एम.पी. भाजपा में बड़े बदलाव का इशारा है सुषमा का ऐलान

एम.पी. भाजपा में बड़े बदलाव का इशारा है सुषमा का ऐलान.

भोपाल: विधानसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश भाजपा में बड़ा फेरबदल तय है। सबसे बड़ा बदलाव शिवराज सिंह चौहान की केंद्रीय सियासत में वापसी के रूप में देखा जा रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का 2019 का लोकसभा चुनाव न लडऩे का ऐलान इसका इशारा है। उनकी जगह शिवराज 2019 में विदिशा संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी होंगे। जानकार मानते हैं कि भाजपा ने इस साल हो रहे विधानसभा चुनावों की पूरी रणनीति 2019 के लोकसभा चुनाव के हिसाब से तैयार की है। इसी रणनीति का हिस्सा शिवराज सिंह के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लडऩा है, अन्यथा कुछ महीने पहले तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह खुद शिवराज को नकार चुके थे। विधानसभा चुनाव हारे तो सारा ठीकरा शिवराज के सिर और जीते तो श्रेय स्वाभाविक रूप से पीएम नरेंद्र मोदी को दिया जाएगा। सूत्रों का कहना है दोनों ही स्थिति में चुनाव के बाद पार्टी शिवराज को दिल्ली रवाना कर देगी। शिवराज के हटते ही संगठन में भी पूरी तरह फेरबदल किया जाएगा।

शिवराज को चेहरा बनाने के पीछे भाजपा का सर्वे जिम्मदार
सूत्र बता रहे हैं कि शिवराज को चेहरा बनाने के पीछे भाजपा का वह सर्वे जिम्मदार है, जिसमें यह बात सामने आई कि लोग राज्य सरकार के कामकाज से ज्यादा केंद्र की मोदी सरकार के फैसलों से नाखुश हैं। नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों के दूरगामी प्रभाव से पहले लोग नावाकिफ थे, लेकिन अब इनका असर दिखना शुरू हो गया है। इन फैसलों से न केवल व्यापारी-कारोबारी, बल्कि किसान और युवा सभी परेशान हैं। डीजल व पेट्रोल के दाम बेतहाशा बढऩे के कारण आम आदमी अलग नाराज है, जिसका सीधा असर राज्य के विधानसभा चुनावों में दिख रहा है। वहीं 2014 की तरह 2019 में भाजपा को अगर सीटें नहीं मिलीं तो एनडीए के घटक दल शायद ही मोदी को प्रधानमंत्री स्वीकार करें। इस बात को भाजपा बखूबी जानती है। ऐसे में पार्टी को एक उदार चेहरे की जरूरत पड़ेगी, जिसकी छवि कट्टर हिंदू वाली न हो।

अपनी छवि एक उदार नेता की गढऩे में कामयाब रहे शिवराज
बीते ढाई दशक में शिवराज अपनी छवि एक उदार नेता की गढऩे में कामयाब रहे हैं। ओबीसी होने के नाते शिवराज पिछड़े-दलित-शोषित समाज में पैठ बनाने की भाजपा की रणनीति में पूरी तरह फिट बैठ रहे हैं। शिवराज का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए 2014 में भी चला था, मगर तब मोदी आरएसएस की पहली पसंद थे। शिवराज विदिशा से ही 1991-2004 के बीच 10वीं-13वीं लोकसभा के सदस्य रहे। 2004 में उमा भारती को हटाकर शिवराज को मुख्यमंत्री बना दिया गया, तब से सुषमा स्वराज विदिशा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। शिवराज पीएम चेहरा न भी बनाए गए तो अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के दावेदार होंगे।