चुनावी मौसम ने बढ़ाई फूलों की मांग, दामों में हुई बढ़ोत्तरी

प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव के चलते यकायक फलों की मांग बढ़ गई है, जिसकी वजह से उनके दामों में बढ़ोत्तरी हो गई है तो वहीं फूलों की कमी के चलते अब उन्हें अन्य प्रदेशों से आयात किया जा रहा है। दरअसल प्रचार व जनसंपर्क के दौरान प्रत्याशियों का स्वागत फूल मालाओं व गुलदस्ता से करने का प्रचलन तेजी से बड़ा है। यही नहीं कार्यकर्ता और मतदाता नेताजी को माला पहनाकर उनका हौसला अफजाई कर उनके प्रति सम्मान जताते हैं। हालात यह हो गई हैं कि अब बाजार में पूर्व से ही बुकिंग करने पर मालाएं और फूल उपलब्ध हो पा रहे

 

हैं। इस दौरान सर्वाधिक मांग गेंदा फूल की है। गुलाब की भी मंग है, लेकिन वह गेंदा से कम है। राजधानी में गुलाब पुणे व कोलकता से तो गेंदा इंदौर और उज्जैन से मंगाया जा रहा है। अनुमान के मुताबिक इन दिनों राजधानी में रोजाना पांच लाख रुपए से अधिक के फूलों की खपत हो रही है। हालांकि राजधानी और आसपास के क्षेत्रों से आने वाले फूल सस्ते हैं, जबकि दूसरे राज्यों से यहां लाए जाने वाले थोड़े महंगे हंै। व्यवसायियों के मुताबिक दिवाली से शुरू हुई फूलों की मांग अब चुनाव प्रचार में चरम पर है। जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आती जा रही है, वैसे प्रचार तेजी पकड़ रहा है। जितना ज्यादा प्रचार उतनी ही फूलों की मांग अधिक।
लगातार जारी रहेगी मांग
माना जा रहा है कि त्योहार, चुनाव फिर नई सरकार का गठन और शादी-विवाह के सीजन में फूलों की मांग और बढ़ेगी। जिन फूलों की कमी होती है, उन्हें कोलकाता, मुंबई, पुणे से मंगवाया जाता है। फूल विक्रेता राजकुमार सैनी बताते हैं कि चुनाव में जितने ज्यादा प्रत्याशी मैदान में होते हैं, उतनी ही ज्यादा मांग रहती है। इस समय गेंदे की मांग ज्यादा है, क्योंकि सस्ता है। गुलाब, गजरे के लिए कुंद, पूजा-पाठ के लिए देसी गुलाब भी डिमांड में है। रामगोपाल बताते हैं कि जितना फूल पूरे साल बिकता है, उतना चुनावी माहौल में एक माह में बिक जाएगा।
फूलों के थोक भाव पर एक नजर
कुंद 600 रुपए किलो
रजनीगंधा 400 रुपए किलो
देशी पूजा गुलाब 100 रुपए किलो
सेवंती 100 रुपए किलो
गेंदा फूल 50/60 रु. किलो
जरबेरा गुलाब 40 रु. किलो