मध्य प्रदेश: राजनीति के बागी बन रहे युवा, नौकरी सबसे बड़ा मुद्दा

भोपाल नौकरी, नौकरी और नौकरी। मध्य प्रदेश में पहली बार वोट देने जा रहे युवाओं के लिए बस यही मुद्दा है। रायसेन में पिछले साल कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने वाले शैलेश साहू सरकारी फॉर्म भरते हैं, लेकिन वहां उम्मीद नहीं है। बताते हैं कि किस तरह उनके एक दोस्त को इंजिनियरिंग की डिग्री के बाद आठ हजार रुपये महीने की नौकरी मिली है और घर में उसे सभी ताने मारते हैं। शैलेश इस स्थिति के लिए सभी दलों को दोषी बताते हैं। हालांकि कोई संकेत नहीं देते कि वह किसका समर्थन करने वाले हैं।

शैलेश की तरह ही प्रदेश में कई जगहों पर युवाओं ने नौकरी के मुद्दे को सबसे बड़ा बताया। साथ ही वे पूरे राजनीतिक सिस्टम के लिए बागी की तरह पेश आ रहे हैं। वोट देने से पहले उनकी चुप्पी और बागी तेवर को कांग्रेस और बीजेपी, दोनों डिकोड करने में सफल नहीं हो पा रही हैं। राज्य में ऐसे वोट की तादाद लगभग 40 लाख है। 18 से 28 साल के बीच प्रदेश में 1 करोड़ 28 लाख वोटर हैं और इनमें सियासी गणित को बनाने-बिगाड़ने की क्षमता है।

भोपाल में श्रीपाल की बात करें या इटारसी के मुकल देव की, हर युवा सिर्फ जॉब की बात कर रहा है। बात चुनाव की शुरू होती है और वे अपने भविष्य की बात करने लगते हैं। मुकुल बात करते हुए टूट जाते हैं। कहते हैं, ‘पिताजी से फॉर्म भरने के लिए 100 रुपये तक मांगने में ग्लानि महसूस होती है।’ वह मध्य प्रदेश में खाली पड़े सरकारी पदों की बात करते हैं और शिकायत करते हैं कि अगर शिवराज सिंह चौहान चाहते तो उसे भरने की कोशिश कर सकते थे।

उन्हें इस बात से बहुत धक्का लगा कि मामा की सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट की उम्र बढ़ा दी। मुकुल को यह क्रूर मजाक लगता है कि जब युवा भटक रहे हैं तो पूरी जिंदगी नौकरी कर स्थापित हो चुके लोगों को दो साल की और नौकरी दे दी गई। मुकुल ने सुना है कि अगर कांग्रेस जीती तो राज्य में युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। उन्हें यह प्रस्ताव लुभाता है, लेकिन फिर भी तय नहीं है कि समर्थन किसका करना है। दरअसल, बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ने युवाओं को लुभाने के लिए पूरे जतन किए हैं। बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में हर साल 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया है।

‘मुद्दों की बात करें नेता’
दिलचस्प बात है कि सोशल मीडिया से कनेक्ट रहने के बावजूद युवा उन पर चल रही चर्चाओं को सही नहीं मानते हैं। उनका यह भी कहना है कि नेता मुद्दों पर बात करें। मसलन, छिंदवाड़ा के प्रवीण गोपाल ने कहा कि वह बीजेपी समर्थक हैं, लेकिन मंदिर-मस्जिद जैसे मुद्दों का समर्थन नहीं करते। वहीं, होशंगाबाद के तिलक सिंह का मानना है कि लोकतंत्र में किसी सरकार को पांच साल से अधिक नहीं रहना चाहिए।