प्रदेश की साठ विधानसभा सीटों पर इस बार चुनाव आयोग के निर्देश पर खास नजर रखी जा रही है। यह वे सीटें हैं जहां पर दिग्गज राजनेता चुनावी मैदान में हैं। आयोग की आंशका है कि चुनाव के दौरान इन इलाकों में कालेधन का बेतहाशा उपयोग कर मतदाताओं को प्रलोभन दिया जा सकता है। यही वजह है कि इन सभी सीटों का लेखा-जोखा चुनाव आयोग ने तो तैयार करना शुरू कर दिया है साथ ही आयोग के निर्देश पर आयकर विभाग ने भी इन दिग्गजों की रिपोर्ट एक्सपेंडीचर सेंसेटिव जोन कमेटी को सौंपी है। इसमें आयकर, जीएसटी,
पुलिस, बैंक और चुनाव आयोग के अफसर शामिल हैं। कमेटी को रिपोर्ट मिलने के बाद आयकर विभाग ने इन सीटों पर होने वाले कैश लो पर नजर रखने खुफिया एजेंसी भी तैनात कर दी है। आयोग का अनुमान है कि 35 जिलों की इन सीटों पर पैसे का दुरुपयोग किया जा सकता है। निगरानी के दौरान चिह्नित सीटों के बैंक, एटीएम से पैसे की निकासी और जमा की गई रकम के संबंध में साप्ताहिक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। अप्रत्याशित लेन-देन वाले बैंक खातों का डाटा तैयार होगा। कम ट्रांजेक्शन वाले खातों में यदि अचानक ज्यादा राशि जमा होती है तो बैंक अधिकारी आयकर विभाग को इसकी जानकारी देंगे। एटीएम में डाले जा रहे पैसों की एक चार्टशीट भी तैयार की जा रही है। वहीं, जो खाते चुनाव के दौरान अथवा चुनाव से दो-तीन महीने पहले खोले गए हैं, उनकी निगरानी आयकर विभाग ने शुरू कर दी है। अगर इन बैंक खातों पर 50 हजार रुपए से अधिक राशि एक साथ जमा हुई है या बार-बार पैसे डाले और निकाले जा रहे हैं तो संबंधित खातेदार से पूछताछ की जाएगी। चुनाव के दौरान यह भी देखा जाएगा कि खाताधारक एटीएम से पैसे किस समय (रात या दिन) ज्यादा निकाल रहे हैं।
बड़े वाहनों की खरीददारी पर भी नजर
टीम के सदस्य यह भी देख रहे हैं कि कौन-कब महंगी गाडिय़ां उठा रहा है। इसका उपयोग वही कर रहे हैं या कोई और। दरअसल, चुनाव के समय प्रत्याशी अपने लिए दूसरों के नाम से लग्जरी वाहन खरीदवाते हैं। चुनाव के बाद इन्हें बेच दिया जाता है। ऐसे में इसका खर्च प्रत्याशी के खाते में नहीं जुड़ पाता। बड़ी खरीदारी और होटलिंग के भी रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं।
चार विधायकों के मोबाइल सर्विलांस पर
प्रदेश के चार धनपति विधायकों के मोबाइल सर्विलांस पर रखे गए हैं। वे लोग भी आयकर विभाग के रडार पर हैं, जो कई महीनों से इन विधायकों से मोबाइल पर बातचीत कर रहे हैं। इन विधायकों की गतिविधियों, उनके करीबियों और उनसे लगातार मिलने वाले लोगों का रिकॉर्ड भी तैयार किया जा रहा है। विधायकों के संपर्क में रहने वाले कारोबारी, व्यापारी और आपराधिक गतिविधियों से जुड़े लोगों पर पुलिस और आयकर विभाग की विशेष नजर है।
ऐसे तैयार हुई सूची
बैंक से लेनदेन, एटीएम से निकासी और जमा हुई राशि, शराब बिक्री, बर्तन व कपड़ों की खरीदी तथा टोल नाकों से वाहन आवाजाही, होटलों में भीड़, चुनाव और उसके तीन माह के अंदर वाहन खरीदी को आधार बनाया गया है। बीते चुनाव में जब्त धन, बैंक लेन-देन और खर्च को शामिल किया गया है।
इन विस सीटों पर है नजर
बालाघाट, लहार, बुरहानपुर, विजावर, छिंदवाड़ा, दमोह, दतिया, देवास, हाट पिपलिया, पानसेमल, ग्वालियर, हरदा, सिवनी मालवा, सोहागपुर, पाटन, जबलपुर कैंट, बड़वारा, मुड़वारा, हरसूद, महेश्वर, मंदसौर, मल्हारगढ़, गोटेगांव, जावद, पवई, भोजपुर, सिलवानी, रतलाम सिटी, जौरा, रीवा, बीना, रेहली, मनावर, धार, सतना, नागोद, बुदनी, सीहोर, पिछोर, चुरहट, चितरंगी, सिंगरौली, जतारा, महिदपुर, उज्जैन उत्तर, विदिशा, सिरोंज।
इस तरह लुभा सकते हैं मतदाताओं को
चुनाव आयोग का कहना है कि कर्नाटक और तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में ऐसे किस्से सामने आए थे, जब मतदाताओं को लुभाने के लिए उम्मीदवारों ने नकदी, कपड़े, वाहन और गहने बांटे थे। इसके लिए चिह्नित मतदाताओं को कूपन दिए गए थे। मध्यप्रदेश में भी कुछ ऐसा ही तरीका अपनाए जाने का अंदेशा है।