नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट के जजों के विवाद पर माकपा नेता सीताराम येचुरी ने मंगलवार को कहा कि मुद्दा सुलझता नहीं दिख रहा है। हम अपोजिशन से बात कर रहे हैं कि क्या सीजेआई के खिलाफ बजट सेशन में महाभियोग लाया जा सकता है? हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चारों जज और सीजेआई के बीच पिछले दिनों मुलाकात हो चुकी है। इसके बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मसला हल होने का दावा किया था। बता दें कि 12 जनवरी को जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन बी लोकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठाए थे।
बजट सेशन में महाभियोग प्रस्ताव आएगा?
– सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने जजों के विवाद पर न्यूज एजेंसी से कहा, ”संकट खत्म आता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में कार्यपालिका को इसमें दखल देने का वक्त आ गया है। हम अपोजिशन पार्टियों से बजट सेशन में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावनाओं पर चर्चा कर रहे हैं।”
– कांग्रेस ने विवाद पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि जजों का इस तरह से मीडिया के सामने आना गंभीर मसला है। इसके पीछे की वजहों को जानने की जरूरत है। जो मुद्दे उठाए गए, वह काफी गंभीर थे।
अब तक क्या कोशिशें हुईं?
– सुप्रीम कोर्ट में जजों के विवाद को सुलझाने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने जजों से मीटिंग की थी। काउंसिल के चेयरमैन मनन मिश्रा ने कहा था कि जज विवाद सुप्रीम कोर्ट का आतंरिक मामला था, जिसे अब सुलझा लिया गया है। सभी कोर्ट रूम्स में सामान्य कामकाज हो रहा है।
– अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कुछ दिन पहले कहा था कि मामले को जल्द सुलझा लिया जाएगा। ये महज प्याले में आए तूफान की की तरह है।
क्या है ये मामला?
– 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने पहली बार अभूतपूर्व कदम उठाया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद दूसरे नंबर के सीनियर जज जस्टिस जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन बी लोकुर और कुरियन जोसेफ ने शुक्रवार को मीडिया में 20 मिनट बात रखी। दो जज बोले, दो चुप ही रहे।
– जस्टिस चेलमेश्वर ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए। कहा- “लोकतंत्र दांव पर है। ठीक नहीं किया तो सब खत्म हो जाएगा।” चीफ जस्टिस को दो महीने पहले लिखा 7 पेज का पत्र भी जारी किया। इसमें कहा गया है कि चीफ जस्टिस पसंद की बेंचों में केस भेजते हैं। चीफ जस्टिस पर महाभियोग के सवाल पर बोले कि यह देश तय करे। उन्होंने जज लोया की मौत के केस की सुनवाई पर भी सवाल उठाए।
जजों ने चीफ जस्टिस पर क्या आरोप लगाए?
1.चीफ जस्टिस ने अहम मुकदमे पसंद की बेंचों को सौंप दिए। इसका कोई तर्क नहीं था। यह सब खत्म होना चाहिए। कोर्ट में केस अलॉटमेंट की मनमानी प्रॉसेस है।
2.जस्टिस कर्णन पर दिए फैसले में हममें से दो जजों ने अप्वाइंटमेंट प्रॉसेस दोबारा देखने की जरूरत बताई थी। महाभियोग के अलावा अन्य रास्ते भी खोलने की मांग की थी।
3.कोर्ट ने कहा था कि एमओपी में देरी न हो। केस संविधान पीठ में है, तो दूसरी बेंच कैसे सुन सकती है? कॉलेजियम ने एमओपी मार्च 2017 में भेजा पर सरकार का जवाब नहीं आया। मान लें कि वही एमओपी सरकार को मंजूर है।