विस टिकट के बाद अब भाई बने ताई के लिए बड़ी चुनौती

प्रदेश भाजपा के दो दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय और सुमित्रा महाजन का राष्ट्रीय राजनीति में भी बड़ा नाम है। खास बात यह है कि यह दोनों ही नेता मालवा के इंदौर शहर से आते हैं। इन दोनो ही नेताओं में इलाकाई राजनीति में दबदबे को लेकर अदावत जगजाहिर है। इन दोनो ही नेताओं को प्रदेश की राजनीति में ताई व भाई के रुप में पहचाना जाता है। इस बार भी विधानसभा चुनाव में यह दोनों नेता टिकट वितरण के दौरान आमने -सामने पूरी तरह से दिखे। ताई वर्तमान में स्पीकर हैं तो भाई राष्ट्रीय

महामंत्री हैं । इन दोनो ही नेताओं के बीच यह वर्चस्व की लड़ाई बीते दो दशक से जारी है। वर्तमान में 9 विस और 22 लाख वोटर्स का इंदौर शहर शह और मात का खेल देख रहा है। इस बार भी यह दोनों नेता अपने-अपने बेटों को टिकट दिलाने के लिए आमने सामने थे, लेकिन ताई की तमाम नाराजगी के बाद भी कैलाश विजयवर्गीय अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय को टिकट दिलाने में सलऊल रहे हैं। इस दौरान ताई के बेटे बहू का नाम टिकट की सिर्फ दावेदारी तक ही सीमित रह गई। बीते तीन दशक से इंदौर लोकसभा का नेतृत्व करने वाली महाजन इस बार एक भी समर्थक को विस का टिकट दिलाने में सफल नहीं हुई।
कैलाश बने महाजन के लिए बने चुनौती
ताई और भाई के बीच जारी विवाद को अब राजनीतिक हलकों में 2019 के लोकसभा चुनाव के संदर्भ में देखा जाने लगा है। वजह भी साफ है कैलाश विजयवर्गीय का विधानसभा चुनाव में न उतरना। लगातार 8 लोस चुनाव में अजेय रहीं महाजन की उम्र 75 पार हो गई है। माना जा रहा है कि पार्टी लोस चुनाव में सुमित्रा महाजन की जगह कैलाश विजयवर्गीय को प्रत्याशी बना सकती है। यानि कि बेटे को टिकट दिलवाकर अपनी सीट छोडऩे वाले कैलाश अब महाजन के लिए एक तरह की चुनौती बन गए हैं।
खोने के बाद भी फायदा
कैलाश इस फायदे में रहे कि बेटा चुनावी राजनीति में एंट्री कर गया। हालांकि उन्हें अपने खुद का टिकट छोडऩा पड़ा। सीएम के साथ उनकी खींचतान के कारण उन्होंने संगठन की राजनीति में झोंका गया। यह दूसरा मौका है जब भाई को ताई के साथ लड़ाई में कुछ खोना पड़ा हो। दस साल पहले जब उन्होंने अपने खास सहयोगी रमेश मेंदोला के लिए पार्टी से टिकट मांगा था तब उन्हें अपना परंपरागत गढ़ इंदौर का विस का क्षेत्र क्र. 2 खोना पड़ा। ताई इस बात के लिए अड़ गई थीं।