भागवत ने सिर पर पैर रखवाकर लिया आशीर्वाद, बोले- जरूर बनेगा मंदिर

पटना के टेकारी मंदिर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने देवराहा हंस बाबा से मुलाकात की. इस दौरान देवराहा हंस बाबा ने मोहन भागवत के सिर पर पैर रखा और उनको आशीर्वाद दिया. RSS के फेसबुक हैंडल से किए गए पोस्ट में कहा गया कि भागवत से मुलाकात के दौरान देवराहा हंस बाबा ने राम जन्मभूमि पर जल्द से जल्द भव्य मंदिर निर्माण की इच्छा जताई.

इस दौरान देवराहा हंस बाबा ने कहा कि शीघ्र ही भारत की आध्यात्मिक शक्ति का प्रभाव पूरी दुनिया में होगा. समाज की एकता में सबसे बड़ी बाधा सामाजिक विषमता है, जिसे जल्द दूर करने के प्रयत्न करने होंगे. यह समाज की एकता और अखंडता के लिए आवश्यक है. उन्होंने संघ के कार्य के विस्तार व सज्जन शक्ति के जागरण और उनको साथ लेकर चलाने की इच्छा जाहिर की.

इसके अलावा भागवत ने गुरुवार को सोनपुर में इकट्ठा हुए कई साधु-संतों से मुलाकात की. उन्होंने सोनपुर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर का दौरा किया और संत जीयर स्वामी से मिले. फिर गुरुवार शाम को पटना में संत स्वामी प्रपन्नाचार्य से भेंट की. जीयर स्वामी और स्वामी प्रपन्नाचार्य संत रामानंद संप्रदाय के हैं. इस दौरान RSS सरसंघचालक भागवत ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर जरूर बनना चाहिए और इसके लिए वो दिल से लगे हुए हैं.

शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा में शाही स्नान करने के लिए साधु संत सोनपुर मेले में इकट्ठा हुए हैं. मोहन भागवत ने सोनपुर के गजेंद्र मोक्ष मंदिर के महंत स्वामी लक्ष्मनाचार्य से बात की. इस बीच साधु संत समाज ने एक बार फिर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को उठाया. आजतक से बातचीत में स्वामी लक्ष्मनाचार्य ने बताया कि उन्होंने मोहन भागवत से इस बात का जिक्र किया कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं होने से हिंदू समाज में काफी आक्रोश है. स्वामी लक्ष्मनाचार्य ने कहा कि आरएसएस प्रमुख ने उन्हें आश्वासन दिया है कि अयोध्या में राम मंदिर जरूर बनेगा और इसके लिए वो पूरे दिल से लगे हुए हैं.

स्वामी लक्ष्मनाचार्य ने कहा कि संत समाज की इच्छा है कि आगामी शीतकालीन सत्र में राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा द्वारा राम मंदिर बनाने के लिए जो प्राइवेट मेंबर बिल लाने की बात कही है, उसी के जरिए सरकार को अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाना चाहिए. स्वामी ने कहा कि 25 नवंबर को अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित धर्म संसद में मंदिर निर्माण को लेकर कोई न कोई फैसला जरूर होगा.

स्वामी लक्ष्मनाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार राम मंदिर बनाने के लिए कोशिश कर रही है, लेकिन कामयाब नहीं हो पा रही है. दो से तीन महीनों में साधु संत अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम खुद ही शुरू करेंगे. स्वामी लक्ष्मनाचार्य ने कहा कि साधु संत समाज राम मंदिर को लेकर ज्यादा दिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं करेगा. अगर जल्द फैसला नहीं आता है, तो साधु संत समाज ही निर्माण कार्य शुरू कर देगा.