कंट्रोल कर लिया है और जो बाकी हैं, उनको भी कर लेंगे। कमलनाथ, सिंधिया, अरूण यादव या मेरे किसी के भी समर्थक हैं, उन सभी से बात कर रहे हैं, जो नहीं मानेंगे उनको निष्कासित तो करेंगे ही और मैं राहुल जी से गारंटी लेकर आया हूं, कि छह साल तक इन्हें कांग्रेस में घुसने मत देना।
प्रश्न: क्या आपको भरोसा है कि कांग्रेस में समन्वय के सुर कायम हो पाएंगे?
दिग्विजय: पंगत की संगत में सबने अन्न-जल की कसम खाई है। मैं इन सबको याद दिलाना चाहता हूं कि इनका संकल्प अन्न-जल के सामने है कि जो भी इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार होगा, उसे सभी मिलकर जिताएंगे। इस पवित्र संकल्प को जो तोड़ेगा, वो उसकी मर्जी से, लेकिन हमने कभी समझौता नहीं किया।