प्रदेश में बीते साल किसान आंदोलन की वजह से देशभर में चर्चित हुए मंदसौर इलाके में कांग्रेस अपनों की वजह से मुश्किलों का सामना करने पर मजबूर बनी हुई है। यह हाल तब हैं जब इस इलाके के तहत आने वाले तीन जिलों में प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर नाराजगी है। हालांकि इलाके में दो ही पार्टियों का वजूद होने की वजह से मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही हैं। किसान आंदोलन से प्रभावित इलाके के तहत मंदसौर के अलावा नीमच व रतलाम जिले आते हैं। इन तीनों
जिलों के तहत विस की 12 सीटें आती हैं , जिन पर 104 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। किसान आंदोलन से सर्वाधिक प्रभावित मंदसौर संसदीय क्षेत्र की चार सबसे अहम सीटों जावरा, सुवासरा, गरोठ और जावद में बीते एक सान की मेहनत के बाद भी कांग्रेस प्रत्यासी बागियों के कारण परेशान हैं। यहां पर बागियों की वजह से कांग्रेस का खेल बिगड़ता हुआ दिख रहा है, तो मालवा के इस इलाके में भाजपा को खड़ा करने वाले स्व. लक्ष्मीनारायण पांडे के पुत्र राजेन्द्र पांडे भी अपने इस पांचवें चुनाव में वंशवाद के आरोंपा का सामना करना पड़ रहा है। उनके खिलाफ पार्टी के ही श्यामबिहारी पटेल ने ताल ठोक रखी है। वे वंशवाद को मुद्दा बनाए हुए हैं। लगभग यही स्थिति कांग्रेस प्रत्याशी केके सिंह कालूखेड़ा का भी है। उन्हें इसी मुद्दे पर डॉ. हमीर सिंह जैसे पुराने कांग्रेसी नता बागी होकर चुनौती दे रहे हैं। यानी पिता और भाई से विरासत में मिली राजनीति इस चुनाव में कड़े संघर्ष में फंस गई है। पिपलौदा नगर परिषद के अध्यक्ष भाजपा के बागी श्यामबिहारी पटेल ने सालभर पहले ही टिकट न मिलने पर निर्दलीय लडऩे का ऐलान कर दिया था। पटेल को मनाने कैलाश विजयवर्गीय जावरा पहुंचे थे, लेकिन वे इसमे सफल नहीं हुए। दरअसल कांग्रेस में सिंधिया की जिद उन्हीं के प्रत्याशी केके सिंह पर भारी पड़ गई। नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने के प्रयास के दौरान जावरा में सिंधिया के प्रयास असफल साबित हुए हैं।
कांटे की टक्कर में फंसी हैं सभी सीटें
रतलाम : जिले की पांच सीटों में से सबसे रोचक मुकाबला जावरा, सैलाना और रतलाम ग्रामीण सीट पर है। जावरा में भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशियों की नींद बागियों ने हराम कर रखी है। कांग्रेस के बागी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की नहीं सुनी तो भाजपा के बागी ने कैलाश विजयवर्गीय को बैरंग लौटा दिया।
मंदसौर : जिले की 4 सीटों पर 39 प्रत्याशी मैदान में हैं। दो सीटों सुवासरा और गरोठ में बागी मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। गरोठ में भाजपा के देवीलाल धाकड़ को टिकट मिला तो अमरलाल और कांग्रेस ने सुभाष सोजतिया को टिकट दिया तो तूफान सिंह सिसौदिया बागी हो गए। सुवासरा में कांग्रेस के हरदीप सिंह डंग को बागी ओमसिंह भाटी से चुनौती मिल रही है।
नीमच : जिले की तीन सीटों में से सिर्फ जावद में ही बागी मैदान में हैं। जावद में राजकुमार अहीर को कांग्रेस ने टिकट दिया तो समंदर पटेल बागी हो गए। हर बार कांग्रेस के बागियों के कारण भाजपा प्रत्याशी ओम प्रकाश सखलेचा सुकून में रहते हैं। भाजपा ने कैलाश चावला का टिकट कटाकर माधव मारू को मनासा से प्रत्याशी बनाया है। यहां पर कांग्रेस ने उमरावसिंह गुर्जर को ऐनवक्त पर मैदान में उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया है।