मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा पेंगोलिन चंबल के बीहड़ों में, गिनती का इंतजार

मुरैना। पेंगोलिन डायानसोर की तरह दिखने वाला एक बेहद खूबसूरत स्तनधारी जीव है। वन विभाग को शिकारियों के जरिए बीते साल इस बात का पता चला था कि मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा पेंगोलिन चंबल में हैं।

इसके बाद भी वन विभाग ने अब तक बीहड़ में इस जीव की संख्या और रहवास आदि का कोई सर्वे नहीं करवाया है। यही वजह है कि किसी को यह नहीं मालूम कि अब तक कितने पेंगोलिन शिकार हो चुके हैं और कितने जीवित हैं। साल 2014 में इस जीव के अंगों की तस्करी करने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दा फाश हुआ था।

साल 2017 में पहली बार टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने थाटीपुर ग्वालियर से 5 शिकारी पकड़े थे। ये सभी ग्वालियर और मुरैना के रहने वाले थे। वन विभाग को इन शिकारियों ने बताया कि चंबल नदी के बीहड़ों में ये जानवर फल फूल रहा है और यहीं से वे इस जानवर का शिकार कर अंगों की तस्करी कर रहे थे।

चंबल को नजदीक से जानने वाले वन विभाग के पूर्व रिसर्च ऑफीसर डॉ. ऋषिकेश शर्मा कहते हैं कि पहली बार ये जीव 1998 में इटावा जिले के भरथना इलाके के नगला राजा गांव में देखा गया था। इसके बाद साल 2012 में कैलारस में पकड़ा गया था। समय समय पर यह जानवर दिखाई देता रहा।

पैंगोलिन की विशेषता

भारतीय पैंगोलिन भूरे रंग का प्राणी है। यह रात्रिचर प्राणी होते हैं। दिन के समय ये बिलों में छिपे होते हैं। ये चींटी और दीमक खाते हैं। चींटियों की खोज में ये दीवारों पर और पेड़ों पर चढ़ते हैं। इसके दांत नहीं होते। अपनी रक्षा के लिए ये फुटबॉल के आकार में लुढ़कता है। इसकी मांसपेशियां इतनी मजबूत होती हैं कि फुटबॉल बने पेंगोलिन को सीधा करना बड़ा कठिन होता है। कोई मजबूत मांस भक्षी ही इनका शिकार कर सकता है।

चंबल मुफीद क्यों

पेंगोलिन बिलों में रहना पसंद करते हैं। ये बिल भुरभुरी मिट्टी वाले स्थानों पर ही बनाते हैं। ऐसी जगह चंबल के बीहड़ ही हो सकते हैं। ये भुरभुरी मिट्टी वाले चंबल के बीहड़ 435 किमी इलाके में मुरैना, भिंड और इटावा तक फैले हैं। बीहड़ों में पेंगोलिन के बिल छह मीटर तक लंबे होते हैं।

एक पेंगोलिन के शरीर से करीब आधा किलो स्केल्प प्राप्त होते हैं।

इंटरनेशनल बाजार में एक किलो स्केल्प 2 लाख रुपए में बिकता है, लेकिन भारतीय शिकारी इसे 20 हजार रुपए प्रति किलो में बेचते हैं।

पेंगोलिन का वजन 14 किलो तक होता है। इसके स्केल्प को शरीर से अलग करने के लिए शिकारी पेंगोलिन को खौलते पानी में डाल देते हैं।

बीते तीन साल में देश भर में 150 शिकारी पकड़े गए हैं। इनमें चंबल इलाके से ही 25 शिकारी पकड़े गए हैं।