एमपी में भाजपा का गणित गड़बड़ाया, आधी रात को हुई आपात बैठक, रूठों को फिर मनाने की योजना.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतदान को अब मात्र 4 दिन शेष हैं. अभी तक भाजपा को जो विभिन्न माध्यमों (आंतरिक व बाह्य) से फीडबैक मिला है, वह भाजपा के नीति-नियंताओं को टेंशन में डाल दिया है. अभी तक की रिपोर्ट के बाद आनन-फानन में भाजपा के बड़े नेताओं की राजधानी भोपाल में आधी रात के बाद गुप्त बैठक हुई, जिसमें अगले चार दिनों में जो आधा सैकड़ा से अधिक सीटें काफी कमजोर पाई गई हैं, उसमें किस तरह से मेहनत की जाए, इस पर चर्चा हुई.
साथ ही इस बात का भी निर्णय लिया गया कि जिन सीटों पर भाजपा के ही बागी नुकसान पहुंचा रहे हैं, उन्हें एक बार फिर मनाने का प्रयास किया जाए. इस बैठक में प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे और संगठन महामंत्री रामलाल, संगठन मंत्री सुहास भगत सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे.
बैकफुट पर भाजपा, निष्कासित नेताओं से फिर होगी बातचीत
सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने बीजेपी संगठन को फीडबैक दिया है कि बागी प्रत्याशी भाजपा की हार का कारण बन सकते हैं. बागियों में सबसे बड़ा नाम रामकृष्ण कुसमरिया का है, जो दमोह एवं पथरिया से चुनाव लड़ रहे हैं. फीडबैक में कहा गया है कि श्री कुसमरिया दमोह में वित्तमंत्री जयंत मलैया को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं, जबकि पथरिया में भी भाजपा की हार का कारण बनेंगे. इनके अलावा जबलपुर उत्तर से धीरज पटेरिया के सामने राज्यमंत्री शरद जैन पस्त पड़़ चुके हैं, पुष्पराजगढ़ से सुदामा सिंह, ग्वालियर में समीक्षा गुप्ता की सीटों पर भी भाजपा कमजोर बताई गई है. भाजपा के वोट बंट रहे हैं.
अत: तय किया गया कि रामकृष्ण कुसमरिया को एक बार फिर मनाया जाएगा. धर्मेंद्र प्रधान ने इसका जिम्मा उठाया है. प्रधान इसके अलावा सभी बागी, निष्क्रीय एवं निष्कासित नेताओं से बात करेंगे.
जातिगत समीकरणों को साधने की रणनीति
नेताओं का मानना है कि इस चुनाव में जातिगत समीकरणों को साधना जरूरी है. सवर्ण आंदोलन का नुक्सान भी भाजपा को होगा. लोग खुलकर भाजपा के साथ नहीं आ रहे हैं अत: भाजपा दहशत में है. अब जातिगत मतदाताओं को साधने के लिए छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के नेता मैदान में उतारा गया है.