तीसरी शक्तियां बिगाड़ रहीं विंध्य में भाजपा-कांग्रेस का सियासी गणित

मंगल भारत :-प्रदेश का विंध्य अंचल एक मात्र ऐसा इलाका है जहां पर दलों की अपेक्षा जातिगत प्रभाव चुनावों में पूरी तरह से असरकारक रहता है। यही वजह है कि इस इलाके में भाजपा व कांग्रेस के अलावा बसपा भी समय-समय पर अपना प्रभाव दिखाती रहती है। प्रदेश के पिछड़ इलाके में शामिल यह अंचल अब भी पूरी तरह से जातिगत समीकरणों में पूरी तरह से उलझा हुआ है। इस इलाके में चुनाव के समय सडक़ों की बदहाली, गरीबी, पलायन और बेरोजगारी जैसे विषय मुद्दा नहीं बनते हैं,

बल्कि जातिगत प्रत्याशी ही मुद्दा बना रहता है। लगभग यही हाल इस बार भी है। इस इलाके में साक्षरता का आंकड़ा करीब 66 फीसदी होने के बाद भी लोगों में विकास की जगह जातिवाद हावी है। यह एकमात्र ऐसा इलाका है जहां पर विकास व लहर पूरी तरह से प्रभावी नहीं रहती है। विंध्य या बघेलखंड देश में सर्वाधिक सवर्ण 29 प्रतिशत आबादी वाला क्षेत्र है। कुछ सीटों पर तो यह 40 प्रतिशत तक है। यही यहां जातिवादी राजनीति और बसपा की घुसपैठ का कारण भी है। पिछले 6 चुनावों में प्रदेश में जिन 24 सीटों पर बसपा जीती है, उसमें से 10 विंध्य क्षेत्र की हैं। फिलहाल रीवा और शहडोल संभाग के 7 जिलों की 30 में से 17 सीटों पर भाजपा 11 पर कांग्रेस और 2 सीटों पर बसपा का कब्जा है। बघेलखंड की लगभग 12 सीटों पर इस बार बसपा के साथ समाजवादी पार्टी, सपाक्स भी टिकट से असंतुष्ट, मजबूत निर्दलियों और दलबदलुओं की शरण स्थली बनी है। सितंबर में यहां की उबड़-खाबड़ सडक़ों पर राहुल गांधी के रोड शो ने कांग्रेस की जीत का जो रास्ता तैयार किया था, अगले 5 दिन में दो बार शहडोल और रीवा का दौरा कर, मोदी उस पर भाजपा की दावेदारी पुख्ता करने का प्रयास करेंगे।
बसपा और बागी, बिगाड़ रहे समीकरण
चार चुनाव से 15 प्रतिशत तक वोट लाने वाली बसपा के सामने विंध्य में खोते जनाधार को बचाने की चुनौती है तो बसपा के साथ ही सपा, सपाक्स और बागियों ने सतना, अमरपाटन, रामपुर बघेलान, नागौद, मैहर, मऊगंज, त्योंथर, देवतालाब, मनगवां, सीधी, ब्योहारी, कोतमा जैसी दर्जनभर से ज्यादा सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के चुनावी गणित को बिगाड़ दिया है।
इन पर टिकी हैं सबकी निगाहें
चुरहट से नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह व भाजपा के टिकट वितरण से बदले गणित के चलते अमरपाटन से कांग्रेस के विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह, जहां जीत के प्रति आश्वस्त हैं। वहीं मंत्री राजेंद्र शुक्ला की जीत का रास्ता स्वाभाविक एंटी इनक बेंसी के चलते थोड़ा पथरीला नजर आ रहा है। भीतरघात के चलते सतना जिले के नागौद से भाजपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह की भी ऐसी ही स्थिति है। मानपुर सीट से तीन बार के विधायक, मंत्री मीना सिंह को भी ज्ञानवती सिंह तगड़ी टक्कर दे रही हैं।