उमा की चुनावी सक्रियता के मायनों की हो रही तलाश

मध्यप्रदेश में बीते डेढ़ दशक से भाजपा की सरकार होने के बाद भी उपेक्षा का शिकार रहीं उमा भारती एक बार फिर प्रदेश में पूरी तरह सक्रिय दिख रही हैं। यही वजह है कि वर्ष 2003 में बीजेपी की सरकार बनवाने में मुख्य भूमिका निभाने वाली उमा भारती का वनवास इस विधानसभा चुनाव में खत्म होता प्रतीत हो रहा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से राजनैतिक अदावत के चलते वे पिछले आठ सालों से प्रदेश को राजनीति से दूर थीं। यही नहीं बीता लोकसभा चुनाव भी उन्होंने पड़ोसी राज्य उप्र की झांसी से लड़ा और सासंद बनी। इसाके बाद वे कुछ माह पहले एक बार फिर प्रदेश में थोड़ी बहुत सक्रिय हुई और अब चुनावी समय में वे पूरी तरह से प्रचार के मोर्चा पर सक्रिय हैं। इस विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के लिए उमा भारती जिस तरह से प्रचार कर रही हैं, उससे ऐसा लगता है कि वे अगले लोकसभा चुनाव में प्रदेश की किसी भी सीट से चुनाव लड़ सकती हैं।
2003 में थी पार्टी का ताकतवर चेहरा..
2003 में विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने उमा भारती के चेहरे को आगे रखकर ही प्रदेश में 10 सालों से राज करने वाले दिग्विजय सिंह को परास्त कर दिया था, जिसके बाद उमा भारतीय प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी, लेकिन कर्नाटक के हुबली में दर्ज एक अपराधिक केस के चलते उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जिसके बाद बाबूलाल गौर को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था, इस यात्रा के समाप्त होते ही उन्होंने फिर से मुख्यमंत्री पद के लिए दावा किया, लेकिन यह संभव नहीं हो सका जिसके बाद उन्होंने शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध भी किया।